राज्य विभाजन के बाद सारे सरकारी, ग़ैर सरकारी, गैरमजरूआ, आम-ख़ास ज़मीनों की गोरखधंधे के मामलों की जांच CBI को दी जायें – बाबूलाल मरांडी
झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री व वर्तमान में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्य में विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी, गैरमजरुआ, आम-खास जमीनों की आ रही घोटाले की खबर पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने आज अपने ट्विट के माध्यम से खुलकर इस बात को राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कह डाला कि जितनी भी खबरें जमीन घोटाले की आ रही हैं, उन सारे मामलो की जांच सीबीआई से सरकार करवा दें।
बाबूलाल मरांडी ने तो दो कदम और आगे बढ़कर कह डाला कि इसमें राज्य विभाजन के बाद से यानी जब वे (बाबूलाल मरांडी) स्वयं मुख्यमंत्री थे, उस काल खण्ड की भी जांच करायें ताकि राज्य की जनता को सच्चाई का पता चल सकें और दोषियों को कानून दंडित कर सकें। आम-तौर पर इस प्रकार का बयान देने की ताकत तो फिलहाल राज्य में किसी नेता के पास नहीं हैं, वो चाहे भाजपा के ही क्यों न हो।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी के इस बयान की विभिन्न राजनीतिक पंडितों ने खुलकर प्रशंसा की है। उनका कहना है कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री और वर्तमान में राज्य के एक बड़े दल के विधायक दल के के नेता का यह बयान काफी मायने रखता है, नहीं तो ज्यादातर लोग अपने कालखंड की जांच की मांग न कर, वर्तमान तक ही सिमटे रहते हैं, ऐसे में राज्य सरकार को देर नहीं करना चाहिए, सीधे पूरे मामले सीबीआई के हाथों में देकर दूध का दूध पानी का पानी कर देना चाहिए और जो लोग इस मामले में दंडित हैं, उन्हें कानून का डंडा भी दिखाना चाहिए। इससे हेमन्त सरकार का भी सम्मान बढ़ेगा। आखिर बाबूलाल मरांडी के ट्विट में क्या है? आइये देखते हैं…
“सोशल मीडिया पर लोग हमसे यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इतना बड़ा ज़मीन घोटाला सिर्फ़ तीन सालों में ही हो गया है? लोगों का यह सवाल और उस पर हमसे जवाब माँगना वाजिब है। मेरा मानना है कि राज्य विभाजन के बाद ज़मीन के कागजातों के रख-रखाव की कमी एवं रिकार्ड्स को व्यवस्थित नहीं करने का फ़ायदा दलाल, जालसाज़, बिचौलियों ने कुछ बेईमान अफ़सरों-कर्मचारियों से मिलकर उठाया है।
मैं इस बात से भी इंकार नहीं करता कि राज्य बनने के बाद से ही ये धंधा नहीं हो रहा होगा। लेकिन यह भी सच है कि हेमंत सोरेन के सत्ता सँभालने के बाद इस ज़मीन घोटाले को सत्ता के संरक्षण एवं हिस्सेदारी में परवान चढ़ा दिया गया। मैं हेमन्त सोरेन से अनुरोध करता हूँ कि राज्य विभाजन के बाद से ही ( मेरे कार्यकाल से ही ) जितने भी सरकारी, ग़ैर सरकारी, गैरमजरूआ आम-ख़ास समेत सारे ज़मीन ट्रांसफ़र/म्यूटेशन/गोरखधंधे के मामलों की जाँच सीबीआई के हवाले कर दें।”