जमीनी हकीकत का पता चलते ही चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में भाजपा नेताओं के चेहरे से हंसी गायब
रांची स्थित झारखण्ड भाजपा प्रदेश कार्यालय में आज विधानसभा चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक संपन्न हो गई। इस बैठक में ज्यादातर भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के चेहरे से हंसी गायब थी, कई तो भाजपा के वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए नाक खुजलाते भी देखे गये, यानी सभी को जमीनी हकीकत का अनुमान पता लग चुका है, कि राज्य में भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया हैं।
राज्य का कोई भाजपा नेता सीधे मीडिया में आकर यह कहने की स्थिति में नहीं है कि भाजपा कितनी सीटें जीत पायेंगी, बस वहीं रटा-रटाया नारा लगा दे रहे हैं, अबकी बार 65 पार, पर उन्हें भी पता है कि महागठबंधन ने एक-एक सीट पर एक-एक उम्मीदवार लाकर पटक दिया तो भाजपा को लेने के देने पड़ जायेंगे, आश्चर्य यह भी है कि चुनाव प्रबंधन समिति को यह भी एक तरह से मालूम हो गया है कि जिन दूसरे दलों के लोगों को भाजपा में शामिल किया गया हैं, उनकी भी स्थिति ऐसी नहीं कि वे खुद से चुनाव जीत जाये, क्योंकि वे भी मोदी लहर में बैठकर अपनी राजनीति चमकाना चाह रहे हैं।
इधर भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं ने चुप्पी साध ली हैं, वे कुछ भी अब कहना नहीं चाहते, ज्यादा दबाव देने पर, वे मुस्कुराकर कहते हैं कि जब हमारे शीर्षस्थ नेताओं ने बाहरी नेताओं को अपने गोद में बिठा ही लिया हैं तो कुछ न कुछ बाते तो उनमें जरुर होगी, वे खुद ही चुनाव जीत जायेंगे, इसलिए भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं को उन्हें क्या जरुरत, यानी भाजपा कार्यकर्ताओं की बढ़ती नाराजगी, भाजपा के लिए एक बड़े सिरदर्द का कारण बन रही हैं।
हालांकि अभी कई भाजपा नेता जो टिकटार्थी हैं, वे भगवा बंडी, भगवा अंगोछा, खादी कुर्ता पहनकर मूंछ पर तांव देने लगे हैं, जो बाहर से आये हैं, वे भी अपना भगवा चेहरा दिखाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे, पर यह पूछने पर कि भाजपा टिकट दे रही हैं, उनका चेहरा देखते बन रहा हैं, यानी सब की हवा टाइट है, और ज्यादा हवा टाइट खुद को विकास की गंगा बहाने, तथा बार-बार अपने ही पूर्व भाजपाई मुख्यमंत्रियों को कटघरे में रखनेवाले रघुवर दास की हो गई हैं, उनके चेहरे से असली हंसी गायब हैं, और बनावटी हंसी ने फिलहाल डेरा डंडा डाल लिया हैं, क्योंकि उन्हें भी पता चल गया है कि राज्य की जनता के नजर में उनकी क्या हैसियत रह गई हैं।
राजनीतिक पंडितों का तो साफ कहना है कि सच्चाई है अगर भाजपा के सारे शीर्षस्थ नेता भी इस बार जोर लगा देंगे तो परिणाम इनके पक्ष में ही आयेगा, इसकी संभावना कम हैं, क्योंकि इनलोगों ने सबके लिए आओ, टिकट पाओ का जो कार्यक्रम चलाया, वही इनके लिए गले का फांस बन चुकी हैं। हालांकि कौन, कहां से चुनाव लड़ेगा, इसको लेकर विशेष बैठक व चर्चा का दौर जारी हैं, और आज जिन लोगों के नामों की चर्चा हुई, उनके नामों को लेकर जल्द ही एक टीम भाजपा केन्द्रीय चुनाव समिति को सौपेंगी, संभवतः इस पर दिल्ली में 7-8 नवम्बर को मुहर लगेगी, उसके बाद भाजपा की पहली सूची जारी हो जायेगी, इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा और संगठन महामंत्री धर्मपाल को अधिकृत किया गया है।
इधर भाजपा द्वारा फूंक-फूंक कर रखे जा रहे कदम पर कई लोगों ने चुटकी ली। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने कहा कि जो विकास-विकास कहते नहीं थक रहे थे, जिनके नेता दूसरे जगह चुनाव प्रचार में कहा करते थे कि विकास देखना हैं तो झारखण्ड जाइये, जब ऐसी पार्टी के नेताओं की चुनाव के समय यह हालत हैं तो चुनाव परिणाम के बाद क्या होगा?