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झारखण्ड के राज्यपाल और कुलाधिपति के रूप में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सेवा करने और इसकी समृद्ध विरासत पर उन्हें गर्व हैं, झारखण्ड आना, उनके लिए घर वापसी जैसाः द्रौपदी मुर्मू

रांची के मेसरा में स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्लेटिनम जुबली समारोह को अंग्रेजी भाषा में संबोधित करते हुए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा उन्हें इस संस्थान में आकर बहुत खुशी महसूस हो रही है, क्योंकि इस संस्थान की देश की विकास गाथा में बहुत बड़ा योगदान रहा हैं, जिसने 70 साल का सफर पूरा कर लिया है। इसलिए उनकी ओर से इस अंग्रणी संस्था से जुड़े सभी लोगों को प्लेटिनम जुबली की हार्दिक बधाई।

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि बीआईटी की गुणवत्ता और उत्कृष्टता के लिए अतीत और वर्तमान में जुड़े सभी संकायों और प्रशासकों, साथ ही छात्रों और पूर्व छात्रों की सराहना की जानी चाहिए। इस संस्थान ने इस खनिज समृद्ध क्षेत्र में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रदान की है, जो एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र भी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने झारखण्ड के राज्यपाल और कुलाधिपति के रूप में इस विश्वविद्यालय की सेवा की है और उन्हें इसकी समृद्ध विरासत पर भी गर्व है। जब भी वो झारखंड आती हैं, यह उनके लिए घर वापसी जैसा होता है। बीआईटी राज्य के इतिहास का एक अभिन्न अंग रहा है।

उन्होंने कहा कि प्लेटिनम जुबली इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में संस्थान के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने का एक उपयुक्त अवसर है। यह छात्रों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों की उपलब्धियों और शैक्षणिक, अनुसंधान, बुनियादी ढांचे और सामाजिक प्रभाव में उनकी उपलब्धियों की सराहना करने का समय है।

उन्होंने कहा कि बीआईटी कई क्षेत्रों में अग्रणी रहा है। देश में अंतरिक्ष इंजीनियरिंग और रॉकेटरी का पहला विभाग 1964 में यहां स्थापित किया गया था। इंजीनियरिंग उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता पार्क (एसटीईपी) में से एक 1975 में यहां स्थापित किया गया था। यह पूर्वी भारत का एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय है जो लगभग 20 विषयों में विज्ञान, प्रबंधन और इंजीनियरिंग में प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, स्नातक, मास्टर और डॉक्टरेट स्तर पर शिक्षा प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि संस्थान की प्रतिभा को पोषित करने की संस्कृति इसके पूर्व छात्रों की उपलब्धियों में भी परिलक्षित होती है, जिनमें जीवन के हर क्षेत्र, जैसे शिक्षा, उद्यमिता, उद्योग, प्रशासनिक सेवाएं, पत्रकारिता, साहित्य और खेल के विषय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि बीआईटी ने हाल ही में अपने पारंपरिक क्षेत्र से आगे बढ़कर अर्थशास्त्र और डेटा विज्ञान, मानविकी और एनीमेशन और मल्टीमीडिया में पाठ्यक्रम पेश किया है। प्रौद्योगिकी और मानविकी वास्तव में एक-दूसरे के पूरक हैं और इन्हें एक छत के नीचे लाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पीछे के दृष्टिकोण को भी साकार करता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है। उदाहरण के लिए, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई प्रगति ने हमारे जीने के तरीके को बदल दिये हैं। कल तक जो अकल्पनीय था, वह आज हकीकत बन गया है। ऐसे बहुत कम आविष्कार हैं जिन्होंने हमारे आस-पास की दुनिया को उसी तरह बदल दिया जैसे मोबाइल ने टेलीफोन को बदल दिया है। यह जानकर खुशी हो रही है कि ये प्रगति समाज के अधिकांश लोगों के लिए सुलभ हो गई है। डिजिटल पहुंच की दूरियां बहुत तेजी से कम हो रही हैं। इस प्रवृत्ति का एक नकारात्मक पहलू साइबर अपराधों में विस्फोट है, लेकिन जागरूकता में वृद्धि के साथ इनका मुकाबला भी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में दूरगामी प्रगति की उम्मीद के साथ आने वाले वर्ष और भी नाटकीय होने वाले हैं। जैसे-जैसे एआई तेजी से अर्थव्यवस्थाओं को बदल रहा है, भारत सरकार उभरते परिदृश्य पर प्रतिक्रिया देने में तेज रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों में एआई को एकीकृत करने के लिए कई पहल की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि एआई और अन्य प्रौद्योगिकियों द्वारा लाया गया परिवर्तन हमारी भाषाओं में भी दिखाई देता है। कुछ साल पहले तक, उदाहरण के लिए, ‘व्यवधान’ शब्द का मतलब कुछ चिंता करने योग्य होता था। लेकिन अब इसका सकारात्मक अर्थ है। सामान्य प्रक्रिया में विराम या व्यवधान अब स्वागतयोग्य है। लेकिन चूंकि प्रौद्योगिकी समाज में बड़े व्यवधान पैदा करती है, मेरा मानना ​​है कि हमें हाशिए पर रहने वाले समूहों पर इसके प्रभाव के बारे में चिंतित रहना चाहिए। जो महान अवसर सृजित हो रहे हैं वे सभी के लिए उपलब्ध होने चाहिए; लाए जा रहे महान परिवर्तनों से सभी को लाभ होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हालाँकि, वो आशावादी हैं। उनकी आशाओं के सैकड़ों कारण हैं, और वे सभी यहाँ उनके सामने हैं। वो युवाओं की बात कर रही हैं, जिनका उत्साह और प्रतिबद्धता ‘विकसित भारत’ के निर्माण में प्रमुख घटक होगी। वो यहां इतनी सारी युवा महिलाओं को देखकर विशेष रूप से खुश हैं। उन्होंने कहा कि जब वो देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों का दौरा करती हैं, तो वो पाती है कि हमारी बेटियां उत्कृष्टता के पैमानों पर खरा उतर रही हैं। वे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में भी पीछे नहीं हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि वो एक सलाह भी देना चाहेंगी। अक्सर, हमारे आस-पास की समस्याओं के लिए किसी बड़े तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। आइए हम छोटे पैमाने के, पारंपरिक समाधानों के महत्व को न भूलें। वास्तव में, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को पारंपरिक समुदायों के ज्ञान आधार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि बीआईटी मेसरा भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास में समृद्ध योगदान देता रहेगा।

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