भारतीय नक्षत्रों का लेखा-जोखा – इस बार चित्रा डरायेगा, ठीक उसी प्रकार जैसे पिछले साल हथिया डराया था
पूरे देश में मानसून ने गजब ढाया है। समय पर आये मानसून से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। जो सहृदय कवि हैं, उनकी लेखिनियां उमड़ते-घुमड़ते काले बादलों को देख मचलने लगी है। प्रेम विरह में पागल प्रेमियों का हृदय एक-दूसरे में खोने को ललच उठा हैं। ऐसे में इस साल बारिश के भारतीय नक्षत्र कौन सा गुल खिला रहे हैं। बरसेंगे, खुब बरसेंगे या लोगों के दिलों को तरसायेंगे।
आइये देखते हैं, भारतीय नक्षत्र कब आ रहे हैं, कब खत्म हो रहे है, तथा इनके क्या सुयोग या दुर्योग है। बारिश का पहला नक्षत्र आर्द्रा माना जाता हैं और अंतिम नक्षत्र चित्रा होता है। इसी के बीच पाये जानेवाले अन्य नक्षत्र भी भारतीय कृषि को प्रभावित करते हैं, जिस पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है, ज्यादातर भारतीय किसान आज भी बारिशों के इन नक्षत्रों में ही अपनी दुनिया देखते हैं। वे मानते हैं कि प्राचीन परम्पराओं से चली आ रही नक्षत्रों की ये भविष्यवाणियां गलत नहीं होती।
जरा देखिये, इन नक्षत्रों को और उनके फलादेशों को…
- आर्द्रा – 22 जून को प्रातः 7 बजकर 11 मिनट से प्रारम्भ – वायुर्वृष्टि योग।
- पुनर्वसु – 6 जुलाई को दिन 8 बजकर 45 मिनट से प्रारम्भ – मध्यम वृष्टि योग।
- पुष्य – 20 जुलाई को दिन 10 बजकर 12 मिनट से प्रारम्भ – सुवृष्टि योग।
- आश्लेषा – 3 अगस्त को दिन 10 बजकर 33 मिनट से प्रारम्भ – सौम्य वृष्टि योग।
- मघा – 17 अगस्त को दिन 9 बजकर 20 मिनट से प्रारम्भ – वायुर्वृष्टि योग।
- पूर्वा फाल्गुन – 31 अगस्त को प्रातः 6 बजकर 9 मिनट से प्रारम्भ – अतिवृष्टि योग।
- उत्तरा फाल्गुन – 13-14 सितम्बर की मध्य रात्रि 12 बजकर 11 मिनट से प्रारम्भ – वायुर्वृष्टि योग।
- हस्त – 27 सितम्बर को दिन के 3 बजकर 35 से प्रारम्भ – मन्द वृष्टि योग।
- चित्रा – 10 अक्टूबर को रात्रि 4 बजकर 4 मिनट पर – अतिवृष्टि योग।
यानी जिस हस्तनक्षत्र या हथिया नक्षत्र ने 2019 में बिहार और झारखण्ड में कमाल दिखाया था, यानी पानी-पानी कर दिया था, भारतीय नक्षत्रों की मानें तो इस बार चित्रा ने ऐसा करने की ठानी है, जबकि आम तौर पर चित्रा नक्षत्र में कम बारिश या नहीं के बराबर बारिश होती है, क्योंकि ये समय फसल कटने का होता है। अब देखिये, सब कुछ आपके सामने हैं, कैसी रहती हैं, इस साल के भारतीय नक्षत्रों की करामात।