UPA में सब बम-बम, पर NDA में खींचतान जारी रहने से भाजपा को लगी मिर्ची, UPA को जमकर कोसा
यूपीए यानी महागठबंधन ने वह काम कर दिया हैं, जो एनडीए ने कभी सोचा नहीं था, पर हुआ तो हैं। महागठबंधन में जो सीटों को लेकर खींचतान की संभावना थी, जो यूपीए की टूट का खतरा बना हुआ था, वह खतरा अब समाप्त हो गया है, और यूपीए की तीन महत्वपूर्ण घटक झामुमो, कांग्रेस और राजद ने यह तय कर लिया कि अब राज्य में भाजपा की सरकार को नहीं रहने देना है, रघुवर सरकार को बाहर का रास्ता दिखाना है।
इधर जैसे ही महागठबंधन में सीटों के बंटवारों को लेकर सारी अनिश्चतिता समाप्त हुई। सूत्र बताते हैं कि रांची भाजपा मुख्यालय में बैठे कुछ भाजपा नेताओं को मिर्ची लग गई, वे सोच में पड़ गये कि आखिर यह कैसे हो गया? कांग्रेस इतनी कम सीटों पर कैसे मान गई? तेजस्वी कैसे मान गये? सूत्र बताते हैं कि रांची भाजपा मुख्यालय में बैठे लोग, प्रेस क्लब में बैठे भाजपा के लिए मुखबिरी का काम कर रहे एक चैनल के पत्रकार से मुखबिरी का काम लेते रहे, और वह पत्रकार बड़ी ही ईमानदारी से मुखबिरी का काम करता रहा, सब कुछ बताता रहा।
जैसे ही उस पत्रकार ने बताया कि तेजस्वी प्रेस कांफ्रेस में नहीं हैं, भाजपा मुख्यालय में बैठे लोगों की बांछे खिल गई, उन्हें लगा कि महागठबंधन समाप्त, पर जैसे ही तेजस्वी का बाद में बयान आया कि उनकी पहली और अंतिम लक्ष्य राज्य में उस सरकार को हटाना है, जो असंवैधानिक कार्य करने को जानी जाती हैं, सारी किन्तु-परन्तु ही समाप्त हो गई, लोगों का मुंह लटक गया।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि महागठबंधन ने अभी राजनीतिक गठबंधन की पहली सीढ़ी चढ़ने में कामयाबी पाई हैं, अभी जब तक चुनाव पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता, उसे हमेशा चौकन्ना रहना पड़ेगा, क्योंकि इस बार की लड़ाई कोई सामान्य लड़ाई नहीं हैं, भाजपा ने महागठबंधन को छिन्न-भिन्न करने के लिए उनके दलों में शामिल लोगों को प्रलोभन दिलाकर मिला लिया हैं, ऐसे में भाजपा आनेवाले समय में अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता, महागठबंधन को अभी भी फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे, अगर उसे सत्ता हासिल करनी हैं।
साथ ही कांग्रेस के बड़े नेता यानी राष्ट्रीय नेताओं को अभी से ही हर मोर्चे पर ताकत दिखानी होगी, लोग उनके बड़े नेताओं को सुनना और देखना चाहते हैं। झारखण्ड में ऐसे कई इलाके हैं, जहां भाजपा कही नहीं दिखती, वहां कांग्रेस या झामुमो ही दिखती है, इसलिए अगर वे ईमानदारी से अपनी ताकत का सही प्रयोग करेंगे तो उन्हें सफलता मिलेगी, साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की तरह कोई ऐसा अनाप-शनाप बयान नहीं दे दें, जो उनके लिए ही भारी पड़ जाये।
क्योंकि आज जो भाजपा की दयनीय दशा हैं, वह किसी और को लेकर नहीं, बल्कि भाजपा की दयनीय दशा बनाने में राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके संग-संग चलनेवाले कनफूंकवों ने ही कर दिया हैं, जिससे भाजपा की हालत पस्त हैं, आज भी भाजपा का कोई कार्यकर्ता, या संघ के आनुषांगिक संगठनों का कोई अधिकारी रघुवर दास को पसन्द नहीं करता, ये बाते खुद भाजपा और संघ के वरीय अधिकारियों को पता हैं।
सूत्र बताते है कि कल दिल्ली से जमशेदपुर लौटे राज्य के मुख्यमंत्री का चेहरा तमतमाया हुआ था, कल उनके जमशेदपुर आवास पर एक पत्रकार राममंदिर पर आज आ रहे फैसले को लेकर बाइट लेने पहुंची थी, यह बाइट सामाजिक समरसता को लेकर था, उसके बावजूद सीएम रघुवर दास बाइट देने को तैयार नहीं थे, सूत्र बताते है कि दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं के बीच उनको लेकर कोई अच्छी रिपोर्ट नहीं हैं, जिसे लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास फिलहाल चिन्तित ज्यादा दिखाई पड़ रहा हैं, उन्हें इस बात का आभास हो गया है कि उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी डगमगाने लगी हैं।
इधर महागठबंधन में सीटों को लेकर हुई शानदार शेयरिंग से अजबजाई-बजबजाई भाजपा के राज्यस्तरीय नेताओं ने महागठबंधन पर खुब अनाप-शनाप कहा, उनका यह कहना बता रहा था कि वे महागठबंधन से कितने घबराए हुए हैं, जरा देखिये भाजपा नेताओं के बयान – महागठबंधन झारखण्ड विरोधी शक्तियों का नापाक गठजोड़ हैं, इसमें वहीं पार्टियां शामिल है, जिनका इतिहास ब्लैकमेलिंग और वंशवाद की राजनीति करने का रहा हैं, पर यहीं भाजपा लोकसभा चुनाव में यशवन्त सिन्हा के बेटे जयन्त सिन्हा को हजारीबाग सीट से लड़वाने पर अपना वंशवाद का परिचय देना भूल जाती है।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, सच्चाई यह है कि फिलहाल भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों की इस बार स्थिति उतनी ठीक नहीं हैं, और उपर से हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा की ताजा राजनीतिक घटनाक्रम ने उसकी नींव हिला दी हैं, ऐसे में बेचारे क्या करेंगे, एक लोकोक्ति हैं – लजायल बिलइया खम्भा नोचे, अब देखिये यह भाजपा और उनके सहयोगी कब तक खम्भा नोचते हैं, लगता है कि जब तक पांचवे चरण का अंतिम मतदान नहीं हो जाता, वे इसी प्रकार की बयानबाजी करते रहेंगे।