अजमानी का बयान बना महेश पोद्दार और CM रघुवर के लिए ‘डूबते को तिनके का सहारा’, नींद अभी भी गायब
प्रभात खबर में झारखण्ड चेंबर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी का एक छोटा सा बयान छपा है, बयान है – कि वर्तमान में यह भ्रांति फैली है कि विधानसभा चुनाव में झारखण्ड चेंबर ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया है, जो तथ्यों से परे है। चेंबर ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है, क्योंकि चेंबर कोई राजनीतिक दल नहीं है, हालांकि चेंबर का कोई भी सदस्य किसी भी चुनाव में खड़ा होने के लिए व्यक्तिगत रुप से स्वतंत्र है।
चेंबर केवल प्रदेश के व्यापार एवं उद्योग जगत का प्रतिनिधित्व करता है। अजमानी के अनुसार राजनीतिक दखलअंदाजी करना न तो हमारी परम्परा है और न ही हमारा संविधान इसकी सहमति देता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत आम नागरिक की तरह चेंबर के सदस्य भी किसी चुनाव में व्यक्तिगत तौर पर सहभागी बन सकते हैं।
सूत्र बताते हैं कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से भाजपाइयों द्वारा कुणाल अजमानी पर दबाव डलवाकर यह बयान उनकी ओर से दिलवाया गया है, ताकि लोगों को लगे कि पवन शर्मा, जो निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में रांची से खड़े हुए हैं, उसमें चेंबर का कोई रोल नहीं हैं तथा उससे भाजपा को नुकसान न पहुंचे, जबकि राजनीतिक पंडित मानते है कि पवन शर्मा ने अपनी उम्मीदवारी देकर और किसी का तो नहीं पर सत्तापक्ष को चुनौती जरुर दे डाली है।
साथ ही इस चुनौती से वे लोग सकते में हैं, जो चेंबर में भी हैं और सत्तापक्ष में भी हैं और दोनों जगहों पर रहकर अपनी व्यापारिक और राजनीतिक रोटियां दोनों सेंक रहे हैं, जबकि चेंबर के अन्य व्यवसायियों और पूरे व्यापार जगत को भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण खामियाजा उठाना पड़ रहा हैं।
कमाल देखिये, जैसे ही चेंबर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी का बयान आया, भाजपा के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार उछल पड़ें, उन्होंने तुरन्त टिवट् किया, अपने टिवट् में उन्होंने क्या लिखा है, जरा उन शब्दों पर ध्यान दीजिये, आपको पता लग जायेगा कि पवन शर्मा ने महेश पोद्दार और कुणाल आजमानी जैसे लोगों की क्या हालत कर दी है – टिवट् है “उम्मीद है, अब भ्रम पैदा करने की कोशिश नहीं होगी।”
भाजपा सांसद महेश पोद्दार ने अपने ट्विवट को बीजेपी4झारखण्ड और एफजेसीसीआइ के साथ टैग भी किया है, मतलब साफ है कि वे इसके माध्यम से क्या कहना चाहते है और क्या संदेश देना चाहते हैं, जो राजनीति का एबीसीडी भी जानता है, वह समझ जायेगा कि इस टिवट् के पीछे का राज क्या है?
इधर अजय भंडारी ने महेश पोद्दार के टिवट् पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि “कि कुछ लोग लिख रहे हैं, इसलिए फेमस है… कुछ लोग फेमस हो जाएं, इसलिए लिख रहे हैं… जितनी मेहनत नाम हटाने में कर रहे हैं भाई साहिब, इससे आधी भी व्यापारी का मर्म हटाने की होती, तो आज पसीने नहीं छूटते। वैसे 16/11 की राज्यस्तरीय मीटिंग छात्रों ने आहूत की थी क्या?”
मतलब साफ है कि अजय भंडारी ने भाजपा सांसद महेश पोद्दार की अच्छी बैंड बजा दी हैं और बैंड बजाई है चेंबर के अध्यक्ष की योग्यता की भी, कि वे आखिर चेंबर के लोगों को उन्होंने समझ क्या रखा है? साथ ही एक तरह से संदेश भी है कि जो चेंबर से जुड़े पदाधिकारी हैं, वे कम से कम चेंबर के प्रति विश्वस्त जरुर रहें, नहीं तो व्यवसायियों के हित को ठेस पहुंचना लाजिमी हैं।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि चुनाव में व्यापारियों का कैडिंडेट उतारने का फैसला, चेंबर द्वारा आहूत राज्यस्तरीय चेम्बर्स में लिया गया था, अजमानी खुद उस मीटिंग में मौजूद थे। राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि रांची विधानसभा से चुनाव लड़ रहे पवन शर्मा कोई आम सदस्य नहीं है, पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, उनके चुनाव कार्यालय के उद्घाटन के समय पूर्व अध्यक्षों की संख्या भी अधिक थी। चेंबर सिर्फ तकनीकी कारणों से किसी को प्रायोजित नहीं कर सकता और न ही प्रायोजक बन सकता है, ऐसी परिस्थितियों में अजमानी का यह बयान साफ बताता है कि उनका कथित बयान अंडर प्रेशर में दिया गया है।
कमाल है, 17 नवम्बर 2019 का प्रभात खबर देखिये, उसमें स्वयं चेंबर के अध्यक्ष कुणाल अजमानी का बयान छपा है, बयान है – “ व्यवसायी बेवकूफ नहीं बनेंगे। हमारी मांगों को जो भी पार्टी अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेंगे। हम उसी का समर्थन करेंगे। जिस दल को समर्थन चाहिए, वह हमारे पास आयें। सरकार को सोचना होगा कि योजनाएं धरातल पर क्यों नहीं उतर रही हैं।” लेकिन आज कुणाल अजमानी के सुर बदल गये हैं।
16 नवम्बर 2019 को सरकार को चुनौती देनेवाले कुणाल अजमानी अब चेंबर को आज की राजनीति से दूर रहने का बयान दे रहे हैं, जबकि इसी राज्यस्तरीय मीटिंग में झारखण्ड चेंबर के सभी सदस्य सहमत हुए थे कि रांची से पवन शर्मा और गोड्डा से प्रीतम गाडिया चुनाव लड़ेंगे, जिसे रांची से छपनेवाले करीब-करीब सारे अखबारों ने अपनी सुर्खियां बना दी थी, आप 17 नवम्बर को प्रकाशित रांची के सभी प्रमुख अखबारों का अवलोकन कर सकते हैं, फिलहाल एक अखबार की कटिंग आपके समक्ष प्रस्तुत है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि भाजपा सांसद महेश पोद्दार को यह मान लेना चाहिए कि पवन शर्मा को अंत अंत तक बैठाने की उनकी चाल पूरी तरह से यहां के चेंबर के लोगों ने नाकाम कर दी है, जो सीएम रघुवर दास ने उन्हें टास्क दिया था, वे टास्क पूरा करने में भी वे विफल रहे हैं, इसलिए नैतिक रुप से वे और उनकी पार्टी मानसिक तौर पर चुनाव हार चुकी हैं, और अब देखना है कि भौतिक रुप में परिणाम क्या आते हैं, ऐसे भी परिणाम जो भी आये, इस बार चेंबर के व्यवसायियों ने सरकार और उनके लोगों को बता दिया कि वे भी किसी से कम नहीं, मौका जब भी आयेगा, सरकार को जवाब देंगे।