झारखण्ड में नक्सलवाद पर चुनाव आयोग सही, देश के गृह मंत्री और CM रघुवर पूर्णतः गलत साबित
लो जी, नक्सलियों ने लगातार दो दिनों तक अपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर चुनाव आयोग को सर्टिफिकेट दे दिया कि चुनाव आयोग सही बोल रहा हैं, यहां के आइएएस और आइपीएस ने जो उसे सूचना दी थी, वह बिल्कुल सही थी। साथ ही इलेक्शन कमीशन की वो बात भी सही हो गई कि जो सदन में बोल रहा होता है, वो क्या बोलता है, बाहर में क्या बोलता है, उससे इलेक्शन कमीशन को कोई मतलब नहीं, यानी राज्य का सीएम रघुवर दास और देश का केन्द्रीय गृह मंत्री का ये कहना कि राज्य में नक्सलवाद का खात्मा हो गया, पूरी तरह सफेद झूठ साबित हो गया।
साथ ही यह भी झूठा साबित हो गया कि राज्य का खुफिया विभाग कितना सजग और कर्मनिष्ठ है? जरा देखिये कल क्या हुआ? कल नक्सलियों ने लातेहार में एक ऐसी वारदात को अंजाम दिया, जिससे लोग हैरान रह गये। पुलिस वाहन पर नक्सलियों ने हमला कर दिया, मौके वारदात चार जवान शहीद हो गये, हथियार भी लूटे, तथा भाजपा नेता की गाड़ी पर भी फायरिंग कर दी। और आज क्या हुआ? आज पलामू में नक्सलियों ने भाजपा नेता मोहन गुप्ता को गोलियों से छलनी कर दिया, जबकि एक फल-विक्रेता भी मारा गया, घटना पिपरा बाजार की है। बताया जाता है कि नक्सली बाइक सवार थे, और उन नक्सलियों ने एके 47 का प्रयोग किया।
कल जो नक्सलियों के हाथों मारे गये, उनके नाम एएसआइ सुकरा उरांव, चालक यमुना राम, होमगार्ड जवान सकेन्द्र सिंह, होमगार्ड जवान शंभू प्रसाद है। प्रथम दृष्टया लगता है कि नक्सलियों ने ये घटना, देश के गृह मंत्री अमित शाह के उस भाषण के जवाब में अंजाम दिया, जब वे पलामू में ही एक जनसभा को संबोधित करने के क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की पीठ थपथपा रहे थे कि राज्य में नक्सलवाद का इन्होंने खात्मा करा दिया।
राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ऐसे भी अपनी सभाओं में नक्सलियों को धमकियां देते रहते हैं, तथा राज्य की जनता को हमेशा ये कहने से बाज नहीं आते, कि राज्य से उन्होंने नक्सलवाद खत्म कर दिया। आम तौर पर इस प्रकार की बातें, जिन राज्यों में नक्सलवाद हैं, कोई मुख्यमंत्री नहीं कहता, वो बस काम करता है, तथा नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का प्रयास करता है, पर यहां है ठीक इसका उलटा, यहां काम कम और भाषणबाजी ज्यादा हो जाती है, जिसका परिणाम, ये सारी नक्सली घटना हैं, जिसमें वे लोग मारे जाते हैं, जिनका कोई कसूर नहीं होता।
जरा देखिये, कल जहां घटना घटी, उस चंदवा का थाना प्रभारी पिछले तीन साल से भी ज्यादा समय से वहां पड़ा हुआ हैं, चुनाव आयोग का आदेश है कि जो लोग तीन साल से कही पड़े हैं, उनका तबादला किया जाय, पर चंदवा के थाना प्रभारी मदन मोहन पांडेय का तबादला क्यों नहीं हुआ? चूंकि इस राज्य में पुलिस महकमा, जिनकी पैरवी होती हैं, उन्हें मनचाहे जगह पर पोस्टिंग करता हैं और जिसकी कोई पैरवी नहीं होती या जिसने थोड़ी सी भी वरीय पदाधिकारियों को नहीं सुहाया तो उसे बतौर सजा नक्सलवाले इलाके में पोस्टिंग करके कर दी जाती है, और फिर ये लोग भगवान भरोसे, अपना पूरा कार्यकाल काटते है, क्योंकि वे जानते है कि यहां कुछ नहीं होनेवाला।
अब राज्य व केन्द्र सरकार ही बताएं कि एक दिन पूर्व तो बड़े ही शान से कह रहे थे कि नक्सलवाद खत्म हो गया, तो फिर लगातार दो दिनों तक नक्सली घटना कैसे हो गई? आपका खुफिया विभाग क्या कर रहा था? उसे ऐसी घटनाओं के बारे में क्यों जानकारी नहीं थी, लगातार दो दिनों तक केवल पलामू में, वह भी इलेक्शन अभी शुरु नहीं हुआ हैं, तब ऐसी घटना घट गई, अब तक छः लोग मारे गये, अब आप ही बताइये मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, जनता आप पर कैसे विश्वास करें? जैसे आप बिजली के मुद्दे पर जनता से किये गये वायदे में फेल हो गये, आप नक्सलवाद के मुद्दे पर भी जनता की नजरों में गिर गये।