जनता मोटर व्हेकिल एक्ट का उल्लंघन कर लें तो उसका कॉलर पकड़ा जाता है और CM करें तो…
जब राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गत् 13 सितम्बर को अचानक नये मोटर व्हिकल अधिनियम को तीन महीने के लिए शिथिल करने की अधिसूचना जारी की, तो अचानक भाजपा के महान कार्यकर्ताओं, रघुवर भक्तों तथा उनके समर्थकों ने राज्य के हूकुमत-ए-झारखंड को इस कदर पेश किया, जैसे लगता हो कि उन्होंने कोई नजीर पेश कर दिया हो, पर उसी दिन विद्रोही24.कॉम ने एक आर्टिकल अपने पोर्टल पर “चुनाव प्रचार में भाजपाइयों को दिक्कत से बचाने के लिए सीएम रघुवर ने चालान काटने पर लगाई रोक” नामक हेडिंग से समाचार पोस्ट किया।
जिसे भाजपा छोड़कर करीब-करीब सारे लोगों ने सराहा और बताया कि यही सच्चाई भी है, पर आज जिस प्रकार से राज्य के होनहार मुख्यमंत्री एवं हूकुमत-ए-झारखण्ड, शहंशाहे झारखण्ड जिस गाड़ी से “जोहार जन आशीर्वाद यात्रा” शुरु कर रहे हैं और जिस प्रकार से उस वाहन के द्वारा मोटर वाहन अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और इस अधिनियम की धज्जियां उड़ाने में जिस प्रकार राज्य के परिवहन मंत्री, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव एवं विभिन्न जिलों के डीटीओ ने अपनी भूमिका निभाई हैं।
वह बताता है कि राज्य में भाजपाइयों के पालन के लिए कानून नहीं बना है, बल्कि ये आम नागरिकों के लिए कानून बना है, यानी सरकार और सरकार से जुड़े लोग, चाहे जो करें, पर जनता यहीं गलती करें तो उसका कॉलर पकड़ लो, उसकी इज्जत लूट लो और राज्य के मुख्यमंत्री करें, तो उनकी जय-जय करो। जरा देखिये, गिरिडीह के रहनेवाले प्रभाकर ने कैसे मुख्यमंत्री के जोहार जन आशीर्वाद यात्रा में उपयोग होनेवाले वाहन की जांच-पड़ताल कर, मुख्यमंत्री के इस जोहार जन आशीर्वाद यात्रा की हवा निकाल दी है। प्रभाकर ने अपने सोशल साइट फेसबुक पर लिखा है कि –
“झारखण्ड सरकार के नए मोटर वाहन अधिनियम को शिथिल करने से जोहार जन आशीर्वाद यात्रा में शामिल ऐसी गाड़ियों को सबसे ज्यादा राहत मिली। गाजियाबाद से पंजीकृत यह वाहन अन-ऑथोराइज्ड अल्टरेशन के साथ कॉन्ट्रेक्ट कैरिज परमिट पर झारखण्ड की सड़कों पर दौड़ रही है। नए अधिनियम के तहत इस वाहन पर जुर्माने की रकम न्यूनतम दो लाख होनी चाहिए। सौभाग्य से वाहन मालिक अभिषेक गौतम का पैसा बचा दिया गया और हां जरा हिम्मत हो तो बिना हेलमेट के चलकर दिखाओ, रांची पुलिस सीधे गट्टा पकड़कर, पटक-पटक कर पीटेगी। वैसे एक बात और इस सत्ता ने केवल नौकरियां ही यूपी वालों को बांटी, बल्कि रोजगार के साधन भी… क्या झारखण्ड के किसी बंदे में इतनी ताकत नहीं थी, जो एक बस किराए पर दे सकता?”
प्रभाकर के इस पोस्ट ने तहलका मचा दिया है, प्रभाकर अपने पोस्ट पर कहते है कि कम से कम आम आदमी पार्टी, झारखण्ड को रांची आरटीओ से इस बाबत पूछना चाहिए कि यह दूसरे स्टेट का वाहन पिछले 30 दिन से भी अधिक समय से झारखण्ड की सड़कों पर बिना बॉडी टाइप अल्टरेशन के कैसे घुम रहा है? साथ ही इस बावत इसने कितना पैसा टैक्स के रुप में जमा कराया है?
प्रभाकर यह भी कहते है कि अगर इस डिजिटल इंडिया के युग में सरकारी वेबसाइट में उपलब्ध डाटा की मानें, तो उत्तर प्रदेश से पंजीकृत यह वाहन एमवी एक्ट में वर्णित बस के लिए मानकों के विरुद्ध अल्टरेशन के लिए संबंधित एमवीआई का आदेश दर्ज नहीं है। वाहन में लिखी 65 पास से स्पष्ट है कि यह वाहन दिसम्बर 2019 तक झारखण्ड में ही दौड़ेगी अर्थात् 30 दिन से अधिक समय तक स्थायी रुप से इसी राज्य में रहेगी। एमवी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार इस वाहन मालिक को स्थानीय पता दर्ज कराना आवश्यक प्रतीत होता है, जो सरकारी वेबसाइट पर नहीं है।
दूसरे राज्यों की पंजीकृत वाहनों के प्रवेश और परिचालन पर देय टैक्स भी इस वाहन के मामले में सरकारी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है अर्थात् टैक्स का भुगतान नहीं किया प्रतीत होता है। एमवी एक्ट के प्रावधानों की मानें, तो इस वाहन पर चालक का नाम, अनुज्ञप्ति संख्या और परमिटधारी का नाम-पता अंकित होना चाहिए, पर ऐसा कुछ भी नहीं है।