धनबाद में लाखों लोगों को प्यास बुझाने के लिए अशोक सिंह चलवाते हैं “पानी एक्सप्रेस”
ऐसे तो पूरा विश्व जलसंकट से जूझ रहा हैं, भारत के भी बहुत सारे राज्य इसके चपेट में आ चुके हैं, जबकि कुछ आने के लिए पंक्तिबद्ध खड़े हैं, पर झारखण्ड में धनबाद एक ऐसा जिला हैं, जहां पेयजल संकट एक गंभीर समस्या का रुप धारण कर चुका है, आश्चर्य है कि इस समस्या पर न तो यहां के सांसद और न ही विधायकों का ध्यान है, जबकि यहां का सांसद, विधायक, मेयर सभी भाजपा के हैं, साथ ही केन्द्र और राज्य में भी इनकी सरकार हैं, तब जाकर ये हाल है।
आज भी धनबाद के कई इलाक़े में लोग अभी भी बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे है। त्रासदी की इस घड़ी में पानी के लिये, यहां लोग बताते है कि लाठी –गोली भी चल चुकी है, जिसमें एक बुजुर्ग को जान भी गंवानी पड़ी है। स्थानीय लोगों की माने तो मानसून आने के बाद भी यह समस्या दूर होगी या नहीं, कहना मुश्किल है, क्योंकि पानी के इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर, विभिन्न राजनीतिक दलों का इस पर ध्यान ही नहीं हैं।
भारत सर्विस स्टेशन के मालिक अशोक सिंह कहते है कि भीषण पेयजल संकट से निबटना किसी एक व्यक्ति या संस्था के अकेले की वश की बात नहीं, लेकिन इच्छाशक्ति हो तो, लोगों की तकलीफ़ जरूर कम की जा सकती है। वे कहते है कि जिस उद्देश्य से उन्होंने “पानी एक्सप्रेस” शुरू किया वो आज भी सफलतापूर्वक चल रही है। पिछले चार वर्षो में लगभग 65 लाख लीटर पानी प्रभावित इलाकों और ज़रूरत मंद लोगों तक उन्होंने पहुँचाया।
पानी पहुँचाने में जो उन्हें ख़ुशी मिलती है उसे शब्दों में वे व्यक्त नहीं कर सकते, लेकिन एक मामूली उपाय व सुझाव उन्होंने नगर निगम प्रबंधन को हाल ही में दिया था। एक सप्ताह से ज्यादा वक्त गुज़र गए लेकिन उसका ना तो उन्हें ज़वाब मिला और ना ही अमल में लाया गया। उनका सुझाव सिर्फ इतना ही था कि धनबाद शहर व नगर निगम के जिस वार्ड में पानी का ज्यादा संकट है वहां नल युक्त चार हजार लीटर का छोटा–छोटा पानी टैंक लगा दिया जाये। यह पानी पहुँचाने का काम निगम स्वयं भी कर सकता है और वे भी “पानी एक्सप्रेस” के जरिये भी पानी पहुँचाने का काम करेंगे।
इससे समय की बचत होगी और पानी की आपूर्ति के लिए “पानी एक्सप्रेस” अधिक फेरा लगा पायेगी। अशोक सिंह के अनुसार सभी को मालूम है तसला, बाल्टी और डेगची को भरने में काफ़ी वक्त बर्बाद होता है,और पानी भरने में भी तीन से चार घंटे लग जाते हैं। हालांकि उनके इस सुझाव को कुछ लोग फ़िज़ूल खर्ची बता रहे है, लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि स्थानीय विधायक व मेयर धनबाद के लोगों को किस तरह से पेयजल संकट दूर करना चाहते है?
अशोक सिंह के अनुसार करोड़ो की योजनाएं ऐसे में जबतक ज़मीन पर उतरेगी, तब तक क्या धनबाद के लोग प्यासे रहेंगे? अशोक सिंह बताते है कि धनबाद निगम और ग्रामीण क्षेत्रों से प्रतिदिन पानी की मांग को लेकर दर्जनों लोगों के आवेदन उनके पास पहुँचते है। उन इलाकों में हर संभव वे पानी पहुँचा भी रहे है, लेकिन हर एक व्यक्ति तक पानी देना सम्भव नही हो पा रहा है। सार्वजनिक वाटर टैंक व नल लगा देने मात्र से आसपास के लोग वहां से आसानी से पानी ले सकेंगे।
साथ ही “पानी एक्सप्रेस” जो फ़िलहाल दिन भर में मात्र एक फेरा लगा पाती है। वो दिन में तीन –चार बार फेरा लगा पायेगी और कई इलाक़ों को कवर भी कर लेगी। ये बताना लाज़िमी है कि निगम का काम सिर्फ टैक्स वसूलने भर का ही नहीं होना चाहिए। वही जनहित के इस मुद्दे पर धनबाद विधायक की ख़ामोशी लोगों को खल रही है। लोग बताते है कि नीयत और नीति दोनों साफ़ हो तो कुछ भी मुश्किल नहीं।
अशोक सिंह कहते है कि बड़े–बड़े जलमीनार और फंड से प्यास नहीं बुझ सकती है। कहने के लिए यहां तो 36 जलमीनार है, लेकिन ठीक से पांच भी नहीं चलता। याद रखिये, आसमान से होने वाली बारिश के बूंदों को भी सहेजना पड़ता है। तब जा कर प्यास बूझती है। अब जिन्हें सिर्फ सियासत करना है वो शौक से करें। अमीर लोगो के पास कई साधन मौजूद है, लेकिन गरीब लोग बेवश व लाचार है और वे प्यासे लोगो को तड़पता नहीं देख सकते। उनका यह कारवां जारी रहेगा। वे अपनी क्षमता के अनुसार “पानी एक्सप्रेस” के द्वारा लोगों की प्यास बुझाते रहेंगे।