अपराध

गजब की प्राथमिकी है भाई, बारातियों (भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं) पर प्राथमिकी और दुल्हा (दीपक प्रकाश) पर प्राथमिकी ही नहीं

पूरे रांची में एक बात की गजब की चर्चा है। चर्चा इस बात को लेकर है कि इस बार जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने गजब ढा दिया है। कल जो भाजपा द्वारा सचिवालय घेराव हुआ था। उसमें धुर्वा गोलचक्कर के पास उपद्रव भी हुए थे, जिससे कई पत्रकार व पुलिसकर्मी के साथ-साथ भाजपा के भी बहुत सारे कार्यकर्ता व नेता घायल हो गये। इस बात को लेकर जिला प्रशासन की ओर से एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जिसमें 41 भाजपा नेताओं के नाम तक उद्धृत किये गये हैं, पर इसमें जो प्रमुख थे यानी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, उनका नाम ही नहीं हैं।

लोगों का कहना है कि बारातियों पर प्राथमिकी और जो बाराती का मेन दुल्हा है, उसे प्राथमिकी से ही हटा दिया गया। ये तो घोर आश्चर्य की बात है। क्या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने उस दिन कानून का उल्लंघन नहीं किया था? आखिर दीपक प्रकाश के प्रति जिला प्रशासन का इतना प्रेम क्यों उमड़ रहा हैं, समझ नहीं आ रहा? ज्ञातव्य है यह प्राथमिकी उपेन्द्र कुमार कार्यपालक दंडाधिकारी सदर रांची द्वारा दर्ज कराई गई है। जो धुर्वा थाना से संबंधित है। आप इस स्वयं इस पर नजर डालें और देखें कि प्राथमिकी में किसके-किसके नाम हैं और क्या लिखा गया है?

राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस प्रकार की प्राथमिकी भले ही दर्ज हो जाती हैं। कालान्तराल में कोर्ट में ये मामले ज्यादा देर तक नहीं टिकते और सारे के सारे नेता बाइज्जत बरी भी हो जाते हैं, पर प्राथमिकी से ही किसी को पहले मुक्ति मिल जाये और वो भी तब जबकि वो प्रदेश अध्यक्ष हो, जिसके नेतृत्व में आंदोलन चल रहा हो तथा उसे प्रशासन की ओर से निर्भयदान प्राप्त हो जाये तो समझ लीजिये, कि दोनों ओर से खिचड़ी बहुत ही शानदार पक रही हैं।

मतलब प्रदेश अध्यक्ष के दोनों हाथों में लड्डू हैं मतलब भाजपा कार्यकर्ता व अन्य नेताओं की शामत और दीपक प्रकाश की बल्ले-बल्ले। अखबार-चैनल में मैन हीरो बनेंगे दीपक प्रकाश और झेलने की बात आयेंगी तो झेलेंगे दीपक प्रकाश को छोड़कर सभी अन्य भाजपा नेता व कार्यकर्ता। भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को तो दीपक प्रकाश से ही पूछना ही चाहिए कि भाई ऐसा कौन सा सुरखाब का पर उन्हें लगा है कि प्राथमिकी में सभी के नाम हैं, पर उनका नाम गायब है?