IAS अधिकारियों ने अपने सम्मान और पद की गरिमा को ताक पर रख पूरे देश को किया शर्मिंदा, बने BJP कार्यकर्ता
देश में ऐसे भी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है, जो केन्द्र सरकार के निर्णयों से असहमति होने पर अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं, पर झारखण्ड में इनसे अलग एक विशेष प्रकार के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का समूह हैं, जो मोदी की भक्ति में लीन होकर स्वयं को कृतार्थ हुआ समझता है।
सूत्र बताते है कि सीएमओ ने आज ऐसी घूंटी पिलाई कि झारखण्ड के सारे के सारे उपायुक्त मोदी भक्ति में लीन हो गये और ‘झारखण्ड विद मोदी अभियान’ से स्वयं को जोड़ लिया, दे दनादन ट्विट करने लगे, फेसबुक का सहारा लिया गया और इसी चक्कर में एक आइएएस ने सोशल साइट के माध्यम से एक तरह से रघुवर सरकार को प्रमाण पत्र भी दे दिया कि “पांच साल में रघुवर दास पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं हैं” जिसको लेकर उनके फेसबुक वॉल पर कई लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसे देखते हुए बाद में इसे डिलीट भी कर दिया गया।
सवाल उठता है कि क्या अब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की तरह अपनी सेवा देंगे? क्या भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत अधिकारियों को इस प्रकार की प्रशिक्षण दी जाती है कि वे राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की तरह अपनी सेवा दें या भारतीय संविधान की रक्षा करने तथा देश की सेवा करने को उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस प्रकार से सीएमओ ने झारखण्ड के आइएएस अधिकारियों से भाजपा की सेवा कराई, वो शर्मनाक है और शर्म उन आइएएस अधिकारियों को भी होना चाहिए, जिन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं की तरह ‘झारखण्ड विद् मोदी’ अभियान में भाग लिया।
नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन का कहना है कि आइएएस अधिकारी अगर अपने मूल कर्तव्यों से ही समझौता करने लगे तो वह संविधान और देश के साथ धोखा है। सच्चाई के साथ खड़े रहकर, संविधान को बचाए रखने के लिए आइएएस अधिकारियों को कटिबद्ध होना चाहिए, मगर झारखण्ड में तो उन्होंने अपने घूटने ही टेक दिये।
अपने सम्मान और पद की गरिमा को सत्ता के सामने ताक पर रखकर भारतवासियों को शर्मिंदा किया है। नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि कुछ आइएएस अधिकारियों ने अभी इस्तीफा दिया, अपने बोलने के मौलिक अधिकार और जमीर को बुलंद रखने के लिए और कुछ ने पद बचाने को, सत्ता को खुश करने को आज इसे ताड़–ताड़ कर दिया।