विजय झा के बाद राज किशोर ने भी ढुलू के MLA बनने पर उठाए सवाल, स्पीकर से सदस्यता रद्द करने की मांग
धनबाद के कतरास निवासी वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा के बाद पूर्व विधायक राज किशोर महतो ने भी बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो की विधायिकी पर सवाल खड़े कर दिये हैं। राज किशोर महतो का कहना है कि एक तरह से देखा जाये तो पूर्व विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव को ही ढुलू महतो पर कार्रवाई करते हुए उन्हें अयोग्य कर देना चाहिए था, क्योंकि कानून ढुलू महतो को विधानसभा के सदस्य के रुप में रहने देने को मंजूरी नहीं देता।
पूर्व विधायक राज किशोर महतो चूंकि कानून के जानकार भी है, वे एक अखबार प्रभात खबर को दिये साक्षात्कार में इस बात को उल्लेखित किया है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने केरल के एक विधायक जय राजन की विधायिकी समाप्त कर दी तो बाघमारा के विधायक ढुलू पर ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं।
ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों धनबाद कतरास के वरिष्ठ समाजसेवी विजय कुमार झा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था तथा इस मुद्दे को झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो के अध्यक्षीय कार्यालय ले जाकर बाघमारा के भाजपा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, साथ ही ढुलू की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की गुहार लगाई। विजय झा ने अध्यक्षीय कार्यालय को सौंपे अपने पत्र में इस बात को लिखा था कि ढुलू महतो को दो वर्षों से भी ज्यादा की सजा विभिन्न मामलों को जोड़ने पर हो जाती हैं, इसलिए ढुलू महतो को यथाशीघ्र उनकी सदस्यता रद्द की जाये।
विजय झा ने अपने शिकायत पत्र में इस बात का जिक्र किया था कि पंचम विधानसभा के लिए बाघमारा से निर्वाचित विधायक ढुलू महतो ने जो कुछ दिन पहले विधानसभा की सदस्यता का शपथ लिया, उन्होंने खुद चुनाव आयोग को दिये गये अपने नामांकन शपथ पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि विभिन्न मामलों में, वे विभिन्न तारीखों में दोषी पाये गये हैं, जिन सजाओं को जोड़ने पर दो वर्ष से भी अधिक की सजा हो जाती है।
उन्होंने (ढुलू महतो) ने खुद इस बात की घोषणा की है कि उन्हें एक मामले में 72 महीनों की सजा और दूसरे अन्य मामले में 12 माह यानी कुल 84 माह की सजा हो चुकी है और ये सजा सब ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट धनबाद की ओर से दी गई। जिसमें कतरास थाना कांड संख्या 120/2013, जीआर नं. 2023/2013, जजमेंट की तारीख 9 अक्टूबर 2019 है।
जिसमें 149 आइपीसी सेक्शन के साथ-साथ 323 सेक्शन भी लगी है, इसमें 12 महीने की सजा और 1000 रुपये की फाइन भी लगी है। इसी प्रकार 149 आइपीसी सेक्शन के साथ-साथ 353 सेक्शन मामले में 12 महीने की सजा और 2000 रुपये दंड, 149 आइपीसी सेक्शन के साथ-साथ 332 सेक्शन मामले में 18 महीने की सजा और 3000 रुपये दंड, 147 आइपीसी सेक्शन मामले में 12 महीने की सजा और 1000 रुपये दंड, 149 आइपीसी सेक्शन समेत 225 सेक्शन मामले में 18 महीने की सजा और 1000 रुपये दंड भी लगा है। अगर इन सारे दंडों को जोड़ दें, तो इसकी संख्या 72 महीने हो जाती है।
हाल ही में बाघमारा थाना कांड संख्या 307/2006 (जीआर नंबर 4041/2006) में मो. उमर की कोर्ट ने इन्हें 353 आइपीसी की धारा के तहत एक साल की सजा सुनाई। ये सारी सजाएं ढुलू महतो के विधानसभा सदस्यता समाप्त करने के लिए काफी है, जो सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के गाइडलाइन ने दे रखी है। अतः बाघमारा से निर्वाचित भाजपा विधायक ढुलू महतो को विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर, लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करें।
ज्ञातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच से जुड़े न्यायमूर्ति आरसी लाहोटी, न्यायमूर्ति शिवराज पाटिल, न्यायमूर्ति ए जी बालकृष्णन्, न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्णा और न्यायमूर्ति जी पी माथुर ने संयुक्त रुप से यह फैसला दिया था कि सजा को समग्रता में देखा जाना चाहिए, और इसीलिए इस संवैधानिक पीठ ने के प्रभाकरण को 29 महीने की सजा, जिसमें एक धारा में अधिकतम एक वर्ष, और सभी धाराओं को मिलाकर 29 माह की सजा थी, उस जय राजन को जीवनपर्यन्त चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।
इसी आधार पर विजय झा ने झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष से गुहार लगाई कि जब जयराजन को 29 महीने की सजा होने पर उसे चुनाव से बाहर कर दिया गया तो फिर ढुलू के साथ, जिसे 84 माह की सजा हुई, जिसकी खुद शपथ पत्र में स्वीकारोक्ति हैं, वह सदन में कैसे बैठ सकता है, अतः विधानसभाध्यक्ष ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर, एक मिसाल कायम करें।
राज किशोर महतो साफ कहते है कि दरअसल पूर्व स्पीकर दिनेश उरांव ने रघुवर सरकार के दबाव में आकर ढुलू महतो की विधायकी बरकरार रखी थी, वर्तमान स्पीकर को इस मामले में जल्द फैसला लेना चाहिए। राज किशोर महतो ने यह भी कहा कि जब चुनाव लड़नेवाला ढुलू महतो स्वयं साक्ष्य प्रस्तुत कर रहा है कि उसे दो साल से अधिक की सजा हो चुकी है, तो ऐसे मामले में निर्वाची पदाधिकारी को ही निर्णय लेते हुए, उसके नामांकन पत्र को रद्द कर देना चाहिए था।
पर ऐसा न कर निर्वाची पदाधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में हैं। राज किशोर महतो ने जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी अंगूली उठाई है कि उनका कहना है कि जिला प्रशासन की शह के कारण ही एक विधायक जो विधायक के योग्य नहीं है, उसने अपना साम्राज्य फैलाया, रंगदारी दिखाई।