अखिल भारतीय स्तरीय त्रिदिवसीय प्रांत प्रचारकों की बैठक रांची में संपन्न, संघ का दावा ऑनलाइन के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग सवा लाख लोग संघ के विभिन्न गतिविधियों से जुड़ रहे हैं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय स्तरीय प्रांत प्रचारकों की त्रिदिवसीय बैठक रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय में आज सम्पन्न हो गई। इस बैठक में संघ के विभिन्न कार्य योजनाओं पर चर्चा और समीक्षा की गयी। प्रेस ब्रीफिंग में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ के दृष्टिकोण से पूरे देश भर में 46 प्रांत हैं।
उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि देश की युवा शक्ति काफी संख्या में संघ से जुड़ने की इच्छा व्यक्त कर रही है, और जुड़ भी रहे हैं। संघ ने वर्ष 2012 में ज्वाइन आरएसएस (वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन) के तहत एक ऑनलाइन माध्यम प्रारंभ किया था। इसके अंतर्गत ऑनलाइन माध्यम से प्रतिवर्ष एक से सवा लाख लोग संघ के साथ विविध गतिविधियों में जुड़ रहे हैं। इस वर्ष भी जून के अंत तक 66529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की है।
इस वर्ष से संघ प्रशिक्षण वर्गों की रचना व पाठ्यक्रम में परिवर्तन किया गया है। देशभर में 40 वर्ष से कम आयु के स्वयंसेवकों के लिए इस वर्ष कुल 72 वर्ग (संघ शिक्षा वर्ग – 60, कार्यकर्ता विकास वर्ग प्रथम – 11, कार्यकर्ता विकास वर्ग द्वितीय – 1) आयोजित हुए, इनमें कुल 20615 लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। 40 से 65 वर्ष की आयु के लोगों के लिए आयोजित 18 वर्गों में 3335 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। पिछले वर्ष आयोजित प्राथमिक शिक्षा वर्गों में एक लाख नए लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। ऐसे ही नई रचना में सामान्य स्वयंसेवकों के लिए पहली बार प्रारंभिक वर्गों (तीन दिवसीय) का आयोजन देशभर में हो रहा है, जिसमें प्राथमिक से दोगुनी संख्या में युवा सहभागी हो रहे हैं।
सुनील आंबेकर ने रांची में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के अंतिम दिन आयोजित प्रेस वार्ता में बैठक के संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि बैठक में कुल 227 कार्यकर्ता देशभर से अपेक्षित थे। बैठक में संगठन दृष्टि से महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन हुआ। प्रेस वार्ता में झारखंड प्रांत संघचालक सच्चिदानंद लाल, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख द्वय नरेंद्र कुमार व प्रदीप जोशी भी उपस्थित रहे। आपसी विचार विमर्श के लिए विविध संगठनों की समन्वय बैठक 31 अगस्त, 1, 2 सितंबर 2024 को केरल के पलक्कड़ में होगी।
सुनील आंबेकर ने बताया कि विजयादशमी 2025 (100 वर्ष पूरे होने पर) तक देश में संघ कार्य विस्तार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मंडल तथा शहरी क्षेत्रों में सभी बस्तियों में दैनिक शाखा का लक्ष्य तय किया है। मार्च 2024 तक देश में 58981 मंडलों में से 36823 मंडल में प्रत्यक्ष दैनिक शाखा है, ऐसे ही शहरी क्षेत्रों में 23649 बस्तियों में से 14645 बस्तियों में संघ कार्य है। शेष में साप्ताहिक अथवा मासिक संपर्क है।
अभी देश में 73117 दैनिक शाखाएं, और 27717 साप्ताहिक मिलन चलते हैं। इसके अलावा जहां शाखा कार्य अथवा संपर्क नहीं है। संघ ऐसे 158532 गांवों में जागरण पत्रिकाओं के माध्यम से सकारात्मक संदेश, आध्यात्मिक विचार, संतों का संदेश लोगों तक पहुंचा रहा है। श्रीराम जन्मभूमि अक्षत वितरण अभियान के दौरान 15 दिनों में देश के पौने छह लाख गांवों तक स्वयंसेवक पहुंचे थे।
आगामी योजना को लेकर बताया कि यह वर्ष पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होलकर की त्रि-शताब्दी का वर्ष है। पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी ने अपने जीवन में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद एक आदर्श स्थापित किया। उनके जीवन संदेश, जीवन आदर्श को जन-जन तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवक समाज के साथ मिलकर वर्ष भर कार्य करेंगे। इसका शुभारंभ 31 मई को इंदौर से हो चुका है।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से गौ सेवा व ग्राम विकास को मिलाकर विशेष योजना बना रहे हैं। दोनों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयास बढ़ाए जा रहे हैं, जिससे गांव की स्थिति बेहतर हो। युवाओं से भी आह्वान है कि 24 घंटे गांव में रहो, यह कार्य देखो व सहभागी बनो। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक देशभर में सेवा कार्य कर रहे हैं। सेवा के साथ स्वावलंबन पर भी बल दिया जाता है।
जिससे सेवा प्राप्त करने वाला स्वावलंबी बने। जहां-जहां भी संघ के स्वयंसेवक हैं, मणिपुर सहित उन सभी स्थानों पर स्वयंसेवक निरंतर सेवा कार्य करते हैं, और कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी संघ की गतिविधियों को समाज से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। पंच परिवर्तन के विषयों को लेकर तैयारी भी चल रही है और समाज में निरंतर संपर्क भी चल रहा है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि संघ सीधे चुनाव के कार्य में नहीं लगता। संघ लोकमत परिष्कार, लोकमत जागरण का कार्य करता है। इस बार भी स्वयंसेवकों ने छोटी-छोटी गोष्ठियों के माध्यम से लोकमत परिष्कार का कार्य किया था। लोकतंत्र में लोक सबसे ऊपर है। सभी दल अपनी-अपनी बात लेकर जाते हैं और जनता ने उस पर अपना निर्णय दिया है। उसका सभी को सम्मान करना चाहिए।
मतांतरण पर उन्होंने कहा कि धोखे से, जबरन, लालच से मतातंरण नहीं होना चाहिए, यह पूर्णतया गलत है। इसे रोकने के लिए कानून भी हैं। सभी को कानून का पालन करना चाहिए। जनसंख्या असंतुलन पर पूर्व में सरसंघचालक जी अपने उद्बोधन में बता चुके हैं। जनसंख्या असंतुलन को लेकर समाज को भी चिंता करनी चाहिए, और इस संबंध में जो भी करणीय होगा संघ उस दृष्टि से आगे बढ़ेगा। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आपातकाल लगाना गलत था, लोकतंत्र में ऐसी बातें नहीं होनी चाहिए। आपातकाल के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संघर्ष भी किया था, और संघ के सैकड़ों कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी थी।