इधर एक महिला की गुहार को SSP, DC, CO हवा में उड़ाते रहे और इधर भू-माफिया तबाही मचाते रहे
एक महिला भू-माफियाओं से टाटीसिलवे के सरला बिरला स्कूल के ठीक सामनेवाली सरकारी जमीन बचाने के लिए रांची के उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक, नामकोम की अंचलाधिकारी और टाटीसिलवे थाना के थानेदार को बार-बार फोन करती रही, गुहार लगाती रही कि भू-माफिया सरकारी जमीन को कब्जा कर रहे हैं, उस जमीन पर लगे सैकड़ों पेड़ों को बेदर्दी से काट रहे हैं, प्लीज उसे बचाइये, कुछ करिये।
पर क्या मजाल कि ये अधिकारी उस महिला की गुहार को सुनने में दिलचस्पी दिखाये, क्या मजाल की जिस सरकारी वेतन से इनका घर चलता हैं, उस सरकार की जमीन को बचाने के लिए थोड़ा दिमाग दौड़ाएं, वे तो भू-माफियाओं की मदद करने में ही ज्यादा दिमाग लगा दिये, तभी तो उस जमीन पर हंसते-खेलते पेड़ भू-माफियाओं द्वारा जेसीबी चलाकर काट डाले गये, कमाल हैं पर्यावरण पर काम करनेवाले लोग और पर्यावरण विभाग भी आंख मूंद कर सोए रहा, और पेड़ कटते चले गये, अब राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास बताए कि उनके अधिकारी किसके लिए विभिन्न पदों को सुशोभित कर रहे हैं, जनहित के लिए या भू-माफियाओं के हित के लिए?
घटना 18 अक्टूबर की हैं, टाटीसिलवे की रहनेवाली समाजसेवी महिला अर्चना मिश्रा अकेले भू-माफियाओं से लड़ रही हैं, पर कोई उनकी मदद नहीं कर रहा। वह विद्रोही24.कॉम को बताती है कि 18 अक्टूबर को वह रांची के डीसी, एसएसपी, नामकोम सीओ और टाटीसिलवे थानेदार को कई बार फोन की, बार-बार कहा कि भू-माफिया सरकारी जमीन पर कब्जा जमा रहे हैं, पेड़ काट रहे हैं, पर किसी ने नहीं सुनी, अगर ये लोग सुने होते, तो आज पेड़ नहीं कटते, वो कहती हैं, जो सेवा की कसमें खाते हैं, जो सरकारी धन व संपत्ति के संरक्षण का व्रत लेते हैं, जब वे ही उदासीनता दिखायेंगे तो भू-माफियाओं का मनोबल बढ़ेगा ही।
अर्चना मिश्रा बताती है कि 26 अगस्त 2016 को महिलोंग ग्राम सभा से यह पास हुआ था कि महिलोंग स्थित सरला बिरला स्कूल के सामने एक नक्षत्र वाटिका बनेगा तथा वहां जो अभी छोटा सा तालाब हैं, उसका सौंदर्यीकरण होगा। बाद में ग्राम सभा के इसी प्रस्ताव के बाद पद्मश्री बलबीर दत्त के हाथों यहां 2017 में वृक्षारोपण के तहत सैकड़ों पेड़ लगाये गये और आज ये स्थिति है कि देखते-देखते एक दिन में ही पेड़ काट डाले गये।
अर्चना मिश्रा बताती है कि जब नामकोम के अंचलाधिकारी मनोज कुमार थे, तब भी भू-माफियाओं ने इस जमीन को कब्जे में लेने की कोशिश की थी, और जब उन्होंने इसकी शिकायत मनोज कुमार से की, तो उन्होंने संज्ञान लिया और इस सरकारी जमीन को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अर्चना मिश्रा बताती है कि पहले के टाटीसिलवे के थानेदार भी सरकारी जमीन को बचाने में लगे रहे, पर वर्तमान थाना प्रभारी संतोष कुमार ने तो गजब कर