कमाल है, सवाल पूछा जाता है मुख्यमंत्री से, और जवाब देता है BJP का IT सेल का स्टेट कन्वेनर
झारखण्ड का भी जवाब नहीं, प्रश्न मुख्यमंत्री/सरकार से और जवाब दे रहा है भाजपा का आइटी सेल का स्टेट कन्वेनर। वह भी उन सवालों का, जिस सवाल से उसका कोई लेना–देना नहीं। वह भी झूठ बोलकर कि आपने मुझे फेसबुक पर टैग किया, इसलिए मैं जवाब दे रहा हूं, और जब सवाल पूछनेवाले ने सबूत मांगे कि, आप सबूत दिखाएं कि मैंने कहां आपको टैग किया?
अब 24 घंटे बीतने को आये, अभी तक भाजपा का आइटी सेल का स्टेट कन्वेनर ने सबूत भी नहीं पेश किया और उल्टे सवाल कर रहे व्यक्ति को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। वह भी यह कहकर कि पूर्व में आपने 88 मेम्बर्स को टैग किया था, आज 85 मेम्बर्स दिखाये पड़ रहे हैं, ऐसा क्यों हुआ, इसका इन्टेन्शन आप खुद समझ सकते हैं।
जबकि सवाल करनेवाला व्यक्ति भी कोई साधारण नहीं, ये हैं जनाब आर पी शाही जो झारखण्ड सिविल सोसाइटी चलाते हैं, जिनके प्रश्नों को देखें, तो आप भी दांतों तलें अंगूली दबा लेंगे कि जिन्हें आपने वोट देकर चुना है, वो किस तरह आपके सपनों और जीवन को रौंदनें का प्रयास कर रहे हैं और जब सवाल सरकार से पूछी जाती है तो कैसे अन्य उसमें कूद पड़ते हैं और इस प्रकार सवालों का जवाब देने लगते है, जैसे लगता है कि राज्य सरकार ने उन्हें राज्य का प्रवक्ता घोषित कर दिया हो।
दरअसल फेसबुक पर आर पी शाही ने सरकार से जो कल सवाल पूछे थे, वे विद्युत व्यवस्था, जेबीवीएनएल में व्याप्त भ्रष्टाचार, सोलर ऊर्जा, उद्यमियों की चिन्ता, शहरी विकास के नाम पर हो रही लूट, पारदर्शिता–स्वच्छता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के नाम पर तालाबों, पार्कों व नदियों का समाप्त हो जाना, मंत्रियों, सचिवों द्वारा जनता की गाढ़ी कमाई को साफ कर जाने से सबंधित थे।
सवाल सीधे सरकार से था। आम तौर पर जब जनता से जुड़ी कोई सोसाइटी समस्याओं को लेकर सवाल पूछती है, तो सरकार अपने किसी प्रतिनिधि को आगे कर उन समस्याओं का निदान कैसे हो, इसका प्रयास करती है, पर यहां देखा जा रहा है कि सरकार तथा सरकार के प्रतिनिधि तो रुचि नहीं दिखाते, पर वे लोग इसमें रुचि दिखाने लगते है, जिनका इससे कोई मतलब ही नहीं होता और जिन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं होती।
आर पी शाही ने भाजपा के आइटी सेल कन्वेनर भानू जालान को अपनी टैग लिस्ट जारी करते हुए पूछा है कि ये रही टैग लिस्ट, जिसमें उनका नाम ही नहीं है, तब आपने कैसे कह दिया कि मैंने आपको टैग किया, टैग में उन्होंने कुछ बदलाव भी नहीं किया, यह तो चेक हो जायेगा। मामला गंभीर है, अगर उनके पोस्ट में जबर्दस्ती घुस कर उन्हें तंग करने के लिए यह लांछन लगाया गया है तो यह अपराध की श्रेणी में आ जायेगा, इस उम्र में दूसरी पीढ़ी की गाली बर्दाश्त नहीं होती और उन्हें यह मानसिक प्रताड़ना का प्रयास लगता है।
आरपी शाही ने यह भी कहा कि सत्ता में बैठे लोगों से अधिक वे चिल्लाते हैं, जो उससे लाभ लेते हैं, यहीं कारण है कि सदियों पहले मुट्ठी भर लोगों ने देश पर कब्जा कर लिया। उन्हें नहीं पता कि उनके द्वारा पूछे गये प्रश्नों से सरकारी तंत्र जो जनता के पैसों पर पल रहा है, को छोड़कर अन्य लोग क्यों परेशान होंगे।
आरपी शाही बार–बार टैग करने का सबूत मांग रहे हैं, पर भाजपा का आइटी सेल का स्टेट कन्वेनर अभी तक सबूत नहीं दे पाया है, जबकि फेसबुक के जानकार बताते है कि कोई व्यक्ति किसी को तभी टैग कर पायेगा, जब वह व्यक्ति उसके फ्रेंडलिस्ट में होगा, जब फ्रेंडलिस्ट में है नहीं, तो टैग करने का सवाल ही नहीं उठता।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिनका जो काम हैं वहीं करें तो बेहतर हैं, भाजपा के आइटी सेल कन्वेनर को ज्यादा ध्यान अपने आइटी सेल पर लगाना चाहिए कि भाजपा का बेहतर प्रचार–प्रसार हो, अगर वे सिविल सोसाइटी जैसी संस्थाओं से लड़ने बैंठेंगे, वह भी चुनाव के समय तो फिर वे भाजपा का प्रचार–प्रसार तो नहीं कर पायेंगे, उलटे भाजपा का भट्ठा जरुर बैठा देंगे। इसलिए अच्छा रहेगा कि भाजपा के आइटी सेल के स्टेट कन्वेनर झारखण्ड सिविल सोसाइटी से न उलझे, अपनी गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश करें, क्योंकि इसी में उनकी बुद्धिमानी है।
Bahut bahut badhai tejdhar patratarika karnekeliye