एक से एक नमूने हैं, जहांपनाह ने बोतल क्या उठाया, संपादक को कमिटमेंट नजर आया, अथ बागी उवाच
एक से एक नमूने संपादक हैं यहां, जो एक से बढ़कर एक चिरकूटई कर रहे हैं, चापलूसी के सारे रिकार्ड अपने पास रख रहे हैं, ताकि वे इस चुनावी वर्ष में वित्तीय लाभ ले सके और उसके लिए ये हर प्रकार के वो हथकंडे अपना रहे हैं, जो पत्रकारिता के मूल्यों व सिद्धांतों के प्रतिकूल है।
15 सितम्बर 2018 – रांची के डिबडीह गांव का नया टोला यहां स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का आयोजन था, मुख्यमंत्री रघुवर दास एवं नगर विकास मंत्री सी पी सिंह अपने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पहुंचे थे, यहां हुआ क्या था? इन दोनों के आने के पहले रांची नगर निगम इस बस्ती में एक दिन पहले ही यानी 14 सितम्बर को लगकर रातों-रात सफाई अभियान चला दिया और ये लोग 15 सितम्बर को नये-नये झाड़ू पकड़ें, फोटो खिचाई और लीजिये कार्यक्रम को सफल घोषित करवा दिया।
11 सितम्बर 2019 को रघुवर सरकार बड़े ही ताम-झाम से स्वच्छता ही सेवा अभियान नाम का विज्ञापन सारे अखबारों में निकलवाई और उसमें थर्मोकोल को ना कहने का अनुरोध की, और ठीक उसके दूसरे दिन मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने ही प्रिय सांसद संजय सेठ के साथ थर्मोकोल से ही बने थाली में भोजन करते हैं, और उसे अपने सोशल साइट पर डालते हैं, प्रमाण आपके सामने हैं, पर राज्य और राज्य के बाहर मुख्यमंत्री के टुकडों पर पलनेवाले छुटभैये एवं चिरकुट संपादकों को यह सब दिखाई नहीं देता, क्योंकि थर्मोकोल का उपयोग तो ये भी खुब जमकर करते हैं और स्वच्छता ही सेवा अभियान की धज्जियां उड़ाते हैं, जरा देखिये प्रवीण बागी का यह सोशल साइट पर किया गया पोस्ट सब पता लग जायेगा।
दरअसल ऐसे संपादकों को सिर्फ वही दिखाई देता हैं, जो सीएमओ द्वारा दिखाया जाता है, और सीएमओ के इशारे पर वे अखबारों व चैनलों में सीएम रघुवर के फेवर में उनका सुंदर सा चेहरा जो एक्चूएली में हैं नहीं, उसे दिखाने का जनता में प्रयास किया जाता है, आश्चर्य है कि ये छुटभैये संपादक अपने सोशल साइट तक का इसके लिए यूज करते हैं, और जनता जब इन्हें उनके ही वॉल पर कमेन्ट्स देकर थूकती हैं, उसके बाद भी इन्हें शर्म महसूस नहीं होता, ताजा मामला इटीवी भारत में काम कर रहा प्रवीण बागी का है।
प्रवीण बागी ने अपने फेसबुक में सीएम को बॉटल उठाते हुए फोटो देते हुए लिखा कि “झारखण्ड के सीएम रघुवर दास एक पूजा पंडाल में जा रहे थे। अचानक उनकी नजर रास्ते में फेके वाटर बोतल पर पड़ी। बिना कुछ कहें उन्होंने बोतल उठा लिया। इसे कहते हैं कमिटमेंट। इससे सीख लेने की जरुरत है।”
यानी इस घटना को उसने कमिटमेंट की संज्ञा दे दी, पर प्रवीण बागी यह भूल गया कि यहीं सीएम रघुवर कभी हाथी उड़ाने का भी कमिटमेंट जनता के साथ किया था, क्या वह हाथी उड़ गया? आखिर हाथी उड़ानेवाले कमिटमेंट का क्या हुआ? दरअसल संपादक को संपादक होना चाहिए, पर आजकल नये संपादक हो रहे हैं, कोई मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री का चरण छूकर धन्य हो जाता हैं और कुछ प्रवीण बागी जैसे टाइप आचरण करता हैं, संयोग हैं ये दोनों कैरेक्टर पटना में ही निवास करते हैं।
