रांची से प्रकाशित एक अखबार में ऐसा भी संपादक है जो मरे हुए लोगों की आवाज तक सुन लेता है
आप कहेंगे कि भला मरा हुआ व्यक्ति बोल कैसे सकता है? और जब मरा व्यक्ति बोल नहीं सकता तो कोई मरे हुए की आवाज सुन कैसे सकता हैं? पर इस डिजिटल युग में एक क्रांति हुई है और वह क्रांति रांची में दिखाई पड़ी है, जहां मरे हुए लोगों ने अपने बेटे की आत्मा की शांति के लिए फांसी की मांग कर दी है, और इसकी हेडिंग लगाई हैं रांची से ही प्रकाशित एक अखबार ने, जिसे पढ़कर कल यानी 21 दिसम्बर को लोग दंग रह गये।
आजकल जिसे देखो, अखबार निकाल दे रहा है, संपादक बन जा रहा है और जो मन कर रहा हैं, उसे छाप दे रहा है, जिससे अखबार और पत्रकार दोनों की भद्द पिट रही है। दरअसल जब अखबार निकालने का मकसद पैसे कमाना और उसकी आड़ में अपने मंसूबों को पोषित करना है तो वहां इस प्रकार की गड़बड़ियां देखने को ज्यादा मिलती है।
जरा देखिये, रांची से प्रकाशित अखबार मेट्रो रेज, जिसने अपने 21 दिसम्बर को पेज नं. तीन में एक लीड न्यूज खबर छापी है। खबर है – बहुचर्चित कार्तिक हत्याकांड का मुख्य आरोपी अंकित गिरफ्तार। मुख्य हेडिंग है – मृतक माता पिता ने कहा उसे फांसी हो, तब बेटे की आत्मा को मिलेगी शांति। अब जरा बताइये कि क्या कोई भी मृतक जो इस दुनिया में नहीं है, किसी से कोई डिमांड कर सकता है? अगर नहीं कर सकता तो फिर मेट्रो रेज के संपादक से उसने यह डिमांड कैसे कर दी?
इसका मतलब है कि चाहे तो वह माता-पिता जिन्दा है, या संपादक या उसका फोटोग्राफर यमपुरी पहुंच गया हो, मृतक माता-पिता का फोटो लेने उसके डिमांड को समझने की। सच्चाई यही है कि जिस माता-पिता को हेडिंग में मरा हुआ बताया जा रहा हैं, वह आज भी जीवित हैं, जो संपादक की एक भूल से मृतक बन गया और संपादक तो संपादक, अखबार भी आम जनता के बीच हंसी का पात्र बन गया।