‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता’ गानेवाले भाजपाइयों, काश तुम पटेल की तरह इन्दिरा को भी याद किये होते
उन्हें यानी राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल का जन्मदिन याद हैं। वे उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देना नहीं भूलते। उन्हें यह भी याद है कि आज सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन हैं, वे आज के दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रुप में मनाते हैं और लोगों को ऐसा करने को विवश भी करते हैं। एकता दौड़ और पता नहीं क्या-क्या कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
कल तक दूसरे दलों का झंडा ढोनेवाले, लालू प्रसाद की जय-जयकार करनेवाले भी उनके साथ हो लिये हैं और हाथ आगे कर संकल्प लेने का अच्छा नाटक कर लेते हैं, पर वे यह भूल जाते है कि आज का दिन देश की एक महान नारी को भी समर्पित हैं, जिस आयरन लेडी ने अपने जीते-जी देश की एकता व अखडंता को मजबूती दी, जिसने अमरीका और उन सारे देशों को बता दिया कि भारत को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता।
जिसने पाकिस्तान को बताया कि अगर उसने भारत पर आंख उठाई तो उसके दो टूकड़े करने से भी भारत बाज नहीं आयेगा। जिसने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और आज कोयला की खानों का भी राष्ट्रीयकरण किया और भारत को मजबूती दी, जिसने देश में रहकर राजे-रजवाड़े जो देश की एकता व अखंडता को चुनौती दे रहे थे, उनकी सारी संपत्तियों को देश की सम्पति घोषित करवाई और उनकी सारी हेकड़ी निकाल दी, जिसने 20सूत्री कार्यक्रम और पंचवर्षीय योजनाओं के तहत भारत को मजबूत किया।
जिसने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत का नाम उंचा करवाया। जिसने पहली बार 1974 में परमाणु विस्फोट कर पूरे विश्व को बता दिया कि उनका यह परमाणु परीक्षण देश की एकता व अखंडता तथा शांति को समर्पित हैं, और आज जिनका शासनकाल चल रहा हैं, वे कर क्या रहे हैं, वे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को आगे कर, उनकी कीर्ति रुपी रबर से श्रीमती इंदिरा गांधी की यशोगाथा को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। वे ऐसा करने को यह कहकर जायज ठहराते है कि कांग्रेसियों ने कभी भी नेहरु परिवार के आगे अन्य नेताओं को पनपने ही नहीं दिया, जबकि सच्चाई कुछ और ही हैं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को देखें या उसके बाद की इतिहास को पढ़े तो इसमें कोई दो मत नहीं कि नेहरु परिवार के योगदान को कोई भूला नहीं सकता, उनकी देशभक्ति पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता, पर आज उनकी देशभक्ति पर प्रश्नचिह्न वे लगा रहे हैं, जिनका देश के विकास में कोई योगदान ही नहीं। जरा पूछिये भाजपाइयों से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कि जब 2014 के लोकसभा चुनाव आप लड़ रहे थे, तब आपने किसे मुद्दा बनाकर सरकार बनाई।
देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि वह मुद्दा था – काला धन। क्या हुआ उस काला धन का? क्या वह काला धन भारत आया या वह काला धन भारत में ही था, जिसे आप निकाल सकने में आज भी लाचार हैं, उलटे हुआ क्या? कि जो गरीब-गुरबा अपनी धन राशि को पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंकों में रखे हुए थे, आज वे अपने पैसे लेने के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं, और कोई उनकी सुन नहीं रहा और आश्चर्य यह भी कि इस भयावह स्थिति में भी महाराष्ट्र में आपकी सरकार, आपकी सहयोग पार्टी शिवसेना के सहयोग से बन जाती है।
जरा देखिये न झारखण्ड से केन्द्र में एक मंत्री बने हैं, जिनका नाम हैं अर्जुन मुंडा, उन्होंने अपने पेज में एक पंक्ति की इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की हैं, पर उन्हें तथा उनके लोगों को इस डिजिटल युग में एक अदना सा फोटो श्रीमती इंदिरा गांधी का नहीं मिला, कि वे उसमें एक फोटो लगा सकें, कितनी छोटी सोच हैं इन लोगों की, जबकि इन्हीं के एक नेता थे, जिनका नाम था – अटल बिहारी वाजपयी। उन्होंने कभी कहा था कि “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।”
पर भाजपा वाले आज कर क्या रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का फेसबुक पेज देखिये, वहां तो इन्दिरा जी ढूंढने पर नहीं मिलती, ऐसे में जहां जिनके शीर्ष नेतृत्व इतने कृपण हो गये हो कि उन्हें इन्दिरा गांधी का जीवन-दर्शन ही बेकार लगता हो, उनसे यह कहना कि आप उन्हें याद करिये, यह अपने आप में मूर्खता को सिद्ध करनेवाली बात हैं, क्योंकि ये वे लोग हैं, जो कभी इन्दिरा जैसी महान नारी को मानेंगे ही नहीं।
फिलहाल अभी वक्त हैं ऐसे लोगों का, जो अपने अनुसार भारत को देख रहे हैं, और भारत को दिखा रहे हैं। वक्त ऐसे भी किसी का नहीं होता, जब इन्दिरा गांधी जी का वक्त नहीं रहा तो आनेवाले समय में नरेन्द्र मोदी का भी नहीं रहेगा, और जब कर्मफल के सिद्धांत की बात आयेगी तो इन्दिरा गांधी का नाम तो जब-जब बांगलादेश का नाम आयेगा, लोग शिद्दत से याद करेंगे, वर्तमान भाजपा नेताओं को किस बात के लिए लोग याद करेंगे, जरा भाजपा वाले लोग भी बता देते तो अच्छा ही रहता।
मुझे याद है 31 अक्टूबर 1984 की वह दिन, जब लोगों ने सुना कि श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हो गई, मैंने महसूस किया कि पूरा देश उस दिन रोया था, हमने यह भी देखा कि दूरदर्शन पर भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके मरणोपरांत उनके बारे में क्या कहा था, पर दुर्भाग्य देखिये आज के भाजपाई नेताओं का, वे इन्दिरा गांधी को इतिहास के पन्नों से मिटाने के लिए ऐसा कुचक्र रचेंगे, हमें विश्वास नहीं था, पर मैं आज देख रहा हूं।
ऐसे मैं बता दूं कि इन्दिरा जी कभी नहीं मिट सकती, चाहे वो कितना भी कुछ कर लें, जब तक हमारे जैसा एक भी कृतज्ञ देशभक्त जिन्दा है, देश के लिए मर-मिटनेवाले नेता चाहे वह किसी भी दल के क्यों न हो, उनके लिए श्रद्धांजलि जैसे शब्द कभी कम नहीं पड़ेंगे, फिलहाल इन्दिरा गांधी जी आप मेरा श्रद्धांजलि स्वीकार करिये, आपको चाहनेवाले आपको याद कर रहे हैं, श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि जो देश अपने नेताओं के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित नहीं करता, वह देश मृत देश के समान होता है।