अपनी बात

ममता बनर्जी से सीधा सा सवाल, क्या झारखण्ड विधानसभा चुनाव में हेमन्त सोरेन ने आपको अपना उम्मीदवार उतारने से मना किया था?

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बंगाल के झारग्राम में राजनीतिक कार्यक्रम क्या रख दिया, वहां की जनता को क्या संबोधित कर दिया, प.बंगाल की मुख्यमंत्री झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर आग-बबूला हो गई और अपने स्वभावानुसार हेमन्त सोरेन और झारखण्डियों के खिलाफ पता नहीं क्या-क्या बोल दिया? ऐसे भी हमारे देश के नेताओं की आदत है, किसी राज्य की जनता ने उन्हें सत्ता क्या सौंप दिया, उन्हें लगता है कि उस राज्य की जनता ने एक तरह से सदा के लिए उस राज्य में शासन करने का लाइसेंस या निबंधन कर डाला।

जबकि पांच वर्ष पर होनेवाले चुनाव साफ इंगित करते हैं कि अगर जनता को लगे कि उस पर शासन करनेवाला सही नहीं है, तो उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाए अथवा बेहतर शासन की स्थिति में उसे दुबारा मौका दे, लेकिन यहां तो स्थिति ही उलट है, बंगाल मेरा है, सिर्फ मैं ही चुनाव लडूं, मैं ही जीतूं, दूसरा कोई क्यों यहां आयेगा, वो अपना राज्य देखे, वो यहां पॉलिटिक्स करने क्यों चला आया, इस प्रकार के बयान साफ स्पष्ट करते है कि यह वक्तव्य देनेवाला अपनी जनता पर से विश्वास खो दिया है, नहीं तो उसे बोलने की आवश्यकता क्यों? कोई दल आये, चुनाव लड़े, क्या फर्क पड़ता है अगर आपने काम किया है।

आम आदमी पार्टी तो दिल्ली छोड़कर कई जगहों पर चुनाव लड़ी, जनता ने क्या किया? उठा के वापस दिल्ली भेज दिया, कह डाला कि दिल्ली छोड़ आप उसके राज्य के योग्य नहीं हो। उसी प्रकार झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन बंगाल जाकर राजनीति कर रहे हैं तो आपको दिक्कत क्या है, अगर जनता उन्हें नहीं चाहेगी तो उन्हें माथे नहीं बिठायेगी, पर जनता को हेमन्त में नायक नजर आता हैं तो आप कुछ भी करेंगी, हेमन्त बीस ही दिखेंगे। एक समय था लालू काफी लोकप्रिय थे, जिधर जाते लोग उन्हें सुनने के लिए दौड़ पड़ते पर जब चुनाव परिणाम के बाद जीते हुए सीटों की गणना होती तो वे कही नजर ही नहीं आते, अंत में वे एक क्षेत्रीय नेता के रुप में ही प्रतिष्ठित हुए, बिहार के बाहर उनकी कही नहीं चली।

लेकिन हेमन्त सोरेन द्वारा झारग्राम की मात्र एक सभा पर ममता बनर्जी का आग बबूला हो जाना, ये बताने के लिए काफी है कि झारखण्ड से सटे बंगाल के इलाकों में झामुमो अब करिश्मा दिखा सकता है, हेमन्त सोरेन की पार्टी कई पार्टियों को अच्छी टक्कर दे सकती है, तभी तो ममता बनर्जी ने कह डाला कि उन्हें इस बात का दुख है कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन झारग्राम आकर पॉलिटिक्स कर रहे हैं।

वो आगे कहती है कि झारखण्ड विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने झामुमो को सपोर्ट किया और मेरी बारी आई तो चुनाव लड़ने लगे, क्या बंगाली झारखण्ड में नहीं है, राजस्थान में नहीं है, अब हम भी वहां जायेंगे, चुनाव में हिस्सा लेंगे तो सवाल आज भी वही है कि आपको रोका किसने है? लेकिन ये कहना कि आपने बंगाल में रहनेवाले झारखण्डियों को ये किया वो किया, पर झारखण्ड में लोगों की स्थिति नहीं है, खाने को, पढ़ने को नहीं है, आपने ही बंगाल में रहनेवाले झारखण्डियों को हर तरह से मदद की, और जब वोट की बारी आई तो लोग वोट पर कब्जा जमाने आ गये, ये ठीक नहीं।

कमाल है, आपने ऐसा कर कौन सा बड़ा काम कर दिया, ये तो आपकी ड्यूटी है। झारखण्ड में भी बहुत सारे बंगाली है, उन्हें भी वो हर प्रकार की सेवा प्राप्त हो रही है, जिसके वे हकदार है, और ऐसा कर कोई सरकार उन पर कोई कृपा नहीं लूटा रही, जैसा कि आपने कृपा लूटाने की बात कह दी।

मैं तो कहूंगा कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को अपना राजनीतिक कद और ऊंचा उठाना चाहिए, और इसके लिए जो भी संभव है, वो कदम उठाना चाहिए, किसी का पिछलग्गू बनने से अच्छा है कि आप खुद को मजबूत करिये। एक आदिवासी नेता स्वयं के बल पर अपनी राजनीतिक कद मजबूत करें, इससे बेहतर और क्या हो सकता है और हेमन्त सोरेन पर ममता बनर्जी का कटाक्ष बताने के लिए काफी है कि हेमन्त सोरेन अब बहुत सारे राजनीतिज्ञों के आंखों की किरकिरी बनेंगे।

ऐसे भी जब तक वे किसी के आंखों की किरकिरी नहीं बनेंगे, बढ़ते हुए राजनीतक कद का अनुमान लगाना असंभव है। फिलहाल बंगाल में अपनी राजनीतिक कद बढ़ाने व ममता बनर्जी का कटाक्ष प्राप्त करने के लिए विद्रोही24 की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को बधाई।