राजनीति

मंत्रिपरिषद् के अस्तित्व में आने के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सभी मंत्रियों को राज्य की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिये तथा उन टिप्सों के आधार पर काम करने की रणनीति बनाने को कहा

मंत्रिपरिषद् के अस्तित्व में आ जाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में 06 दिसम्बर 2024 को मंत्रिपरिषद की पहली बैठक धुर्वा स्थित झारखण्ड मंत्रालय में सम्पन्न हुई। जिसमें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य सरकार के सभी मंत्रीगणों को अपने-अपने विभागीय कार्यों के सम्पादन हेतु निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर परामर्श दिया तथा आशा व्यक्त की कि सभी मंत्रीगण सरकार के इस कार्यकाल में वर्णित इन तथ्यों का विशेष ध्यान रखने की कोशिश करेंगे ….

  1. मंत्रिपरिषद् में भेजे जाने वाले प्रस्ताव पर स्वयं संतुष्ट हो लें। वित्त विभाग/विधि विभाग/कार्मिक विभाग से भी सम्पर्क करें ताकि, ससमय मंत्रिपरिषद् की बैठक में प्रस्ताव आ सके।
  2. सभी मंत्रीगण अपने-अपने विभाग के सभी जिला के क्षेत्रीय कार्यालय में जा कर विभागीय कार्यकलाप की समीक्षा करें तथा विभागीय योजना के लाभुकों से मुलाकात कर फीडबैक लें।
  3. विभागीय कार्यकलाप का समीक्षा करें। सभी योजनाओं को समझ कर उसके गुण-दोष का अध्ययन करें।
  4. वैसी योजनाएँ जो बहुत दिनों से लम्बित हैं, उसके लम्बित रहने के कारण की समीक्षा करें और उसको पूरा कराने के लिए कार्रवाई करें।
  5. कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसमें आज की पृष्ठभूमि में बदलाव अपेक्षित है या फिर कुछ प्रावधान के कारण क्रियान्वयन में कठिनाई होती है उसके निराकरण का प्रस्ताव प्राप्त कर कार्रवाई करें।
  6. राज्य में आपके विभाग के योजना से अगर कोई क्षेत्र छूटा हुआ है, खासकर दूर-दराज के क्षेत्र, एससी/एसटी क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्र उसके लिए योजना के प्रस्ताव पर विचार करें।
  7. वैसे विभाग जिनमें राजस्व प्राप्ति की बेहतर संभावनाएं हैं, वे राजस्व स्रोत की समीक्षा कर राजस्व प्राप्ति की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव तैयार करें।
  8. भवन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर वाली योजना की विशेष समीक्षा करें, ताकि बना हुआ भवन का वास्तविक इस्तेमाल हो सके। अनावश्यक भवन आदि की योजना न लिया जाय।
  9. वर्ष 2025-26 में ली जाने वाली योजनाओं की रूप-रेखा तैयार करें।
  10. अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी के प्रोन्नति की स्थिति की समीक्षा करें और प्रोन्नति प्रदान करें।
  11. पदस्थापना की समीक्षा करें और आवश्यकता या कम जरूरी के आधार पर एडजस्टमेंट करें।
  12. आप्त सचिव तथा निजी स्टाफ रखते समय उसकी पृष्ठभूमि जरूर देख लें ताकि विवादित कर्मी मंत्री कार्यालय में स्थान नहीं पायें।
  13. कोर्ट केस मामले की भी समीक्षा करें ताकि सरकार केस कम से कम हारे।
  14. अपने विधान-सभा क्षेत्र से बाहर भी हर जिला में भ्रमण करें और लोगों से मिलकर वहाँ की समस्या (खासकर अपने विभाग से संबंधित) के निपटारा के लिए प्रयास करें।
  15. क्षेत्रीय पदाधिकारियों के बारे में क्षेत्र भ्रमण के क्रम में फीडबैक प्राप्त करें और मुख्यमंत्री को समय-समय पर अवगत कराएं।
  16. स्थानीय जन प्रतिनिधियों से मिलने के लिए तिथि का निर्धारण कर दें, ताकि सभी को सहुलियत हो।
  17. सभी मंत्रीगण समय-समय पर अपने विभाग की उपलब्धियों के विषय में प्रेस के प्रतिनिधियों को प्रेस कांफ्रेस कर जानकारी उपलब्ध कराते रहें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *