अपनी बात

आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास, सोच रहे हैं झारखण्ड में मजबूत हो भाजपा, पर हो जायेगा उनका सत्यानाश

ये झारखण्ड के भाजपाइयों को पता नहीं क्या हो गया है, वे ऐसे-ऐसे निर्णय ले रहे हैं, जिससे उनका फायदा कम नुकसान ही ज्यादा होने की संभावना है। वे जो सोच रहे है कि उनके इस निर्णय से भाजपा मजबूत हो जायेगी, पार्टी में मजबूती आयेगी, जबकि सच्चाई हैं कि पार्टी में ही ऐसी स्थिति आ जायेगी कि लोग भले ही किसी आसन्न भय से कुछ न बोले, पर अंदर ही अंदर पार्टी इतनी खोखली हो चुकी होगी कि पार्टी का नाम लेनेवाला तक कोई नहीं होगा।

शायद यही कारण है कि एक राजनीतिक पंडित के मुख से अचानक यह दोहा निकल गया कि ‘आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, सोच रहे हैं झारखण्ड में मजबूत हो भाजपा, पर हो जायेगा उनका सत्यानाश’। कल ही भाजपा के वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भाजपा का विधायक दल का नेता कौन होगा, इसको लेकर रांची में थे। कल ही उन्होंने रांची के प्रदेश कार्यालय में बैठकर सभी भाजपा विधायकों से उनकी राय ली, बताया जाता है कि इसको लेकर मतैक्य नहीं हो सका, जिसके कारण कल जो निर्णय सुनाया जाना था। वो नहीं सुनाया जा सका और अंत में फैसला केन्द्र के नेताओं पर छोड़ दिया गया, कि वो जो निर्णय लें।

हम आपको बता दे कि कल सुबह से ही पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा हर जगह शुरु हो गई थी कि भाजपा के केन्द्रीय नेताओं ने झारखण्ड के एक-दो नेता जो संगठन में केन्द्रीय स्तर पर शामिल हैं, उन्होंने सदन में बैठ रहे वर्तमान में भाजपा के दिग्गजों को दरकिनार कर मात्र चार साल पहले भाजपा का दामन थामे नेता, जो हर वक्त गर्दन में हरे रंग की पट्टी बांधे रहते हैं, उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता बनाने का निर्णय ले लिया है।

कल केन्द्रीय मंत्री को रांची आना था और बस केवल औपचारिकता पूरी करनी थी, सारे विधायकों से सहमति केवल लेना था, और जे पी पटेल को माला पहना देना था, पर कल कई भाजपा विधायकों की इस मुद्दे पर तनी भृकुटि ने सारा मजा ही उन नेताओं का किरकिरा कर दिया, जो न तो बाबूलाल मरांडी को पसन्द करते हैं और जो नहीं चाहते कि बाबूलाल मरांडी के आने के बाद भाजपा यहां मजबूत हो, इसलिए उन्होंने मौका व दस्तूर देखते हुए जे पी पटेल को आगे कर भाजपा में एक नई बगावत का पौधा तैयार कर दिया। जिसमें वे सफल भी रहे।

राजनीतिक पंडितों की मानें, खुद जे पी पटेल की राजनीतिक उम्र क्या है? या उन्हें भाजपा में आये कितने दिन हुए हैं, मात्र चार साल ही न। फिर आप कहेंगे कि झाविमो से भाजपा में आये बाबूलाल मरांडी के तो उतने भी साल नहीं हुए, तो बात यहां पर ये भी आती है कि बाबूलाल मरांडी का ज्यादातर काल भाजपा में ही बीता, पर कुछ वर्षों तक भाजपा के ही नेताओं ने उनका इस प्रकार अपमान करना शुरु किया कि उनके पास एकला चलो रे के सिवा दूसरा कोई विकल्प भी न था। इसलिए बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जीवन की तुलना जे पी पटेल से कभी भी नहीं की जा सकती।

जे पी पटेल के पास अभी राजनीतिक परिपक्वता भी नहीं आई है। अगर जे पी पटेल को भाजपा विधायक दल का नेता चुना जाता है, ऐसे में, जैसा कि सभी जानते हैं कि झारखण्ड के अन्य भाजपा विधायक स्वीकार करने के मूड में भी नहीं हैं, जबर्दस्ती विरोधी दल का नेता चुन लिया जाता है तो निःसंदेह वो अपमान होगा, वैसे विधायकों का जिनकी उम्र, जिनका राजनीतिक अनुभव, जिन्होंने कई मंत्री पद से लेकर विधानसभा की अध्यक्ष पद तक को संभाला हैं, वे स्वयं को अपमानित महसूस करेंगे और यही अपमान भाजपा के लिए काल साबित हो जायेगा।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो उनका कहना है कि पता नहीं भाजपा के केन्द्रीय नेताओं को क्या हो गया है? जिसे कभी पार्टी का मुख्य तो छोड़िये, एक सामान्य पद भी नहीं दिया गया, अचानक विरोधी दल का नेता उसे बनाने का भाजपा के कुछ नेताओं के दिल में इतना प्रेम हिलोड़े कैसे मारने लगा, मतलब साफ है कि यह प्रेम भाजपा को मजबूत करने से ज्यादा उसे डूबोने में ज्यादा लग रहा है।

राजनीतिक पंडित ये भी कहते है कि जिन्हें लग रहा है कि ऐसा करने से पटेल या कुर्मियों का वोट भाजपा को मिल जायेगा, तो वे मुगालते में हैं। यहां तो इसका परिणाम यह आयेगा कि माया में दोनों गये, माया मिली न राम। मतलब न तो उन्हें पटेल या कुर्मी का वोट ही इसके द्वारा मिल पायेगा और जो आनेवाले वोट होंगे उनका तो नुकसान होना ही हैं, क्योंकि ऐसे भी जयप्रकाश पटेल का अपने समुदाय में उतना जनाधार नहीं हैं, जितना की जनाधार उनके पिता का था। ये भाजपाइयों को समझ लेना चाहिए।

ऐसे हमें क्या, कोई पार्टी जो स्वयं ही अपनी दुर्दशा कराने के लिए तैयार हो, तो उसे ज्ञान की क्या जरुरत? वो गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरितमानस में ठीक ही लिखा है – जाको प्रभु दारुण दुख देही। ताकी मति पहले हर लेही।। शायद भाजपा की मति भगवान ने हर ली है तभी तो राजनीतिक रुप से अपरिपक्व व्यक्ति को भाजपा विधायक दल का नेता बनाने के लिए राज्य से लेकर केन्द्र तक भाजपा के नेता बेचैन हैं। शाबाश भाजपाइयों, जेपी पटेल को जल्दी भाजपा विधायक दल का नेता बनाओ, ताकि भाजपा की जो बची-खुची नैया हैं, वो भी डूब जाये।