अपनी बात

आखिर भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर कर क्या रहे हैं, वे भाजपा को शीर्ष पर ले जाना चाहते हैं या गर्त में, जिलाध्यक्ष का काम भी अब यही करने लगे, ऐसे में तो भाजपा पूरे प्रदेश में स्वाहा हो जायेगी

ये भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर कर क्या रहे हैं, ये भाजपा को शीर्ष पर लाने की कोशिश कर रहे हैं या गर्त में ले जाने की तैयारी, जो काम जिलाध्यक्ष का था, वो भी काम अब यही करने लगे, मतलब जिलाध्यक्षों की भी सारी शक्ति इस व्यक्ति ने छीन ली। जरा देखिये न ये भाजपा के महामानव ने क्या किया है? भाजपा के संविधान के तहत जो काम जिलाध्यक्षों का था, वो काम अब ये रांची में बैठकर संगठन मंत्री कर रहे हैं। इससे भाजपा का दुर्दिन आना एक तरह से तय हो गया है।

अब जरा देखिये, इन्होंने किया क्या है? ये हैं धनबाद ग्रामीण की सूची। जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, मंत्री आदि मिलाकर कुल 23 सदस्य हैं। इन 23 सदस्यों में से 11 सदस्य सिर्फ एक ही विधानसभा यानी सिंदरी विधानसभा के हैं। जिसमें जिलाध्यक्ष भी सिंदरी, दोनों महामंत्री सिंदरी, छह में चार उपाध्यक्ष भी सिंदरी के ही हैं। मीडिया प्रभारी भी सिंदरी, जिला मंत्री भी सिंदरी और कार्यालय मंत्री भी सिंदरी के हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे कहते हैं कि धनबाद में तीन विधानसभा क्षेत्र धनबाद ग्रामीण में आते हैं। पहला – टुंडी, दूसरा – निरसा और तीसरा – सिंदरी। अब सवाल उठता है कि एक ही विधानसभा सिंदरी से 11 लोग, जिसमें सारे के सारे प्रमुख पद सिंदरी से ही हैं, तो बाकी दो विधानसभा के भाजपा कार्यकर्ता क्या करेंगे, कर्मवीर सिंह का झोला ढोंयेगे।

राजनीतिक पंडित तो इसे राजनीतिक रतौंधी की संज्ञा दे रहे हैं। ये कहते है कि काल के प्रवाह में रांची में बैठे भाजपा के बड़े नेता सांगठनिक चुनाव में होनेवाले निर्वाचन प्रक्रिया तक को सीमित कर दिया है। पूर्व में जो निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान सांसदों और विधायकों से जो राय ली जाती थी, उसे भी इन्होंने खत्म कर दिया है। पहली बार देखा गया कि एक ही फरमान से लोकसभा चुनाव के पूर्व सारे जिलाध्यक्ष को बदल दिया गया।

जिलाध्यक्ष को बदलने के पूर्व किसी से रायशुमारी नहीं ली गई और न ही किसी से उनका मंतव्य जाना गया। शक्ति का ऐसा केन्द्रीकरण भाजपा के इतिहास में कभी देखा ही नहीं गया। जब केन्द्र के संज्ञान में यह बात आई तो केन्द्रीय नेतृत्व ने कहा कि जिलाध्यक्ष तो वहीं रहेंगे, पर पुरानी कमेटी ही आगे काम करेगी। जबकि भाजपा का संविधान कहता है कि जैसे ही जिलाध्यक्ष कोई बनेगा तो अपने कमेटी एक माह के अंदर बनाकर उसकी घोषणा कर देगा।

लेकिन आज आठ महीने बीतने को आये किसी जिलाध्यक्ष ने अपनी कमेटी नहीं बनाई। अब उलटे राजधानी में बैठे संगठन मंत्री तय कर रहे हैं कि कहां की कमेटी में कौन-कौन लोग रहेंगे और कौन नहीं रहेंगे। नतीजा सामने हैं कि धनबाद ग्रामीण में 23 सदस्यों में से आधे केवल सिंदरी से ही आ गये। उसमें भी सारे महत्वपूर्ण पदों पर सिंदरी का ही कब्जा हो गया और अन्य दो विधानसभा क्षेत्रों के भाजपा कार्यकर्ता मुंह ताकते रह गये। इस घटना से सारे के सारे भाजपा कार्यकर्ता अवाक् और हतप्रभ है कि आखिर रांची में बैठे भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को हो क्या गया?