अबे जिनपिंग, तुम्हें पता ही नहीं कि किस शेर को तुम छेड़ दिये हो, जियो मोदी, शी जिनपिंग की पकड़ लो नट्टी
दुनिया में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जैसे कई लोग हैं और अपने देश में भी शी जिनपिंग को चाहनेवालों की संख्या कम नहीं, पर बहुत कम ही लोग जानते हैं कि शी जिनपिंग को नाक में नकेल डालने का काम अगर पूरे विश्व में कोई कर सकता हैं, तो उस शख्स का नाम है – नरेन्द्र मोदी। जो लोग नरेन्द्र मोदी को जानते हैं, वे यह भी जानते हैं कि यह शख्स पहले तो किसी को छेड़ता नहीं, और अगर कोई उसे छेड़ दे, तो फिर उसे बिना सबक सिखाये, छोड़ता ही नहीं, उसकी कीमत उसे चुकानी ही पड़ती है, जिसने उसे छेड़ा हैं, और अब बारी है उस छेड़नेवाले की, जिसका नाम शी जिनपिंग है।
जब पहली बार नरेन्द्र मोदी ने सत्ता संभाली तो 2014 में उन्होंने अपने पड़ोसियों से बेहतर संबंध बनाने के ठोस प्रयास शुरु किये, सबसे पहले अपने सबसे छोटे पड़ोसी भूटान की यात्रा की और बेहतर संबंध बनाने का अपना पहला प्रयास शुरु किया। उन्होंने पाकिस्तान के साथ भी बेहतर संबंध बनाने का अपना इरादा जताया था, पर पाकिस्तान की राजनीति ही ऐसी है कि वहां वहीं व्यक्ति शासन ज्यादा करेगा, जो भारत और हिन्दूओं के खिलाफ आग उगलेगा, फिर भी नरेन्द्र मोदी ने बेहतर संबंध बनाने की पाकिस्तान के साथ ईमानदार कोशिश की।
लेकिन वह नहीं माना, उसने गद्दारी की और आज देखिये पाकिस्तान के हालात, जो लोग पाकिस्तान की खबर रखते हैं, वे जानते है कि पाकिस्तान फिलहाल किस हालात से गुजर रहा है। सच पूछा जाये तो वह चीन के हाथों कब का बिक चुका है, वहां तो चीन के सैनिक, पाकिस्तानी नागरिकों ही नहीं, बल्कि वहां के प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ गालों पर तमाचे चलाने से भी नहीं चूकते। ये हैं पाकिस्तान के हालात। पूरे विश्व में इसकी ये हालात है कि कोई देश इसको भाव ही नहीं देता।
उदाहरण – हाल ही में भारतीय नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में पाकिस्तान ने प्रयास किया, पर उसे किसी देश ने मदद नहीं की और ये सब कैसे हुआ? तो थोड़ा दिमाग पर असर डालिये, सब पता चल जायेगा। आज पाकिस्तानी रुपये के हालात देखिये और वहां के बाजार की हालात देखिये, दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई और दवाओं की किल्लत ने उसे कही का नहीं छोड़ा और इसका अगर किसी को श्रेय जाता है तो वह है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को।
इधर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भी यही घमंड हो गया था, उसने सोचा कि भारत में उसके आने पर भारत का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कभी गुजरात तो कभी हम्पी घुमा रहा है। उसको लगा कि भारत तो कमजोर है। यहां की अर्थव्यवस्था पर तो उसकी पकड़ हो गई है। भारतीय तो चीनी वस्तुओं के गुलाम हो गये हैं, हम जो भी करेंगे, हमारा कौन कबाड़ लेगा, ऐसे भी पूर्व प्रधानमंत्रियों के शासनकाल में तो उसने भारत को कई बार सीमाओं पर नाक रगड़वाया है। नरेन्द्र मोदी तो व्यवसायिक व्यक्ति है, वो कुछ नहीं करेगा, ये भी औरों की तरह नाक रगड़ेगा और हम इसी तरह फिर भारत के कई भू-भाग पूर्व की तरह अपने में मिला लेंगे, और लगता है कि यही शी जिनपिंग की पहली और अंतिम भूल हो गई।
कोरोनावायरस का जन्मदाता चीन, पूरे मानवता को निगलने को बेकरार रहनेवाला राक्षस चीन, वामपंथी गुंडा चीन, अपने पड़ोसियों को धमकानेवाला चीन, अपने ही देश में रहनेवाले नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित रखनेवाला चीन, हर बात में पाकिस्तानी आतंकियों को समर्थन करने को बेकरार रहनेवाला चीन भूल गया कि उसकी टक्कर अब उसके पूर्व प्रधानमंत्रियों से नहीं, बल्कि उसके अब्बा से हो गई है, जो मरते दम तक उसे और उसके लोगों को नहीं छोड़ेगा, सबक सिखाके रहेगा।
और इसकी झलक दिखा दी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने। जब चीनी एप्पस पर प्रतिबंध लगाने शुरु किये। जब भारत में चल रहे चीनी प्रोजेक्टों पर अपनी भृकुटि तानी। बार-बार चीन को आर्थिक मोर्चों पर चोट देना शुरु किया और फिर हुआ चीन का बिलबिलाना। पहले तो उसने भाव ही नहीं दिया। ये कहकर कि ऐसा करने से चीन को कम भारत को ही ज्यादा नुकसान है, पर भारत के कदम चिह्नों पर चलकर कई देशों ने जब चीन को चोट देना शुरु किया तब चीन को पता चला कि अब उसकी खैर नहीं।
