प्रभात खबर की बेशर्मी देखिये…
दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक अमरकांत की मां जानकी देवी का शुक्रवार को चास (बोकारो) में निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थी। उनका अंतिम संस्कार चास में ही कर दिया गया। यह खबर दैनिक भास्कर में भी है और इस खबर को प्रभात खबर ने भी स्थान दिया है, पर जरा प्रभात खबर की बेशर्मी और बेहयाई देखिये। इसने इस खबर को देने में दोगलई का सारा रिकार्ड तोड़ दिया। इसने अमरकांत को दैनिक भास्कर का स्थानीय संपादक न बताकर, शहर का पत्रकार बताया है। अब प्रभात खबर यह बताये कि यह शहर का पत्रकार क्या होता है?
क्या प्रभात खबर में कार्य कर रहे किसी स्थानीय संपादक, प्रधान संपादक या कार्यकारी संपादक के यहां भी कोई हृदयविदारक घटना घटेगी और दूसरे अखबार वाले भी इनकी खबर को छापने के समय उन्हें शहर का पत्रकार बतायेंगे तो अच्छा लगेगा। अगर जलन और ईर्ष्या इतनी ही भरी-पड़ी है, तो अच्छा है कि आप इस खबर को अपने अखबार में स्थान ही न दें, और अगर स्थान दें तो किसी व्यक्ति को सम्मान भी दें, क्योंकि सम्मान देने से आपका भी सम्मान और व्यक्तित्व निखरता है, पर ओछी हरकत करने से तो आपका सम्मान झलक जाता है कि आप की मानसिकता किस कोटि की है।
हर व्यक्ति और हर संस्थान को चाहिए कि किसी से भी आपकी दुश्मनी कितनी भी निचली स्तर की क्यों न हो, पर दुख में हमेशा अपनी मानवीयता उच्चकोटि की रखे, खुलकर सम्मान दें, क्योंकि मौत एक ऐसी सच्चाई है, जिसे सभी को दो-चार होना पड़ता है, ये सब को मालूम होना चाहिए, क्योंकि यह ध्रुव सत्य है। प्रभात खबर जान ले कि अमरकांत को शहर का पत्रकार लिख देने से अमरकांत का सम्मान नहीं गया, बल्कि प्रभात खबर की मानसिकता के बारे में सभी को पता चल गया। पता चल गया कि यहां के प्रधान, कार्यकारी और स्थानीय संपादकों की मानसिकता किस कोटि की है!
बहुत सही,लेकिन क्या किजियेगा ,लोग दुसरों पर उंगली उठाने ले लिये हमेशा तत्पर रहते हैं, लेकिन वे भुल जाते हैं कि अगर आप किसी के तरफ एक उंगली उठाते हो तो ,तीन उंगली तुम्हारे तरफ इशारा करती है कि प ज ले खुद अपने आपको देख,तब दुसरों पर उंगली उठाना।