दिया, वो जब-जब थाना प्रभारी संतोष कुमार को सरकारी जमीन बचाने तथा कट रहे पेड़ को बचाने की गुहार लगाई, उनका यही कहना था कि जब तक सीओ नहीं कहेंगी, वो कुछ नहीं करेंगे और जब सीओ को फोन लगाती तो सीओ कहती कि उन्होंने थानेदार को कह दिया और इसी सीओ-थानेदार के चक्कर में वो काम हो गया, जिसको लेकर प्रधानमंत्री क्या पूरा विश्व चिन्तित हैं, लेकिन यहां की सीओ, थानेदार, डीसी, एसएसपी यहां तक की राज्य का भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री कितना चिन्तित हैं, वहां का दृश्य देखकर समझा जा सकता है।
अर्चना मिश्रा बताती है कि जब बार-बार उन्होंने सीओ को इस पर एक्शन लेने को कहा तब सीओ शुभ्रा रानी ने झूंझलाकर 18 अक्टूबर को अमीन और सरकारी कर्मचारी को जमीन मापी के लिए भेजा, अमीन और सरकारी कर्मचारी ने जमीन की मापी कर ली, और अपनी रिपोर्ट सोमवार यानी आज तक सीओ को देने की बात कही थी, इधर जमीन मापी हो जाने के बाद भी भू-माफियाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था, तब 19 अक्टूबर को एक बार फिर अर्चना मिश्रा ने इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की।
19 अक्टूबर को ही जब अमीन और सरकारी कर्मचारी घटनास्थल पर आये, तभी अमीन और सरकारी कर्मचारी ने उनके (अर्चना मिश्रा) के सामने ही जमीन की मापी के वक्त उपस्थित एएसआई और फोन कर थानेदार संतोष कुमार को बताया था कि यह सरकारी जमीन है, और इस सरकारी जमीन को भू-माफियाओं से बचाना उनका कर्तव्य हैं, फिर भी संतोष कुमार थानेदार ने कुछ नहीं किया, अब आगे क्या होगा? भगवान जाने, क्योंकि जो स्थितियां है, वो लगता है कि यहां के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्री तक भू-माफियाओं के लिए अनुकूल बना दी हैं, और जो सरकारी जमीन को बचाने के लिए लड़ रहा हैं, ये लोग उन्हें महामूर्ख ही समझ रहे हैं, नहीं तो टाटीसिलवे मामले में ऐसा नहीं होता।
हम बता दे कि भू-माफियाओं की इस जमीन पर इसलिए नजर है, क्योंकि मौजा महिलौंग के प्लाट नंबर 1372 रकबा 0.63 एकड़ भूमि सर्वे खतियान में बकास्त मालिक लगान पानेवाला सेक्रेटरी ऑफ इस्टेट फोर इन कौन्सिल के नाम से दर्ज है तथा मौजा महिलौंग प्लाट नंबर 1373 रकबा 0.56 एकड़ भूमि सर्वे खतियान गैरमजरुआ मालिक किस्म परती पत्थर दर्ज है। विद्रोही24.कॉम के पास वो कागज भी मौजूद हैं, जिसमें सूचना के अधिकार के तहत पूर्व के अंचलाधिकारी ने इन सारी जमीनों को सरकारी जमीन बताया हैं, उसके बावजूद भी वर्तमान अंचलाधिकारी और टाटीसिलवे थानेदार की भूमिका संदेह को जन्म दे रहा हैं, साथ ही उपायुक्त रांची, एसएसपी रांची, मंत्री भूमि सुधार एवं राजस्व पर भी संदेह स्वयं उत्पन्न कर रहा है।
एक तरफ ये सरकार पेड़ बचाने का मुहिम चलाती है,तो दूसरी तरफ एक महिला की गुहार कोई नहीं सुनता,फिर इतने सारे शिकायती नम्बर दावे और महिला संरक्षण की बात झूठी बेमानी लगती है।