एक ब्राह्मण ने जमशेदपुर साकची में स्थित अम्बेदकर प्रतिमा को अपने हाथों से साफ किया
आम तौर पर विभिन्न दलित तथा विभिन्न तथाकथित स्वयंसेवी संगठनों, पिछड़ों तथा अतिपिछड़ों के नाम पर राजनीति करनेवाले विभिन्न संगठनों और उनके नेताओं की ये धारणा रहती है कि ब्राह्मण वर्ग दलितों को सम्मान नहीं देता अथवा उनके महापुरुषों को सम्मान नहीं करता, पर सच्चाई देखा जाय, तो इस तरह का भेदभाव अब आधुनिक समाज में नहीं देखने को मिलता।
जरा इनसे मिलिये, ये है समरेन्द्र तिवारी, अधिवक्ता है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से भी जुड़े है, एस एन हाई स्कूल आदित्यपुर और जमशेदपुर कोपरेटिव कॉलेज से पढ़ाई की है, देखिये क्या कर रहे हैं, चूंकि कल बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की जयंती है, इसलिए उन्होंने जमशेदपुर के साकची पुराना कोर्ट के सामने गोलम्बर पर लगी बाबा साहेब की प्रतिमा को स्वयं ही हाथों से साफ करने में लग गये।
हालांकि जैसा कि बराबर होता है, जब भी आप कोई अच्छे काम करेंगे तो लोग उसमें खामियां निकालेंगे, राजनीति ढुंढने लगेंगे और आपको नीचा दिखाने का काम करेंगे, पर स्वयं कभी अच्छा काम नहीं करेंगे, समरेन्द्र तिवारी के साथ भी कुछ ऐसा ही है, कई लोगों ने उनकी इस कार्य के लिए प्रशंसा की, तो कई ने अंगुलियां भी उठा दी, फिर भी वे इन सबसे परे, उन्होंने आज वह काम कर दिया, जिसको लेकर वे आज चर्चे में हैं।
सचमुच समरेन्द्र तिवारी की प्रशंसा करनी ही होगी। समरेन्द्र तिवारी के शब्दों में उन्हें ये सब कार्य करने में सुखद अनुभूति होती है, चाहे लोग कुछ भी कहे। वे कल बाबा साहेब की जयंती भी धूमधाम से मनायेंगे, उनका कहना है कि कोई भी महापुरुष वह किसी खास समुदाय का नही होता, वह सभी का होता है, इसलिए प्रत्येक महापुरुषों का आदर होना ही चाहिए।