अर्जुन मुंडा को पहला शिकार बना, आदिवासी मुक्त झारखण्ड बनाने की दिशा में बढ़ी BJP, अखबारों के बाद BJP के कार्यक्रमों से भी मुंडा का नाम गायब
बेचारा अर्जुन, क्या करें? किससे-किससे लड़े? अखबारों-चैनलों से लड़े, बीजेपी के प्रचार-प्रसार विभाग संभाल रहे लोगों से लड़े या खुद से लड़े। महाभारत में तो अर्जुन विजयी रहा, पर कलियुगी मोदी युग में अर्जुन को धूएं छूट रहे हैं। कारण कि उसे सुनियोजित तरीके से भाजपा में शामिल रघुवर गुट ने किनारे करने का काम शुरु कर दिया है।
जरा देखिये न, 18 सितम्बर को जामताड़ा से जोहार जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत हुई और उस दौरान पहुंचे अमित शाह ने जमकर रघुवर दास और अर्जुन मुंडा दोनों की तारीफ की, पर रांची के सभी प्रमुख अखबारों से अर्जुन मुंडा को सुनियोजित तरीके से गायब करवा दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि इसमें मुख्य भूमिका CMO में कार्य कर रहे आइपीआरडी के अधिकारियों की रही, सभी ने विज्ञापन रुपी चांदी के जूते का भय दिखाया और सारे के सारे प्रमुख अखबार उस भय को देख साष्टांग दंडवत् हो गये और अर्जुन मुंडा को बाहर का रास्ता दिखा दिया और इसमें सही मायनों में रघुवर भक्ति किसी न दिखाई तो वह प्रभात खबर था, जिसकी रघुवर भक्ति को आनेवाले समय में लोग सदा याद रखेंगे।
जो लोग जामताड़ा में थे, वे तो साफ कहते हैं कि अर्जुन मुंडा के भाषण के दौरान जनता का जोश व उत्साह देखते बन रहा था, शायद यहीं कारण था कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति को भांप लिया और खुलकर एक की नहीं, बल्कि दोनों की तारीफ की, पर CMO में कार्यरत आइपीआरडी के अधिकारियों के इशारे पर जानबूझकर अर्जुन मुंडा को नीचा दिखाने की कोशिश की गई और सारे अखबारों को हिदायत दे दी गई कि वो अर्जुन मुंडा को अपने अखबारों में स्थान न दें।
इधर सीएमओ के लगातार हो रहे दखल से घबराये अर्जुन मुंडा ने अब खुद कमान संभाल ली है, जरा देखिये, आज की घटना BJP JHARKHAND नामक फेसबुक सोशल साइट पर भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा का झारखण्ड के चाईबासा, सरायकेला, खरसावां और जमशेदपुर में सार्वजनिक कार्यक्रम है, जिसका बहुत ही सुंदर ढंग से प्रचार-प्रसार किया गया है, पर उसमें से भी अर्जुन मुंडा का नाम गायब कर दिया गया है।
जिसे देख अर्जुन मुंडा का सोशल साइट देख रहे लोगों ने अपने ढंग से अर्जुन मुंडा का प्रचार-प्रसार संभाल लिया हैं, अपने फेसबुक पर आज के कार्यक्रम को देख अर्जुन मुंडा के शब्दों में लिखा है कि “जोहार, नमस्कार। माननीय राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ मैं भी उपस्थित रहूंगा।”
यानी झारखण्ड भाजपा के ही कद्दावर नेता, तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे एवं केन्द्र में वर्तमान में जनजातीय मंत्रालय संभाल रहे अर्जुन मुंडा को अपनी बात रखने के लिए नाक रगड़नी पड़ रही है। हम आपको बता दे कि जे पी नड्डा जमशेदपुर के आस-पास भाजपा से संबंधित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आ रहे हैं, यानी जमशेदपुर का इलाका, अर्जुन मुंडा का इलाका और वहां से भी अर्जुन मुंडा को गायब कराने की कोशिश।
राजनैतिक पंडितों का कहना है कि कही सीएमओ में कार्यरत आइपीआरडी के अधिकारियों कल छपनेवाले अखबारों से भी कही अर्जुन मुंडा का नाम गायब न करवा दें, क्योंकि फिलहाल सीएमओ में कार्यरत लोग आइपीआरडी की तरह काम न कर, इस प्रकार अपने कार्य को गति दे रहे हैं, जैसे लगता है कि वे भाजपा के प्रचारक हो।
हाल ही में जिस दिन यानी 12 सितम्बर को नरेन्द्र मोदी रांची आये थे, और जिस प्रकार सीएमओ में बैठे आइपीआरडी के अधिकारी राज्य के सारे डीसी से “मोदी विद झारखण्ड” अभियान चलवाकर मोदी-रघुवर की जय-जयकार करवा दी, उससे तो यही पता चलता है कि ये सरकारी अधिकारी नहीं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ता है। हाल ही में विज्ञापन के माध्यम से पन्द्रह-पन्द्रह हजार रुपये प्रलोभन दिलवाने और पत्रकारों से सरकार की जय-जयकार करवाने की योजना भी उसी की कड़ी है।
राजनैतिक पंडितों का तो ये भी कहना है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि 17 सितम्बर को रघुवर दास ने खूंटी में जो आदिवासी मुक्त झारखण्ड बनाने की बात कही थी, उस दिशा में रघुवर दास और उनके लोगों ने पहला कदम बढ़ा लिया, और सबसे पहला प्रयोग अर्जुन मुंडा पर ही करना शुरु कर दिया है, हालांकि रघुवर भक्तों ने आदिवासी मुक्त झारखण्ड वाली बयान को “जुबान का फिसलना” बताया था और इधर अखबारों-चैनलों ने इस बयान पर भी अपने होठ सील लिये थे, क्योंकि मामला विज्ञापन रुपी चांदी के जूते पर आकर सिमट गया था।