जब 14 सालों तक चोरों के गठबंधन का शासन था, तो फिर अर्जुन मुंडा के बारे में क्या ख्याल है? CM साहेब
इन दिनों राज्य के अब तक के सर्वाधिक स्वघोषित होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास मूड में हैं, वे क्या बोल रहे हैं? उनको खुद नहीं सूझ रहा, लेकिन मुख्यमंत्री के अनाप–शनाप भाषण पर भी उनके चाहनेवाले खुब लोट–पोट हो जा रहे हैं, उन लोट–पोट होनेवालों को यह भी नहीं पता कि मुख्यमंत्री अपने भाषण के द्वारा अपने ही पार्टी (भाजपा) से पूर्व में बने मुख्यमंत्री को चोर कहने से भी नहीं चूक रहे।
दरअसल हुआ यह कि कल यानी 23 सितम्बर को राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने जन–आशीर्वाद यात्रा के क्रम में संथाल परगना के नोनीहाट में थे, जहां भाषण के दौरान यह कह दिया कि “ये चोर लोग का गठबंधन, 13-14 साल ये कांग्रेस आरजेडी गठबंधन की सरकार देख ली, झारखण्ड की कितनी बदनामी हुई, अगर अलग राज्य के बाद से ही राज्य में स्थिर सरकार होती तो आज झारखण्ड विकास की नई ऊंचाई पर होता”
अब सवाल उठता है कि झारखण्ड बने मात्र 19 साल हुए हैं, जिसमें पांच साल खुद शासन किया और फिर बचता है चौदह साल। खुद मुख्यमंत्री नोनीहाट में अपने भाषण के क्रम में बोलने से नहीं चूकते कि ये चोर लोग का गठबंधन, और फिर उसमें 13-14 साल कांग्रेस–आरजेडी का गठबंधन के सरकार का जिक्र कर देते हैं, जबकि जिन्हें झारखण्ड की राजनीति की एबीसी की भी जानकारी है, उन्हें पता है कि इन बाकी बचे चौदहों सालों में थोड़े से पल निकाल दें, तो ज्यादातर समय इन्हीं के पार्टी का शासन रहा।
जिसमें ये खुद कभी मंत्री तो कभी उप मुख्यमंत्री रहे। ये खुद भी जानते है कि इसी चौदह सालों में अर्जुन मुंडा जो फिलहाल केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय संभाल रहे हैं, वे तीन–तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने, कभी भाजपा की ओर से राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी भी रहे, जिनके नेतृत्व में इन्होंने श्रम नियोजन मंत्रालय भी संभाला, पर इसके बावजूद सत्ता की लालच में आकर, स्वयं को स्वयंसिद्ध बनाने की कोशिश और दूसरे को चोर बनाने की प्रवृत्ति क्या दर्शाता है?
और अगर चौदह सालों में चोर लोग का गठबंधन सरकार में था, तो फिर अब तक चले इन गठबंधनों की सरकारों के मुखिया पर इन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की, किसने रोक रखा था, वह भी डबल इंजन की सरकार में। क्या रघुवर दास चुनावों में जिक्र करने के लिए इन बातों को अपने दिलों–दिमाग में रखे हुए थे।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो किसी भी राजनीतिज्ञ को अनाप–शनाप बोलने से बचना चाहिए, दरअसल अनाप–शनाप और दूसरे को चोर वहीं बोलते है, जिनके पास बोलने को कुछ नहीं होता और इसी चक्कर में वे अपने लोगों को भी समेट लेते हैं, जैसा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नोनीहाट में यह कहकर अपनी ही पार्टी के लोगों को लपेटे में ले लिया कि तेरह–चौदह साल चोर लोग का गठबंधन।
अब सवाल तो यह भी है कि झारखण्ड बनने के बाद से लेकर अब तक गठबंधनों की ही सरकार रही हैं। आज भी मुख्यमंत्री रघुवर दास ये नहीं कह सकते कि उनकी अपनी सरकार है, आज भी वे आजसू की वैशाखी पर ही टिके हैं, क्या झारखण्ड की जनता ये नहीं जानती है कि रघुवर सरकार ने सत्ता हासिल करने के बाद पहला काम यह किया कि वह झाविमो के छः विधायकों को प्रलोभन देकर भाजपा में मिला लिया, यानी खुद भी गठबंधन में चल रहे हैं और खुद को स्थिर और मजबूत बता रहे हैं।
सच्चाई तो यह है कि आज केन्द्र से मोदी गायब तो फिर ये रघुवर कहां फेकायेंगे, पता ही नहीं चलेगा, ऐसे भी इसकी कोई गारंटी भी नहीं कि विधानसभा में इन्हें पूर्ण बहुमत मिल ही जाये, क्योंकि अब तक का जो झारखण्ड का इतिहास रहा है कि झारखण्ड में किसी भी पार्टी को अकेले बहुमत नहीं मिली, सभी ने मिल–जुलकर शासन चलाया, ऐसे भी डबल इंजन की सरकार में भी जितना भ्रष्टाचार का आरोप रघुवर सरकार पर लगा, उतना किसी पर नहीं, पर ये बच सिर्फ इसलिए रहे, क्योंकि केन्द्र में मोदी सरकार हैं, तथा राज्य में बिके हुए अखबार और चैनल है, नहीं तो ये रघुवर सरकार की तो कब की मिट्टी पलीद हो जाये।
इनके कुकृत्य की चर्चा तो संयुक्त राष्ट्र संघ तक हो चुकी है, क्या लोगों को नहीं पता कि संयुक्त राष्ट्र संघ में तबरेज का मामला चल गया, क्या लोगों को नहीं पता कि भूख से संतोषी की मौत ने पूरे विश्व में झारखण्ड की प्रतिष्ठा धूल में मिला दी, फिर भी भाजपा के लोग किस प्रकार निर्लज्जता के साथ विकास की बात करते हैं, समझ में नहीं आ रहा।