अपनी बात

मंत्री के लिए एय़रलिफ्ट और गरीब महिलाओं के लिए अस्पताल के गेट से विभाग तक जाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं, अमजद ने महिला की बचाई जान

ये है, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का इलाका। देखिये, जमशेदपुर और कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम की बदहाली। इसकी कुव्यवस्था के दर्शन तो हर दिन होते हैं, इसके किस्से दिखा-दिखाकर जूनियर से लोग सीनियर पत्रकार बन गए लेकिन एमजीएम नहीं बदला।  कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन किसी ने इसको सुधारने की ईमानदार कोशिश नहीं की।

अगर कोई ईमानदार कोशिश करता रहा तो वो है मीडिया। मीडिया लगातार यहां की कड़वी सच्चाईयों से रूबरू कराता रहा और आज भी करा रहा है। इतना ही नहीं मीडियाकर्मी ,सिर्फ यहां की खबरें नहीं दिखाते, बल्कि वे खुद लोगों की मदद उस समय करते हैं, जब एमजीएम परिसर में एक अदद स्ट्रेचर तक नहीं मिलता।

यकीन न हो तो जमशेदपुर के एमजीएम में घटी आज की घटना की तस्वीर और फोटो देखिए। आप पाएंगे कि एमजीएम प्रबंधन तो मदद के लिए समय पर आगे नहीं ही आय़ा आम लोग भी कोरोना के भय से मदद को सामने नहीं आए जबकि हम हर दिन मीडिया में शहर के बाजारों की भीड़ देखते हैं जहां किसी को कोरोना का खौफ नहीं होता मगर अस्पताल में किसी की मदद की जरूरत पड़े तो वहां मौजूद लोगों को कोराना का खतरा महसूस होने लगता है।

वो तो भला हो हिंदुस्तान अखबार के फोटो जर्नलिस्ट अमजद खान का, जिन्होंने प्रसव पीड़ा से तड़पती बागुनहातु की रिंकु को एमजीएम अस्पताल की गेट से प्रसूति विभाग तक पहुंचाया और वो भी गोद में क्योंकि कोई चारा न था, गेट पर टेंपुवाला गर्भवती महिला को छोड़कर चला गया था, महिला ने पूरी कोशिश की थी कि वो अपने साथ लाए तीन वर्षीय बच्चे को लेकर किसी तरह प्रसूति विभाग पहुंच जाए लेकिन धड़ाम से गिर पड़ी।

अफसोस किसी ने उस महिला की मदद नही की, मौके पर पत्रकार अमजद पहले से मौजूद थे, चूंकि सुबह ही भालूबासा की एक दलित महिला औऱ उसके नवजात बच्चे की लापरवाही से मौत हो चुकी थी, जिसकी कवरेज करने वे आए थे। दूसरी ओर ऐसी घटना हो जाती है लेकिन अमजद ने जब देखा कि न तो एमजीएम से कोई स्ट्रेचर ला रहा है औऱ न ही कोई आम आदमी या परिसर में मौजूद महिला मदद को आगे आ रही है।

तब उसने बिना समय गंवाए प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को गोद में उठाया और लंबी दूरी तय करके सीढ़ियों से चढ़ते हुए एमजीएम अस्पताल के पहले तल्ले में स्थित प्रसूति विभाग पहुंचे। ध्यान देनेवाली बात है कि यहां लिफ्ट की सुविधा नहीं है, उस वक्त न तो गार्ड या नर्स किसी ने भी मदद की जहमत नहीं उठाई। प्रसूति विभाग में पहुंचने के बाद भी काफी हो हंगामे के बाद एक स्ट्रेचर आया जिसे प्रसूति कक्ष में ले जाया गया। भला हो एक और महिला का जिसने अमजद को मदद करता देखकर खुद भी मदद की पहल की।

अब यहां सवाल उठता है कि क्या एमजीएम के पास वाकई पैसे की इतनी कमी है कि अस्पताल के गेट से विभिन्न विभागों तक के लिए कोई स्ट्रेचर की सुविधा नहीं होती या फिर ये सरासर कुव्यवस्था, बदइंतज़ामी है। मुझे तो ये बेशर्मी लगती है। इस घटना पर सोशल मीडिया में भी खूब चर्चा है जहां लोग पत्रकार अमजद की पीठ थपथपा रहे हैं और एमजीएम पर सवाल खड़े रह रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने इस घटना की वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया है जिसमें पत्रकार अमजद को सलाम लिखते हुए सरकार से पूछा है कि आखिर कब तक ऐसा होगा?

अमजद खान एक ऐसे पत्रकार हैं जो अपनी समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं, कोरोना काल में उन्होंने लगातार राशन पहुंचाने से लेकर कई तरह की मदद लोगों को की है। वे अपने फेसबुक लाईव के माध्यम से लोगों से जुड़े रहते हैं औऱ पत्रकार हित पर भी मुखर रहते हैं। ऐसे लोगों की वजह से मानवता बची है वरना सिस्टम तो झारखंड में ध्वस्त हैं।

13 जुलाई को विधायक सह पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी एमजीएम का दौरा करने के बाद व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि एमजीएम की स्थिति में सुधार की कोई ठोस पहल स्वास्थ्य मंत्री की ओऱ से नहीं की गई है। सुधार के नाम पर अपना एक स्थाई प्रतिनिधि तैनात कर छोड़ दिया है जो नियम के अनुकूल नहीं है।

सरयू राय ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि देश में एमजीएम ही एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां एक भी ड्रेसर नियुक्त नहीं है। बिना ड्रेसर के अप्रशिक्षित व्यक्ति से ये काम लिया जाता है.यहां सफाईकर्मियों और सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त संख्या में नियुक्ति नहीं हुई है। सरयू राय ने बताया कि 1986 तक एमजीएम एक अनुमंडलीय अस्पताल था, इसके बाद ये कॉलेज का अस्पताल बना।

अस्पताल में बिस्तरों की संख्या 600 से ऊपर हो गई लेकिन इमरजेंसी में बिस्तरों की संख्या 15 ही रही, जिसे बिना अनुमति लिए बढ़ाकर 35 किया गया। बिस्तरों की पर्याप्त संख्या न रहने की वजह से कुर्सी और बेंच पर बिठाकर इलाज कराने की नौबत आती है क्योंकि सरकारी अस्पताल होने की वजह से ये किसी को लौटा नहीं सकता। कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य सचिव ने दौरा किया था जिसके बाद विधायक सरयू राय ने भी दौरा कर पुराने वायदों की याद दिलाई।