शर्म करो, हिंदपीढ़ी वालों तुम्हारे कारण पूरे रांची की इज्जत की फलूदा निकल रही है, पर एक तुम हो, जैसे लगता है कि न सुधरने की कसम खा रखी है
शर्म करो, हिंदपीढ़ी वालों तुम्हारे कारण पूरे रांची की इज्जत की फलूदा निकल रही है, पर एक तुम हो, जैसे लगता है कि न सुधरने की कसम खा रखी है। इस लॉक डाउन में हिन्दुओं का प्रमुख त्याहोर “रामनवमी” बीत गया। आदिवासियों का त्यौहार “सरहुल” शांति से बीत गया, पर ऐसा क्या है कि “रमजान” का महीना शांति से न निकले। ये रोज-रोज की किचकिच और तुम्हारे इलाके की सुर्खियां बनती अखबारों की फ्रंटलाइन, क्या इससे तुम्हें शर्म नहीं आती या तुमने कसम खा रखी है कि चाहे जो हो जाये, हम वो करेंगे, जिससे लोगों की नाक में दम हो जाये, प्रशासन की चूलें हिल जाये।
हद हो गई भाई, थोड़ा खुद पर रहम खाओ। उपरवाला तुम्हारी हरकत देख रहा है, वो तुम्हारी गुनाहों को माफ करेगा, इसकी संभावना कम से कम हमें तो नहीं दिखती। कभी आपने अखबारों को खुब जलाया था, पर जो आपकी हरकतें हैं, वो अखबारों के जलाने से खत्म नहीं होगी, क्योंकि आपका जो चेहरा है, आइना उसी चेहरे को आपको दिखायेगा, चाहे आप कितना भी अपने चेहरे पर फेयर एंड लवली मल लें।
कल जो आपने किया है, उसका सविस्तार वर्णन रांची से प्रकाशित अखबार हिन्दुस्तान और दैनिक भास्कर ने बढ़िया से कर, आपकी इज्जत बहुत अच्छे ढंग से उतार दी है। इन अखबारों ने आपके चेहरे को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया है, आप चाहकर भी अब अपना चेहरा बेहतर नहीं बना सकते और न दिखा सकते। न ही विश्वास हैं तो आज का हिन्दुस्तान या दैनिक भास्कर अखबार पढ़ लीजिये, अखबार न मिले तो ऑनलाइन पढ़ लीजिये, अब तो बहुत सारे लोगों को आपके मुहल्ले का नाम सुनते ही डर लगने लगा है, ये हैं आपकी उपलब्धि। अखबार पढ़ने के बाद लोगों को लगता है कि आप का एक ही इलाज हैं, कि आप पर सख्ती हो, जो आज तक हुई ही नहीं है।
आप की इतनी हिम्मत की आप सीआरपीएफ जवानों को सेंट्रल स्ट्रीट से लेकर मालीटोला तक खदेड़ेंगे। अपने छतों से सीआरपीएफ जवानों पर पत्थर फेकेंगे। आप बिना मास्क के सड़कों पर निकलेंगे। जब सीआरपीएफ जवान आपको कहेंगे कि सड़कों पर बिना मास्क के नहीं निकले, तो आप उनसे उलझेंगे, उनको सबक सिखायेंगे। उन पर पथराव करेंगे। आप से घर से निकलने का कारण पूछा जायेगा तो आप उनसे उलझेंगे। अपने इलाके की गलियों के खम्भों में लगी बिजली काटकर सीआरपीएफ जवानों पर पथराव करेंगे। पीसीआर वाहनों को क्षतिग्रस्त करेंगे। सड़क किनारे खड़े वाहनों को क्षतिग्रस्त करेंगे। सीआरपीएफ जवानों को धक्का देंगे। सीआरपीएफ जवानों की पिटाई करेंगे। उन्हें सबक सिखायेंगे। केन्द्र व राज्य सरकार के आदेशों का पालन नहीं करेंगे।
