स्वयं को दिव्य प्रकाश से आलोकित करने का पर्व हैं दीपावली, इसे ऐसे जाने मत दीजिये – चिदानन्द
भारत दौरे के दौरान रांची प्रवास पर आये सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप एवं योगदा सत्संग सोसाइटी के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने योगदा संत्संग मठ में एक बड़ी आध्यात्मिक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का अर्थ ही हैं, प्रकाश की ओर गमन करनेवाले लोगों का देश। प्राचीन काल से ही भारत के ऋषियों ने मन के अंधकार पर विजय प्राप्त करने के लिए दिव्य आध्यात्मिक प्रकाश को पाने को सदैव उत्सुक रहें, और उसे पाने में कामयाब भी रहे।
जिसका परिणाम यह हुआ कि पूरा विश्व उस दिव्य आध्यात्मिक प्रकाश को पाने के लिए आज भी लालायित हैं, जिस दिव्य प्रकाश को भारत के ऋषियों-महर्षियों ने पाकर अपने जीवन को धन्य कर लिया। स्वामी चिदानन्द ने कहा कि आज दीपावली है, यह दीपावली भी हमें संदेश देता हैं, वह संदेश यह हैं, कि हमें दिव्य आध्यात्मिक प्रकाश की ओर गमन करने की उत्कंठा को प्रज्जवलित करने का प्रयास निरन्तर करते रहना हैं, क्योंकि बिना उस दिव्य प्रकाश को पाये हमारा हित संभव नहीं।
उन्होंने कहा कि दीपावली का मतलब ही हैं अंधकार पर सदा के लिए विजय पाने का प्रयास, यानी हमें अपने मन के अंदर ऐसे दिव्य दीपक को जलाना हैं, जिसके जलने से हमारा मन का अंधकार सदा के लिए समाप्त हो जाये, क्योंकि स्वयं को दिव्य प्रकाश से आलोकित करने का पर्व हैं दीपावली, इसे ऐसे जाने मत दीजिये। उन्होंने कहा कि भारत के ऋषियों ने ईश्वर को प्राप्त करने के लिए तथा स्वयं को दिव्य प्रकाश से आलोकित करने के लिए एक विशेष वैज्ञानिक तकनीक विकसित की थी, जिस तकनीक को महावतार बाबा जी ने बड़े ही संजो कर रखा और हमें लाहिड़ी महाशय, स्वामी युक्तेश्वर जी के द्वारा होता हुआ, परमहंस योगानन्द जी के माध्यम से हम तक प्राप्त हुआ।
उन्होंने बताया कि वह अत्याधुनिक और वैज्ञानिक पद्धति क्रिया योग हैं, जिससे आप ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं, स्वयं को प्रकाशित कर सकते हैं, बस आपको करना यह है कि इस पर दृढ़ विश्वास करते हुए, आप इसमें रमने की कोशिश करें, आप स्वयं पायेंगे कि आपने उक्त तकनीक के द्वारा स्वयं को कहां पाया। उन्होंने कहा कि दरअसल हम सब एक आत्मा है और इससे अलग कुछ नहीं, और हम परम आनन्द को तभी प्राप्त कर सकते हैं, जब हम दिव्य प्रकाश से अपनी आत्मा को आलोकित कर दें, और जब तक आप ऐसा कर नहीं देते, आपको परम आनन्द प्राप्त नहीं हो सकता।
उन्होंने सभी से कहा कि आज यानी दीपावली का दिन काफी मायने रखता हैं, अगर आप चाहते है कि दीपावली के सही अर्थ को आप जान सकें, आप स्वयं को एक दिव्य आध्यात्मिक प्रकाश से आलोकित कर सकें तो आपको ध्यान की ओर लौटना होगा, आपको क्रिया योग के रहस्यों को समझना होगा। उन्होंने इस दौरान अपने ध्यान व क्रिया योग के माध्यम से लोगों को यह एहसास कराया कि ध्यान जीवन मे कितना जरुरी हैं। उन्होंने सभी से कहा कि आप अपने कूटस्थ को जगाइये, वहां अपने ध्यान को केन्द्रित करिये, निरन्तर ध्यान करते रहिये, अच्छा रहेगा कि आप समूह में ध्यान करें। क्रिया योग साधना में लग रहे। आप पायेंगे कि आप दिव्यता की ओर निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आप चाहते है कि दिव्य प्रकाश से स्वयं को अनुप्राणित करें तो आपको परमहंस योगानन्द के बताएं लेशन को निरन्तर पढ़ना जारी रखना होगा, उनके बताए मार्गों को अपनाना होगा, उन्होंने बताया कि विश्व में बहुत ऐसे लोग हैं, जिन्होंने स्वयं को आलोकित करने के लिए परमहंस योगानन्द जी के बताएं मार्ग को अपनाया हैं, और वे इसकी दिव्यता को महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने रांची प्रवास के दौरान अपने अनुभवों को शेयर करते हुए कहा कि परमहंस योगानन्द द्वारा स्थापित रांची का यह आश्रम बहुत ही पवित्र हैं, जो पिछले सौ सालों से परमहंस योगानन्द के दिव्यता का एहसास करा रहा हैं, जिस एहसास को हमलोग उनके आशीर्वाद के रुप में महसूस कर सकते हैं, क्योंकि यह वही जगह हैं, जहां परमहंस योगानन्द ने बाल विद्यालय खोलकर क्रिया योग का पहला पाठ पढ़ाया। स्वामी चिदानन्द का भारत यात्रा के दौरान नोएडा, हैदराबाद और मुंबई में भी प्रवास हैं, इस दौरान वे योगदा सत्संग सोसाइटी से जुड़े लोगों का मार्गदर्शन करेंगे। बताया जाता है कि स्वामी चिदानन्द पिछले 40 वर्षों से सन्यास ग्रहण किये हुए हैं, और इस दौरान उन्होंने बड़े ही समर्पित भाव से परमहंस योगानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया हैं।
स्वामी चिदानन्द द्वारा दिये गये आध्यात्मिक व्याख्यान को लोग लंबे समय तक याद रखेंगे
स्वामी चिदानन्द, जब रांची आश्रम में उन्हें सुनने आये बड़ी संख्या में भक्तों से आध्यात्मिक संवाद स्थापित कर रहे थे, वह दृश्य देखने लायक था, हांलांकि सीमित संख्या में ही लोग आध्यात्मिक व्याख्यान का आनन्द लेने पहुंचे थे, पर रांची में ऐसे लोगों की संख्या और भी थी, जो उन्हें सुनना चाहते थे। आध्यात्मिक संवाद स्थापित करते वक्त उनका मुस्कुराता चेहरा दिव्यता को प्रदर्शित कर रहा था।
बहुत ही सरल अंग्रेजी भाषा में अपनी बातों को रखकर, उन्होंने भारत, भारत की आध्यात्मिकता, यहां के ऋषियों की महानतम ज्ञान की बातें जब वे रख रहे थे, तब उनके अंदर की ज्ञान की गंगा के समान बह रही अविरल धारा को माप पाना सभी के लिए कठिन था। उनके धार्मिक व्याख्यान को सुनने आये, कई लोगों ने स्वीकारा कि उनके द्वारा दिये गये व्याख्यान को सुनना, योगदा सत्संग से जुड़े लोगों के लिए काफी मायने रखता हैं, और वह भी दीपावली के दिन। कई लोगों ने कहा कि दीपावली के दिन उन्होंने दीपावली के रहस्यों से पर्दा उठा दिया। स्वामी चिदानन्द की बातों को वे अनुसरण करना चाहेंगे, क्योंकि यह बहुत जरुरी है।