हां, यह जानकर खुशी हुई कि प्रवीण बागी के इसी पोस्ट पर कई लोगों ने उन्हें इस प्रकार धो डाला कि उनकी जितनी प्रशंसा की जाय कम हैं, पर प्रवीण बागी को इसमें शर्म आई होगी, हमें ऐसा नहीं लगता, क्योंकि शर्म उन्हें लगता है, जिन्होंने शर्म को गहना बनाया हो, जिन्होंने शर्म के गहने को कब का उतारकर गटर में फेंक दिया, उन्हें इन सबसे क्या फर्क पड़ता हैं, फिर भी जानिये, कि लोगों ने उन्हें किस प्रकार फटकारा हैं।
संजय वर्मा – ई त आपके हिसाब से बड़े काबिल है रघुवर दास इहे कहना चाह रहे हैं।
गुंजन ज्ञानेन्द्र सिन्हा – क्या बागी जी? क्या कहें, इस नौटंकी सीएम के राज्य में तीन लाख पेड़ काटे जा रहे हैं और ये प्लास्टिक बीन के फोटो खिंचा रहे हैं, लानत है, प्लास्टिक बीननेवाली हजारों औरतें और बच्चे हैं, अगर उन्हें मेहनताने दीजिये तो इस फोटो पैथी से बेहतर परिणाम मिलेंगे।
नवीन उपाध्याय – दिस इज फोर मीडिया, नथिंग एल्स।
आशीष अभिनव – झारखण्ड के सीएम रघुवर दास एक पूजा पंडाल में जा रहे थे, अचानक उनकी नजर रास्ते में फेंके बोतल पर पड़ी। बिना कुछ कहे उन्होंने बोतल उठा लिया…सवाल ये हैं कि ये करने में महज 3 से 4 सेंकेड का वक्त लगा होगा… कितनी कमाल की बात है सीएम झूके ही थे कि कैमरा पहले से रेडी था, सीएम झूके फोटो क्लिक? इसे कहते हैं – कमिटमेंट… इससे सीख लेने की जरुरत है।
अभिजीत कुमार – उनकी नजर जरुर कैमरे पर थी, तभी तो उन्होंने ऐसा किया और उसकी तस्वीर आपके पास आ गई।
रजनीश कुमार शाही – जी इसे कहते हैं नौटंकी, ये अपने आका का नकल करने की कोशिश कर रहे हैं।
मल्लिक असगर हाशमी – असली और 100 टके का सवाल है, कि सीएम के रास्ते में अच्छी तरह सफाई नहीं करने की कोताही का जिम्मेवार कौन है?
अमित सिन्हा – भैया जी, निश्चित रुप से इनसे सीख लेने की जरुरत है, दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्री को, कि महज पांच साल में कैसे किसी राज्य को बर्बाद किया जा सकता है, कि कैसे बड़बोलेपन में किये गये कई वायदों को पूरा न करने के बावजूद कैसे अपनी गाल बजाई जा सकती है, कि कैसे सबसे ज्यादा भीतरिया माल देनेवाले विधायक को हर अपराध के लिए खुली छूट दी जाती है। इतने कारनामे हैं कि लिखने में पूजा पार हो जायेगा, इनसे सीख तो नहीं लेगी जनता, पर इन्हें इस चुनाव में सीखा जरुर देगी, तभी तो अपने निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ रांची से लड़ने के जुगाड़ में लगे हैं।
मनोज कुमार – सब दिखावा
निलेश कुमार मुकुल – वाह क्या बात है? रघुवर के दूसरे रुप को भी बताया जाय महोदय, ये उस राज्य के राजा है, जिस राज्य में पानी के जगह दारु, खाने के जगह कोयला का बेहतर प्रयोग किए जाते रहे हैं।
अब चलते-चलते
मुद्दे की बात यह है कि जहां प्रवीण बागी काम करते हैं, उस कार्यालय में अभी भी कई प्लास्टिक की बोतले या थर्मोकोल की सामग्रियां इधर-उधर मिलेंगी, जिसे फेंकने के लिए वहां ऑफिस ब्वॉय अलग से होगा, न कि रघुवर दास और न प्रवीण बागी, समझे या और ज्यादा समझाऊं।
Vommiitment of false commitment crossfire’s with public sense