राजनीति

झामुमो का आरोप मानसिक तौर पर भाजपा की गुलाम बन चुकी दिल्ली पुलिस गर्त में जा चुकी, नहीं तो प्रताड़ित महिला पहलवानों से वो सबूत नहीं मांगती

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज दिल्ली में महिला पहलवानों के साथ हो रहे घटनाक्रमों पर प्रेस कांफ्रेस आयोजित किया, तथा दिल्ली पुलिस व केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पिछले कई महीनों से राष्ट्रीय चैनलों में महिला पहलवानों के समाचारों को जनता ने गंभीरता से देखा। उन महिला पहलवानों की दुर्दशा देखी, जिन्होंने ओलम्पिक से लेकर कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स में स्वर्णिम हस्ताक्षर कर देश का मान बढ़ाया। जो इस देश की रत्न हैं, खेल जगत के इन महिला पहलवानों के साथ जो घटनाएं घटी हैं, वो देश के लिए दुर्भाग्य है।

सुप्रियो ने कहा कि उनके साथ जो घटनाएं हुई। घटना के बाद जिन महिला पहलवानों ने गंभीर आरोप लगाते हुए धरना देने का काम किया। जनवरी में जब इन महिला पहलवानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठे। तब भारत सरकार के खेल मंत्रालय द्वारा जांच के लिए कमेटी बनाई गई। जब कमेटी का रिपोर्ट नहीं आया। पुनः जब लोग पूछने लगे कि क्या हुआ? हमारी प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हो रही। दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई करने से ही इनकार कर दिया।

इसके बाद पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर व्याभिचारी सांसद, जिस पर हत्या से लेकर बलात्कार तक की लंबे आरोपों की सूची हैं, बृज भूषण सिंह उसके खिलाफ शिकायत दर्ज हुआ। उस शिकायत पर भी दिल्ली पुलिस को जो रुख रहा, वो हम सबके सामने है। आरोपी पर पोक्सो एक्ट लगा। सुप्रीम कोर्ट का सीधा आदेश है कि पोक्सो एक्ट लगने के बाद आरोपी को तुरन्त गिरफ्तार करना होगा, वो भी नहीं हुआ। इधर प्रभावशाली लोगो ने फिर बयान बदलवाया। उधर खबरें आ रही थी, वो खबरें भी राष्ट्रीय चैनलों से हट गई।

लेकिन यौन शोषण व अत्याचार के और भी शिकायत उस व्यक्ति के खिलाफ दर्ज है, जब पुन 28 तारीख को जो भारत के नये संसद भवन जो अभी पूरा भी नहीं हुआ, लेकिन उसका जबर्दस्ती उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हो गया। जब इसी दौरान पहलवान बेटियां लोकतंत्र के मंदिर में जब न्याय मांगने पहुंची तो उन्हें घसीटा गया, हिरासत मे लिया गया और उन पर मुकदमे दर्ज किये गये। जब समाज सामने आया तो उस वक्त भारत के गृह मंत्री ने पहलवानों को अपने पास बुलवाया और कहा कि कानून अपना काम करेगा।

सुप्रियो ने कहा कि अच्छी बात है कि कानून अपना काम करेगा। फिर खेल मंत्री ने बुलाया, तब सहमति बनी, 15 तारीख तक चार्ज सीट जमा हो जाये, अब दिल्ली पुलिस से कल खबर आई, जो हैरान करनेवाला है। दिल्ली पुलिस महिला पहलवानों से सबूत मांग रही है। अब भला यौन शोषण का, यौन अत्याचार का सबूत कोई कैसे दे सकता है? जिस प्रकार के आरोप लगे, वो आरोप गंभीर थे, उसके प्राथमिकी में जो तथ्य है, क्या उसकी कोई वीडियो रिकार्डिग करवाता, मेरे साथ अत्याचार होगा, तो हम उसकी वीडियो रिकार्डिंग करायेंगे क्या?

मतलब सीधा-सीधी जो मामला आसाराम व चिन्मयानन्द का था, उस मामले को भाजपा सरकार दिल्ली पुलिस से लागू करवा रही है, क्या कोई महिला या बेटी ऐसे आरोप लगाते हैं, कितने मजबूर हुए होंगे, मानसिक प्रताड़ित हुए होंगे। हम जानते हैं कि, भारतीय समाज में महिलाएं पिताजी के सामने तो छोड़ दीजिये, अपनी मां को भी बहुत मजबूरी में ही कोई ऐसी बातें बताती हैं।

सुप्रियो ने कहा कि उन्हें तो लगता है कि दिल्ली पुलिस गर्त में जा चुकी है, मानसिक तौर पर भाजपा का गुलाम बन चुकी है। आप महिलाओं से पूछते हैं कि सबूत दो। जो प्रताड़ित हैं। वो अपने प्रताड़ना का सबूत दें, उन्हें तो ये नहीं कहा कि उन्हें मारा-पीटा गया, अगर ऐसा कहा होता तो चोट के निशान होते, उन्होंने तो कहा कि मेरे वक्ष को छुआ गया, मेरे पेट को छुआ गया, मुझे आलिंगन किया गया, क्या इसका विडियोग्राफी होता है, कि सबूत दे, मतलब 15 को दिल्ली पुलिस क्या संदेश देना चाहती है, ये उसे बताना पड़ेगा?

सुप्रियो ने कहा कि अफसोस है कि जिस देश में शक्ति की देवी, विद्या की देवी, समृद्धि की देवी की पूजा होती है, उस देश में आज महिलाओं की क्या स्थिति हो गई। ऐसे भी भाजपा शासित सभी राज्यों में महिलाओं की क्या स्थिति है, वो किसी से छुपा नहीं, ये भारत सरकार के गृह मंत्रालय का आकड़ा बताता है। लगता है कि कल के समाचार के बाद गृह मंत्री को ये बातें भी बतानी चाहिए कि कानून कौन सा काम कर रहा है, किस दिशा में काम कर रहा है? सुप्रियो ने संदेह व्यक्त किया कि कही अगला 15 तारीख इस देश के लिए एक जघन्य अपराध को गौरवान्वित तो नहीं करेगा।