आज ही के दिन एक IAS ने बताया था कि सीएम और पत्रकारों के बीच का संबंध पति-पत्नी का होता है
आज का दिन बड़ा पवित्र है। आज केवल हिन्दी दिवस ही नहीं, बल्कि रांची के पत्रकारों के लिए बड़ा ही गौरव का दिन है, क्योंकि आज ही के दिन यानी 14 सितम्बर 2011 को राज्य के वर्तमान मुख्य सचिव डी के तिवारी ने रांची के पत्रकारों का तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से संबंध पति–पत्नी वाला बता दिया था, और इस संबंध पर एक पत्रकार (कृष्ण बिहारी मिश्र) को छोड़कर किसी ने भी अपना विरोध दर्ज नहीं कराया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि पत्नी बनने में ही परम आनन्द हैं, क्योंकि इससे अखण्ड सौभाग्यवती होने का मौका मिल जाता है।
दरअसल यह वह दिन था जब रांची के एटीआइ में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का प्रेस कांफ्रेस था। यह प्रेस कांफ्रेस उनके शासन के एक साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था। उस वक्त मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव व आइपीआरडी के प्रधान सचिव डी के तिवारी हुआ करते थे। उन्होंने माइक पकड़ी और बड़े ही प्रेम से यह कह डाला कि मुख्यमंत्री और आप पत्रकारों के बीच का रिश्ता पति–पत्नी का होता है, इसलिए वे मुख्यमंत्री से अनुरोध करेंगे कि वे आपसभी को संबोधित करें।
इधर मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने सभी पत्रकारों को संबोधित किया और फिर शुरु हुआ पत्रकारों द्वारा प्रश्न पूछने का सिलसिला। सवाल भी ऐसे थे, जैसे लगता था कि प्रशासन के लोगों ने ही तैयार किये हो? जरा देखिये एक एजेंसी का संवाददाता क्या पूछ रहा हैं, मुख्यमंत्री जी आपने तो ऐसे बहुत अच्छे–अच्छे काम किये हैं, पर उन अच्छे कामों में वो सुन्दर सा काम कौन था, जो आपको आह्लादित करता है, जब वह न्यूज एजेंसी का संवाददाता यह सवाल कर रहा था, तब उसका चेहरा देखते ही बन रहा था और जो डी के तिवारी ने पति–पत्नी का सबंध वाली बात कही थी, उस पत्रकार के मुख पर आ रहे भाव से परिलक्षित भी हो रही थी।
आश्चर्य इस बात की भी कि किसी पत्रकार ने ये सवाल नहीं पूछा कि क्या एक पत्रकार का संबंध किसी राजनीतिज्ञ से पति – पत्नी का हो सकता हैं, गर पति पत्नी जैसा संबंध राजनीतिज्ञों और पत्रकारों के बीच होगा। तो फिर क्या ऐसे में उस राज्य अथवा उस राजनीतिज्ञ या जनता का भला होगा। गर नहीं तो फिर पति – पत्नी का संबंध कैसे? चूंकि उस पत्रकार सम्मेलन में मैं भी गया था — मुझसे रहा नहीं गया।
मैने पूछ दिया कि मुख्यमंत्रीजी पहली बार किसी अधिकारी वह भी डी के तिवारी के मुंह से सुनने को मिला कि पत्रकारों और आपके बीच संबंध – पति पत्नी का हैं, तो इसमें आप ये बतायें कि पत्रकार और राजनीतिज्ञ यानी आप के बीच में पति कौन हैं और पत्नी कौन हैं? और जब पति — पत्नी का संबंध हैं तो फिर पति – पत्नी के बीच जब संवाद होता हैं तो उसमें तीसरा कोई नहीं होता — ये अधिकारी पत्रकारों और आपके बीच में दीवार क्यों बन रहे हैं, इनकी क्या आवश्यकता?
फिर क्या था — पूरा एटीआई हंसी के ठहाकों से गूंज उठा। इसी दरम्यान डी के तिवारी उठे और कुछ टोका टाकी की। मैंने स्पष्ट कह दिया कि वे आराम से बैठे और मुझे सवाल करने दे, गर सवाल नहीं करने देंगे तो मैं इस पत्रकार सम्मेलन से उठकर चल दूंगा। मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया और उन्होंने मुझे प्रश्न पूछने दिया। मुख्यमंत्री ने अपने उत्तर में उस दिन कहा था – ये शोध का विषय हैं कि हममें से पति कौऩ हैं और पत्नी कौन हैं और ये शोध आप पत्रकार ही करें तो बेहतर होगा। फिर एटीआई ठहाकों से गूंज उठा।
आज जैसी झारखण्ड में पत्रकारिता चल रही हैं, कमोबेश यहीं स्थिति सभी जगह की हैं, कल एक आइएएस ने पत्रकारों को पत्नी बताने की कोशिश की, आज जो स्थिति हैं पत्रकार स्वयं कई राजनीतिज्ञों के पत्नी बनने को तैयार हैं, और उसका लाभ भी उठा रहे हैं, अगर यही स्थिति रही, तो जनता ने तो इन्हें कब का अपने नजरों से उतार दिया हैं, आनेवाले समय में इन्हें दौड़ा कर पीटेगी भी, और वह भी यह कहकर कि हमने तो तुम्हें पत्रकार समझा, तुम तो राजनीतिज्ञों की पत्नी बन बैठा, निकल यहां से…