लगभग दो सालों के अंतराल के बाद रांची योगदा सत्संग मठ में शुरु हुआ साप्ताहिक रविवारीय सत्संग, ब्रह्मानन्दं…के श्लोकों से फिर गूंजायमान हुआ ध्यान केन्द्र
योगदा सत्संग मठ से जुड़े रांची के समस्त सत्संगियों के लिए आज का दिन, विशेष दिन बनकर आया। पिछले दो सालों से विश्वव्यापी कोरोना महामारी को लेकर रविवारीय सत्संग से वंचित योगदा भक्त उस वक्त आनन्दविभोर हो गये, जब उनके कानों में योगदा के एक संन्यासी के मुख से यह श्लोक बहुत दिनों के बाद सुनने को मिला…
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशम् तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
एक नित्यं विमलमचलम् सर्वधीसाक्षिभूतं
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि।।
ज्ञातव्य है कि पिछले दो वर्षों से योगदा भक्त, ईश्वर से बार-बार प्रार्थना कर रहे थे कि जल्द ही लोगों को कोरोना से मुक्ति मिले और फिर से पुनः वहीं समय लौट कर आये, जब योगदा के अनुयायी प्रत्येक रविवार को समयबद्ध होकर योगदा सत्संग मठ पहुंचते थे, ध्यान केन्द्र में जुटते थे और सत्संग का लाभ उठाते थे। ठीक वैसा ही समय पाकर लोग आज इतने आनन्दित हुए कि सबके चेहरे की चमक देखते बन रही थी।
सत्संग को संबोधित करते हुए योगदा के संन्यासी इच्छाशक्ति पर केन्द्रित योगदा के विचारों को लोगों के समक्ष रखा और बताया कि बिना इच्छाशक्ति के कुछ भी पाना संभव नहीं, इसलिए इच्छाशक्ति को आज समझने व जानने ही नहीं, बल्कि उसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।
सत्संग समाप्ति के बाद कई लोग, जो अपने परिवार के साथ पहुंचे थे, सभी ने परमहंस योगानन्द की स्मृतियों को अपने हृदय में सहेजने की कोशिश की। उन स्थानों का परिभ्रमण किया, जो परमहंस योगानन्द से जुड़े थे। इस दौरान ज्यादातर लोगों ने लीची वृक्ष के नीचे समय बिताया तथा उन स्पन्दनों को अनुभव करने की कोशिश की, जो आध्यात्मिक मूल्यों को और प्रगाढ़ करने के लिए बहुत ही आवश्यक थी।
Jai Guru!
It is a joy to see our beloved Guru Paramahansa Yoganandaji’s ashrams open to devotees again.
Thank you for sharing!