आज स्थिति ऐसी है कि पूरे यूरोप ही नहीं, बल्कि एशिया के कई देश चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं, चीन को पता है कि ये मोर्चें उसके लिए भविष्य के खतरे बन चुके हैं और जो उसने महाशक्ति बनने का प्लान तैयार कर रखा है, ये उसके सपनों का गर्दन पकड़ कर बैठ गये हैं, जो संभव ही नहीं।
आज भारत-चीन सीमा पर स्थित विभिन्न ऊंचाइयों वाली चोटियों पर भारतीय सैनिकों के जमावड़े ने उसके नींद उड़ा दिये हैं। नींद तो उसी दिन उड़ गई थी, जब भारतीय सैनिकों ने उनके चालीस से पचास सैनिकों को केवल लात-घूसों से यमपुरी पहुंचा दिया था, पर चीन क्यों बोलेगा कि उसके लोगों ने लात-घूसे खाये हैं, अगर वो बोलेगा तो लोग यही कहेंगे कि चीन ने भारत से लात खाई, ऐसे में तो उसकी इज्जत ही चली जायेगी, भला फिर वो महाशक्ति कैसे बन पायेगा।
नरेन्द्र मोदी ने डोकलाम और फिर जम्मू-कश्मीर पर जो अपनी नीति रखी है, उनके नीतियों को आज पूरा विश्व समर्थन दे रहा हैं, कुछ मूर्ख देशों को छोड़कर। भारत चाहता है कि चीन के साथ सीमा विवाद खत्म हो, पर चीन ऐसा दुष्ट देश है कि वो कभी नहीं चाहेगा कि भारत के साथ उसका सीमा विवाद खत्म हो, क्योंकि उसकी चाहत है कि धीरे-धीरे भारत के नक्शें को छोटा करना और पूरे हिमालय पर कब्जा करना। हमें याद है कि इन्हीं सोच के कारण मनमोहन सिंह के शासनकाल में समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव ने सदन में कहा था कि भारत को पाकिस्तान से कम, चीन से ज्यादा खतरा है, इसलिए हमारी नीतियां चीन को फोकस करते हुए बननी चाहिए।
हमें खुशी है कि भारत-चीन सीमा पर आज जो भारतीय सैनिकों को बढ़त मिल रही हैं, उसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूरदर्शिता भी शामिल है। अगर वे भारत-चीन सीमा पर तेजी से सड़कों, पूल व पूलियों का निर्माण कराने पर जोर नहीं देते, तो आज स्थिति बिगड़ी होती। हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी प्रशंसा करेंगे कि उन्होंने सत्ता संभालते ही सीमा सड़क संगठन को इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए मनोबल बढ़ाएं। हम तो झारखण्ड के उन संथाली आदिवासियों को भी बधाई देंगे, जिन्होंने इस यज्ञ में अपनी श्रम की आहुतियां दी।
आज खुशी होती है कि चीनी सैनिक, भारतीय सैनिकों के भय से थर-थर कांप रहे हैं, और ये सब हुआ है, भारत सरकार द्वारा भारतीय सैनिकों के मनोबल बढ़ाने से। ये सब हुआ है भारत की जनता को आई बुद्धि के कारण। हालांकि कोरोना के कारण भारत की आर्थिक दशा चरमराई है, पर हमें नहीं लगता कि इससे चीन को सबक सिखाने में हमें दिक्कत होगी, क्योंकि लड़ाई पैसों और सैन्य सामग्रियों से अधिक बुद्धि से लड़ी जाती है, और इसके लिए नरेन्द्र मोदी काफी है।
आज चीन की सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को जब मैं छाती पीटते देखता हूं, रोते देखता हूं, तो हमें खुशी होती है। जब मैं यू ट्यूब पर सैकड़ों की संख्या में पाकिस्तानी चैनलों पर भारत-चीन की चर्चा सुनता हूं और भारतीय सैनिकों के मनोबल की बात सुनता हूं तो गर्व से मस्तक ऊंचा हो उठता है। कल ही मैं सुन रहा था एक पाकिस्तानी चैनल पर कि भारत ने चीन सीमा पर उन सारी ऊंचाइयों वाली चोटियों पर कब्जा कर लिया है, इससे भारत को चीन को जवाब देने में ज्यादा आसान होगा। पाकिस्तानी बुद्धिजीवी कह रहे थे कि कारगिल युद्ध में हमने भी भारत की कई ऊंचाईवाली चोटियों पर कब्जा कर लिया था, पूर्व में सियाचिन ग्लेशियर पर भी हमने कब्जे किये थे, पर भारतीय सेना ने हमारे पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दिये और सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा कर लिया, जिसका लाभ वे ले रहे हैं।
जरा देखिये, कल तक चीन बोल रहा था कि अरुणाचल प्रदेश हमारा है, पांच भारतीय नागरिकों के अगवा होने की खबर पर उसका ये जवाब था, पर आज कह रहा है कि पांचों नागरिक उसके पास है, आप देखियेगा, वो आराम से पांचों नागरिक अरुणाचल प्रदेश आयेंगे। ये चीनी ऊंट शी जिनपिंग है न, ये सौ जूते भी खायेगा और सौ प्याज भी, क्योंकि उसका मुकाबला पहली बार विश्व के किसी देश के मर्द से हुई है, जिसका नाम नरेन्द्र मोदी है। अब इस आर्टिकल को पढ़कर किसी भारतीय या किसी वामपंथी चीनी समर्थकों को मिर्ची लगती है तो लगे, पर आज जो देश की स्थिति है, उस स्थिति में जिस प्रकार देश का ये जवान हमारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लड़ रहा हैं, उसकी तारीफ तो करनी ही होगी। जियो मोदी, शी जिनपिंग की पकड़ लो नट्टी।