धर्म

जैसे ईश्वर सभी जगह हैं, उसी प्रकार सद्गुरु भी सर्वत्र हैं, उनसे कुछ भी छुपा नहीं – स्वामी चैतन्यानन्द

सद्गुरु के वचन हैं कि “जो मानते है कि मैं उनके निकट हूं, दरअसल मैं उनसे निकट ही होता हूं”, इसमें कोई किन्तु परन्तु नहीं हैं, जैसे ईश्वर सभी जगह हैं, ठीक उसी प्रकार सद्गुरु भी सर्वत्र हैं, उनसे कुछ भी छुपा नहीं हैं। यह बातें आज स्वामी चैतन्यानन्द ने रांची के योगदा सत्संग आश्रम के ध्यान केन्द्र में आयोजित रविवारीय सत्संग में कहीं।

स्वामी चैतन्यानन्द ने कहा कि गुरु को निकट रखने से लाभ ही लाभ हैं, क्योंकि गुरु दर्पण का काम करते हैं। गुरु ही हमें ईश्वर तक पहुंचाने के लिए हमें पूर्णतः दोषरहित बनाने का काम करते हैं। वे ही हमारी कमियों को बताते हैं, वर्तमान में हम किस स्थिति में हैं मतलब ईश्वर को प्राप्त करने की अवस्था में अब तक कहां तक पहुंचे हैं, वे बताते हैं और जहां भी कुछ गड़बड़ियां होती हैं, उसे ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते तथा हमारा मार्ग आसान बनाते हैं।

स्वामी चैतन्यानन्द ने कहा कि माया की इस बनी दुनिया में हम जितना अपने गुरु से गहराइयों के साथ प्रेम करेंगे, माया हमें स्पर्श तक नहीं कर पायेगी, इसलिए हमें सद्गुरु से प्रेम करना सीखना होगा, क्योंकि गुरु को प्रेम से ही अपना बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे लिये गुरु ईश्वर के द्वारा ही नियुक्त होता हैं जो हमें ईश्वर के साथ एकाकार होने में सहायक होते हैं, क्योंकि गुरु सर्वज्ञ और सर्वशक्तिशाली होते हैं।

स्वामी चैतन्यानन्द ने कहा कि गुरु ही हैं, जो ईश्वर के साथ एकाकार होने में हमारे अंदर छुपी बाधक तत्वों को एक-एककर नष्ट करने का काम करते हैं और ये तब तक नष्ट करते रहते हैं, जब तक हम ईश्वर से एकाकार न हो जाये। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में जो भी बेहतर हो रहा हैं, वो दरअसल गुरुकृपा ही हैं।

उन्होंने कहा कि हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि गुरु हमारे बुरे कर्मों को भी अपने उपर ले लेते हैं। माया के प्रभाव में आने से जो हम गलतियां करते हैं, उसे गुरु सुधारने का महती प्रयास करते हैं, गुरु कहते है कि अगर गलतियां हो तो स्वयं उसे सुधारने का प्रयास भी करो, तुम्हें सफलता मिलेगी, क्योंकि गुरु हमेशा इस बात के लिए तैयार रहते है कि जीवन में जो भी बुराइयां हो, उसका शमन हो।

स्वामी चैतन्यानन्द ने कहा कि गुरु जब जीवन में आते हैं, तो वे कुछ ऐसे भी काम कर रहे होते हैं, जो हमें पता नहीं होता, लेकिन वो हमारे बेहतर जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। वे बहुत सारे काम बिना बताये करते हैं, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ही खास होता है। इसे ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि गुरु प्रेम के भूखे होते हैं, उन्हें हम जो भी समर्पित करते हैं, वे स्वीकार करते हैं।