CM की फिसली जुबान, कहा झारखण्ड ‘आदिवासी मुक्त’ राज्य बने, फिर सुधारा ‘प्लास्टिक मुक्त’ कहा
आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिवस है, सभी भाजपाई अपने-अपने ढंग से उनके जन्मदिवस को मना रहे हैं, मना तो वे लोग भी रहे हैं, जो सरकार में हैं, जो उनकी कृपा से सत्ता का परम आनन्द ले रहे हैं, परम सुख को प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन आज झारखण्ड में उसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर, उनके जन्मदिवस के दिन ही दो घटनाएं घट गई, जो बताता है कि राज्य में जो लोग सत्ता सुख भोग रहे हैं, वे नरेन्द्र मोदी को लेकर कितने सजग है और वे सही मायनों में नरेन्द्र मोदी को कितना सम्मान दे रहे हैं?
जरा देखिये एक राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी है, जो प्रधानमंत्री के जन्मदिन के दिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम ही भूल गये, जिनका छोटा सा विडियो खूब वायरल हो रहा है, ऐसे भी रामचंद्र चंद्रवंशी अपनी व्यवहारों-हरकतों से कई बार सुर्खियों में रहे हैं। सुर्खियों में तो हमारे राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास भी है, जिनके कई विडियो आज भी यू-ट्यूब में भरे –पड़े हैं, जिसको आज भी देख-सुनकर लोग हंसे बिना नहीं रह पाते, इनके जुबान इतने फिसलते हैं कि पूछिये मत…
हाल ही में भाषण के क्रम में उन्होंने यह कह दिया था कि “प्रधानमंत्री जी हमेशा न्यू इंडिया की बात करते हैं, हमें न्यू झारखण्ड बनाना है, एक ऐसा झारखण्ड जहां न भ्रष्टाचार हो, न बेईमानी हो, न गरीबी हो, न शिक्षा हो” यानी भ्रष्टाचार, बेईमानी और गरीबी को मिटाने के चक्कर में मुख्यमंत्री राज्य से शिक्षा को भी मिटा देने की भी बातें कर दी, बाद में उनके संग चलनेवाली मंडलियों ने कह दिया, मुख्यमंत्री की जुबान फिसल गई थी।
एक बार सदन में भी उनकी जुबान फिसल गई थी, जब उन्होंने विपक्ष के लिए असंसदीय भाषा का प्रयोग किया था, जिसे लेकर विपक्ष कई दिनों तक आक्रोशित रहा। कभी पलामू की जनसभा में उन्होंने ब्राह्मण समुदाय के उपर गंभीर टिप्पणी कर डाली थी, जिसको लेकर पूरे राज्य में ब्राह्मणों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया था और लीजिये आज तो उन्होंने हद कर दी, अपने जुबान को एक बार और स्लिप करा दिया, जरा देखिये, ये कहना क्या चाहते थे और क्या कह दिये?
आज खूंटी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिवस मनाया जा रहा था, उसी क्रम में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था, कार्यक्रम का नाम था – सेवा से समृद्धि की ओर। इस कार्यक्रम में लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष करिया मुंडा, वर्तमान जनजातीय केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मौजूद थे।
भाषण देने के क्रम में ही बात प्लास्टिक की आई और मुख्यमंत्री रघुवर दास पूरे राज्य से आदिवासियों को मुक्त करने की बातें कह डाली, जब उन्हें ऐहसास हुआ कि उनके जुबान से कुछ गलत निकल गया, तब उन्होंने उसे सुधारा और आदिवासियों की जगह प्लास्टिक मुक्त झारखण्ड बनाने की बात कही। आखिर क्या कहा मुख्यमंत्री ने जरा उस लाइन को देखिये – “प्रधानमंत्री रांची आये थे, उन्होंने झारखण्डवासियों से भी अपील की, कि देश का झारखण्ड पहला राज्य बने, जो आदिवासी मुक्त (जुबान फिसल गई), प्लास्टिक मुक्त हो।”
हालांकि इस पर उनके कुछ विरोधी लोगों ने चुटकी भी ली कि भाई जो दिल की बात होती हैं, वो अचानक जुबां पर आ ही जाती है, मुख्यमंत्री आदिवासी मुक्त झारखण्ड बनाने में रुचि रख ही रहे हैं, इसमें गलत क्या है? ये जुबान का फिसलना दूसरे के लिए हो सकता है, पर सच तो सच है। इधर मुख्यमंत्री के संग चलनेवाली मंडली को जैसे ही सीएम की जुबान फिसलने की सूचना मिली, वे मुख्यमंत्री के भाषण को रफू करने में लग गये।
सीएम की जुबान फिसली नहीं उनके अंदर की सच्चाई निकल गई। सीएम ने सत्य का सहारा लिया और बोल गए। अब जनता को सोचना है कि शिक्षा रहेगी या ना रहेगी। झारखंड में आदिवासी रहेंगे या ना रहेंगे।