जब तक BJP में ओम प्रकाश, धर्मपाल व रघुवर की तिकड़ी मौजूद, हेमन्त को घबराने की कोई जरुरत नहीं
जब तक भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा झारखण्ड प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, प्रदेश संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह एवं राज्य के अति होनहार पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की तिकड़ी झारखण्ड में विद्यमान रहेगी, हेमन्त सोरेन की सरकार बिना किसी विघ्न-बाधा के आराम से चलती रहेगी, साथ ही दुबारा फिर से सत्ता में भी आयेगी, इसमें अब किसी को किसी भी प्रकार से किन्तु-परन्तु में नहीं रहना चाहिए।
इधर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा एक बार फिर जगन्नाथपुर मैदान के मंच से रघुवर दास की भूरि-भूरि प्रशंसा करना भी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन गया, क्योंकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि रघुवर दास की लोकप्रियता झारखण्ड में न के बराबर है, क्योंकि उनके अंदर छुपे अहंकार, कार्यकर्ताओं व आम जनता के साथ उनका व्यवहार जगजाहिर है।
ऐसे में कोई भी भाजपा का राष्ट्रीय नेता किसी भी मंच से ऐसे नेताओं की प्रशंसा करेगा, तो यह भी उतना ही सत्य है कि कार्यकर्ताओं एवं आम जनता की दूरी भी ऐसी पार्टी से और बढ़ेगी, क्योंकि फिर कार्यकर्ताओं व आम जनता को भी लगेगा कि इनके राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को कार्यकर्ताओं व आम जनता से कोई लेना-देना नहीं, बल्कि उन्हें ऐसे नेता चाहिए, जो किसी भी प्रकार से नेता के लायक ही न हो।
हमें भूलना नहीं चाहिए कि विधानसभा चुनाव के दौरान धुर्वा में संघ से जुड़े आनुषांगिक संगठनों की एक विशेष बैठक हुई थी, जिसमें संघ से जुड़े आनुषांगिक संगठनों ने ही संघ के एक आलाधिकारी के समक्ष रघुवर सरकार की तीखी आलोचना की थी और यहां तक कह दिया था कि वे लोग चुपेचाप चचा साफ यानी रघुवर को हराने के लिए ज्यादा दिमाग लगायेंगे, इस खबर को विद्रोही24.कॉम ने प्रमुखता से स्थान भी दिया था।
इधर ओम प्रकाश माथुर, धर्मपाल सिंह और रघुवर दास की तिकड़ी एक तरफ और हेमन्त सोरेन दूसरी तरफ। हेमन्त सोरेन अकेले इनकी सारी राजनीतिक हथकंडों पर ब्रेक लगा दी है। हेमन्त सोरेन ने पूर्व में रघुवर सरकार के दौरान लिये गये जनविरोधी फैसलों के खिलाफ ऐसी बैटिंग करनी शुरु कर दी है कि इनके हालत पस्त है। अब कही कोई मुकाबला नहीं दिख रहा, और आज जिस प्रकार से रघुवर दास के खासमखास व दबंग विधायक ढुलू महतो जिसने पूरे धनबाद में नाक में दम कर रख दिया था, उसके खिलाफ हेमन्त सरकार द्वारा लिये जा रहे फैसले ने जनता के बीच मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता और बढ़ा दी है।
ज्ञातव्य है कि ऐसे विधायक ढुलू महतो के खिलाफ सारे केस उठा लेने की प्रक्रिया रघुवर दास ने शुरु कर दी थी, जिसके खिलाफ कई अपराधिक केस चल रही है, जिनमें कइयों में इसे सजा भी मिल चुकी है, पर तत्कालीन रघुवर सरकार का दबाव कहिये कि उन्हें दो साल से कम की सजा सुनाई गई, ताकि इसकी विधायकी प्रभावित ही न हो, जबकि इसी प्रकार के मामले में झामुमो विधायक अमित महतो की विधायकी चली गई, जब उन्हें दो साल की सजा सुना दी गई।
राजनीतिक पंडितों की माने,तो अब तो अखबारों व चैनलों ने भी अपना पैतरा बदल दिया है, जो कल टूटपूंजिये और बड़े अखबार व चैनल रघुवर भक्ति संगीत में लीन रहते थे, आजकल वे हेमन्त भक्ति संगीत में लीन होने को बेताब हैं। कई अखबार, हेमन्त सोरेन के पक्ष में ऐसे-ऐसे आर्टिकल विभिन्न कथित पत्रकारों से छपवा रहे हैं, कि पूछिये मत। इन सभी का मकसद सिर्फ इतना ही है कि उनके अखबार पर हेमन्त सोरेन की कृपा बनी रहे और उनका अखबार आराम से चलता रहे।
ये वहीं अखबार व चैनल है, जो रघुवर शासनकाल में हेमन्त सोरेन को जगह देने से हिचकते थे तथा हेमन्त सोरेन के खिलाफ एक से एक समाचार छापकर मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचते थे और अपनी चाटुकारिता का एवार्ड लेने से नहीं चूकते थे, अब चूंकि समय बदल गया है तो सबकी भाषा बदल गई है, पर ऐसा भी नहीं कि हेमन्त सोरेन इन अखबारों-चैनलों के चरित्रों के बारे में नहीं जान रहे।
राजनीतिक पंडितों की माने, तो भले ही बाबू लाल मरांडी की पार्टी को भाजपा में विलय करवाने के बाद भाजपा के लोग इसकी उपलब्धि मान लें, पर सच्चाई यह है कि भाजपा के अंदर ऐसे लोग भी हैं, जो इस विलय से कही अधिक खफा है, उन्हें लग रहा है कि कही ऐसा नहीं कि भाजपा ही झाविमो बन जाये, क्योंकि ज्यादा लक्षण यही दिख रहा है, जब पहले दिन बाबू लाल मरांडी भाजपा कार्यालय गये थे, तब उस दिन मंच पर और मंच के नीचे झाविमो कार्यकर्ताओं/नेताओं का ही दबदबा था।
ऐसे में भाजपा में भाजपा कार्यकर्ता ही चुप्पी साधकर असली भाजपा को ठिकाने लगाने में लग जाये तो इसे अतिश्योक्ति नहीं मानना चाहिए। ऐसे हेमन्त सोरेन को इस बात के लिए बधाई कि जब तक ओम प्रकाश माथुर, धर्मपाल सिंह और रघुवर दास भाजपा में हैं, उनकी सरकार को कही कोई खतरा नहीं, क्योंकि रघुवर दास की हरकतों को जनता इतनी जल्दी भूलने नहीं जा रही।