अपनी बात

एक ऐसा विधायक जो आज भी विधायक होते हुए विधानसभा में माननीयों को मिलनेवाले गिफ्ट को लेना तो दूर, हाथ से छूना भी पसन्द नहीं करता…  

एक ऐसा विधायक जो विधायक होते हुए भी विधानसभा में माननीयों को मिलनेवाले गिफ्ट को लेना तो दूर, हाथ से छूना भी पसन्द नहीं करता, क्या आप जानते हैं कि वो विधायक कौन है? नहीं जानते न। चलिये, मैं आपको बताता हूं। वो है बगोदर विधानसभा के भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह। मैं ताल ठोककर कह सकता हूं कि जो उनका चरित्र है, वैसा चरित्र शायद ही किसी के पास होगा।

विनोद कुमार सिंह के पिता का. महेन्द्र प्रसाद सिंह का भी यही स्वभाव था। वे भी विधायक होते हुए विधानसभा में माननीयों को मिलनेवाले गिफ्ट को लेना तो दूर, हाथ से छूना भी पसन्द नहीं करते थे। जो महेन्द्र सिंह को जानते हैं अथवा देखे हैं, वे ये भी जानते है कि उन्होंने जनहित मुद्दों को सदैव केन्द्र में रखते हुए, सदन में अपनी बातें रखी और ठीक इसी प्रकार विनोद कुमार सिंह ने भी उस परम्परा को कायम रखा है।

आप कहेंगे कि गिफ्ट नहीं लेने से क्या हो गया? मेरा मानना है कि इससे बहुत कुछ होता है, जो मुफ्त में हर कुछ प्राप्त करने की हमारे देश/राज्य में जो परम्परा चल पड़ी हैं, उससे देश/राज्य का सर्वाधिक नुकसान होता है और इस फिजूलखर्ची पर रोक भी लगनी चाहिए। हमारे देश/राज्य में एक परम्परा चलती आ रही है कि जब भी कोई विभागीय बजट पेश होता है तो विभागीय मंत्री कुछ न कुछ गिफ्ट बांटता हैं जो जनता के पैसों से उपलब्ध होती हैं, महंगी होती है।

बहुत कम ही विधायक/सांसद हैं, जो ना कहते हैं। झारखण्ड में तो ए के राय जैसे नेता भी हुए हैं, जो तीन-तीन बार विधायक व सांसद रहने के बावजूद कभी वेतन तो क्या, पेंशन तक नहीं ली, वो भी यह कहकर कि वे कोई गवरमेंट सर्वेंट नहीं हैं, वे जनप्रतिनिधि हैं, पर क्या आज तक किसी अन्य विधायक अथवा सांसद ने ए के राय की तरह ऐसा कहने अथवा करने का साहस किया। उत्तर है – नहीं।

ठीक उसी प्रकार, विनोद कुमार सिंह हैं, जो सही को सही और गलत को गलत करने का साहस रखते हैं। इस बार जब हमने विधानसभा में भेंट होने पर उनसे बात की कि आपने इस बार साइकिल विधानसभा में बंट रही थी, तो लिये या नहीं। तो उन्होंने मुस्कुरा भर दिया। मतलब उनकी मुस्कुराहट ना को प्रदर्शित कर रही थी।

जबकि अन्य विधायक बड़े ही शान से उक्त साइकिल की सवारी कर रहे थे, फोटो सेशन करवा रहे थे, खुब बाइट दे रहे थे, अपने पीए से अपने घर तक साइकिल को ले जाने के लिए हिदायत दे रहे थे, उनका पीए भी बड़े ही प्रेम से साइकिल को दुलहन की तरह विधायक के घर तक ले जाने की कोशिश कर रहा था। जरा देखिये, ये माननीय को, गिफ्ट मिली हुई साइकिल पर बैठकर कैसे बाइट दे रहे हैं।

हमें पता चला कि ये साइकिल विधायकों को मंत्री जगरनाथ महतो उर्फ टाइगर महतो की ओर से सप्रेम भेंट की गई है, जब वे शिक्षा पर बजट पेश कर रहे थे। ऐसे हम आपको यह भी बता दें कि झारखण्ड के कुछ माननीय स्वयं को टाइगर कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं, पता नहीं ऐसा क्यों? पर जो सही मायनों में टाइगर है, वो टाइगर कहलाना पसन्द नहीं करते, बल्कि सरल व सहृदय रहना, जनहित मुद्दों को सदन में रखना ज्यादा पसन्द करते हैं।

यही कारण है कि आज भी सदन में जब विनोद कुमार सिंह कुछ बातें करने/रखने के लिए उठते हैं, तो चाहे अध्यक्षीय दीर्घा हो या प्रशासनिक दीर्घा, या दर्शक दीर्घा या पत्रकार दीर्घा सभी दीर्घाओं में बैठे लोग उन्हें ध्यान से सुनते हैं, क्योंकि ये सभी जानते है कि ये व्यक्ति गिफ्ट प्राप्त करनेवाला विधायक नहीं, बल्कि सभी के लिए जनमुद्दों को उठानेवाला एकमात्र विधायक है, वह भी बिना किसी लाग-लपेट के।

2 thoughts on “एक ऐसा विधायक जो आज भी विधायक होते हुए विधानसभा में माननीयों को मिलनेवाले गिफ्ट को लेना तो दूर, हाथ से छूना भी पसन्द नहीं करता…  

  • RP Shahi

    मुफ्त माल दिले बेरहम ! निकम्में साईकिल पर कैसे बैठेगें? उन्हें तो कई गाड़ियाँ चाहिए! पूरे राज्य में साईकिल के लिए कोई लेन नही बना राए और बांटने चले साईकिल!

  • Uday mishra

    ऐसे जनप्रतिनिधि ही सही मायने में जनप्रतिनिधि हैं। इनके प्रति स्वतः आदरभाव उत्पन्न होता है। नहीं तो अब ऐसे जनप्रतिनिधियों की संख्या अधिकाधिक है जो सिर्फ कहने को समाजसेवी हैं।

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