आखिर ये सब आपने सीखा कहां से। आखिर आपको ये सब करने को सिखाता कौन है? जब से कोरोना का रांची में आगाज हुआ है, इसकी शुरुआत से लेकर अभी तक की जो स्थिति हैं, उसमें हमेशा हिन्दपीढ़ी ही सुर्खियों में क्यों रहा है? इस रमजान के महीने में दंगा फैलाने जैसी सोच कहां से आ रही है? भाई, आप कहना क्या चाहते है, कि आपको खुली छूट दे दी जाये, आप जहां चाहे, वहां चले जाये और कोरोना फैला दे, आपको सब कुछ करने की छूट दे दी जाये, जो छूट किसी को नहीं मिली हो, तो भाई ये छूट देने की हिम्मत तो किसी को नहीं है, चाहे झारखण्ड में किसी की सरकार हो।
आपको हर हाल में केन्द्र व राज्य सरकार की बातों को मानना होगा और अगर आप नहीं मानेंगे तो सरकार आपसे वो सारी बातें मनवायेंगी, चाहे आप हंसकर मानें या रोकर मानें। अब ये सोचना आपको हैं, क्योंकि आपने हद कर दी है। रही बात जिला प्रशासन की, तो कल की घटना बताने के लिए काफी है कि रांची में जिला प्रशासन लूंज-पूंज अवस्था में चला गया है, इस लूंज-पूंज अवस्था का ही तो परिणाम है कि मुट्ठी भर असामजिक तत्वों का समूह, हिन्दपीढ़ी में जो चाहे, जो कर दे रहा है, और सीआरपीएफ के जवान भी किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में है।
आखिर इन इलाकों में पत्थर कहां से आ जाते हैं? पत्थर फेकने की प्रशिक्षण कौन देता है? जब दंगा भड़कें तो उस दंगों को कैसे मूर्तरुप दिया जाये, कैसे स्ट्रीट लाइट बंद कर, जवानों पर पत्थर फेकने हैं, इसका प्रशिक्षण किसने दिया। वो कौन-कौन ऐसे घर हैं, जहां से पत्थर फेंके गये, अगर ऐसे लोगों को चिह्नित कर स्थानीय जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं करती, तो समझ लीजिये, रांची में जिला प्रशासन पूर्णतः खत्म हो चुका है। हमारा तो मानना है कि दंगाई कोई भी हो, उसे बढ़ावा जो भी देता है, वो देश का गद्दार है।
सूत्र तो बता रहे है कि हिन्दपीढ़ी में कुछ लोग ऐसे हैं, जो चाहते है कि यहां ऐसा माहौल बना दिया जाय कि जो लोग इस इलाके में अल्पसंख्यक हैं, वे अपने जमीन या मकान औने-पौने दाम में बेचकर निकल जाये, कुछ लोगों ने बार-बार इस प्रकार की स्थितियों को देखकर, मन बनाना भी शुरु कर दिया है, अगर ऐसा होता है, तो यह हिन्दपीढ़ी ही नहीं, बल्कि पूरी रांची के लिए भयावह स्थिति होगी। इसके परिणाम भी भयंकर ही होंगे।
ये सभी को सोच लेना चाहिए। इसलिए हिन्दपीढ़ी में कानून का शासन स्थापित हो। इसके लिए हेमन्त सरकार को ठोस निर्णय लेना पड़ेगा, और फिलहाल ठोस निर्णय यही है कि रांची के उपायुक्त और एसएसपी को यहां से तबादला कर दिया जाय, क्योंकि इनके रहते हमें नहीं लगता कि यहां शांति स्थापित होगी, क्योंकि जो स्थितियां है, वो सामने दिख रही है, किसी से पूछने की जरुरत ही क्या है?
कमजोर शासक / प्रशासक मुट्ठी भर लोगो के सामने पूरे तंत्र को पंगु बना देता है -चाणक्य