फिर से ढुलू की दबंगई व प्रताड़ना से अशोक के परिवार पर संकट मंडराया, धनबाद प्रशासन व भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं ने साधी चुप्पी, 27 से पूरे परिवार के साथ धनबाद में धरने पर बैठेगा अशोक
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी व इनके प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को झामुमो, कांग्रेस व राजद के नेताओं में हर प्रकार की बुराइयां दिख जाती है, लेकिन इनके नेता- इनके विधायक अपने इलाके में क्या गुल खिला रहे हैं, कैसे लोगों का जीवन दूभर कर दिया हैं, कैसे लोगों की आजीविका छीन रहे हैं, कैसे राम के नाम पर-मंदिर के नाम पर उनके जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं, ये नहीं दिखती।
कमाल तो यह भी है कि भाजपा के उक्त विधायक के दबंगई, शोषण व प्रताड़ना के खिलाफ लोग राजभवन रांची व धनबाद मुख्यालय में अर्द्धनग्न प्रदर्शन करते हैं। फिर भी राजभवन में बैठे अधिकारियों व महामहिम को इन गरीबों पर दया तक नहीं आती और न ही धनबाद के उन प्रशासनिक अधिकारी को दया आती है, जो कहने को गरीबों को न्याय दिलाने के लिए ही पद धारण करते हैं।
आश्चर्य तो यह भी है कि यहां सरकार झामुमो की चल रही है। फिर भी न तो झामुमो विधायक और न ही गरीबों के लिए संघर्ष करनेवाली पार्टी भाकपा माले ने ही इन गरीबों की बात विधानसभा में आज तक उठाई है। इधर अशोक महतो का पूरा परिवार डरा हुआ है कि पता नहीं उसके साथ अब आगे क्या होगा? लेकिन आजीविका के लिए उससे जो बन पड़ रहा हैं, संघर्ष कर रहा है।
दो साल पहले की ही बात है। 2022 में भाजपा विधायक ढुलू महतो की दबंगई-प्रताड़ना के खिलाफ इनलोगों ने राजभवन रांची और धनबाद मुख्यालय में अर्द्धनग्न प्रदर्शन किया था, यह सोचकर कि उसे न्याय मिलेगा, पर इन्हें न्याय नहीं मिला। अंत में अशोक महतो का पूरा परिवार धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर 29 दिनों तक भूख हड़ताल पर बैठा, तब जाकर धनबाद जिला प्रशासन की कुम्भकर्णी निद्रा टूटी, तब जाकर अशोक महतो को न्याय मिला।
ज्ञातव्य है कि उस वक्त ढुलू महतो ने रामराज मंदिर के सामने जहां अशोक महतो का परिवार दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उस दुकान के सामने ही भाजपा विधायक ने पानी का टैंकर लगा दिया था कि अशोक महतो का पूरा परिवार दुकान छोड़कर भाग जाये, दुकान ही नहीं लगा पाये। हुआ भी ऐसा ही, दुकान से सटे पानी का टैंकर लगा देने से बेचारे अशोक महतो का पूरा परिवार उस वक्त भूखमरी का शिकार हो गया था। जिस खबर को विद्रोही24 ने उस वक्त प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
इधर एक बार फिर अशोक महतो के साथ छल हुआ है। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर रामराज मंदिर में रामोत्सव के नाम पर अशोक महतो का दुकान कुछ दिनों के लिए हटवा दिया गया। लेकिन जब फिर से अशोक महतो ने अपनी जमीन पर दुकान लगाना शुरु किया तो ढुलू महतो ने उसे दुकान लगाने से मना कर दिया। मतलब एक बार फिर अशोक महतो के परिवार पर खतरा मंडराना शुरु हो गया है। उसके बच्चे व परिवार भूखों मरने के कगार पर आ गये हैं। जिसको लेकर वो हर जगह गुहार लगा रहा है।
लेकिन अपने देश व राज्य में इतनी जल्दी किसी को न्याय मिली है कि अशोक महतो को मिल जायेगी। अशोक महतो विद्रोही24 को बताते है कि बरोरा थाना प्रभारी ने उसे लिखित आश्वासन दिया था कि 22 जनवरी को जब रामोत्सव हो जायेगा तो उसे 24 जनवरी को उसी जगह दुकान खोलने को दे दिया जायेगा, लेकिन अब उसे दुकान खोलने नहीं दिया जा रहा।
सच्चाई क्या है? जहां अशोक महतो की दुकान है। वो चिटाही स्थित राम राज मंदिर के पास है। यह दुकान उनलोगों की रैयती एवं पुश्तैनी जमीन पर स्थित है। विधायक ढुलू महतो चाहते है कि यह जमीन अशोक महतो मंदिर ट्रस्ट को दान कर दें। लेकिन सवाल उठता है कि जब ये व्यक्ति मंदिर ट्रस्ट, जिस पर कब्जा ढुलू महतो का ही है, मंदिर को दे देगा तो इसका परिवार कहां से खायेगा, कहां से अपने परिवार का भरण-पोषण करेगा?
अशोक महतो बताते है कि पिछली बार ढुलू महतो ने उनकी दुकान को सटाकर पानी का टैंकर लगा दिया था, जिससे उनकी दुकान बंद हो गई थी। इस बार उनके घरों का बिजली काट दिया गया है। जहां मंदिर के पास उनकी दुकान थी, उस दुकान के पास बांस का घेरा डालकर पर्दा लगा दिया गया है। जिसके कारण उनके पास ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं, रोजी-रोटी छिन गई है।
ढुलू महतो के इस दबंगई, शोषण एवं अत्याचार के कारण उनलोंगों की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो गई है। स्थिति ऐसी है कि दिनचर्या की जरुरतों को वो पूरा करने में असमर्थ हो गया है। भूखमरी की स्थिति आ गई है। अशोक महतो विद्रोही24 को बताते हैं कि भाजपा विधायक ढुलू महतो की लिखित व मौखिक शिकायत कई बार वे धनबाद के उपायुक्त, एसडीओ, एसएसपी को दे चुके हैं।
इस बार फिर लिखित शिकायत और अपनी दुर्दशा की बात उन तक पहुंचा चुके हैं। जिसकी प्रतिलिपि झारखण्ड के मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन, केन्द्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस अधीक्षक धनबाद ग्रामीण, एसडीपीओ बाघमारा सिजुआ, थाना प्रभारी बरोरा को दे चुके हैं। लेकिन कहीं से कोई सुगबुगाहट दिखाई नहीं दे रही है।
अगर उनकी दुर्दशा पर किसी ने ध्यान नहीं दी, तो वे मजबूरीवश फिर से 2022 की तरह जिला मुख्यालय में सपरिवार अनिश्चितकालीन के लिए धरना पर बैठने के लिए मजबूर होंगे। अशोक महतो के शब्दों में – इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं। जमीन हमारी और हम अपनी जमीन ढुलू महतो को मंदिर के नाम पर कैसे दे दें। भारत का संविधान कहता है कि प्रत्येक भारतीयों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार यहां हैं। हमें तो सम्मान तो दूर, जीने का अधिकार भी छिन लिया जा रहा है और प्रशासन के लोग मेरी मदद करने के बजाय, हमें ठीक से जीने भी नहीं दे रहे हैं, आखिर मेरी गलती क्या है, यही न कि हम गरीब है।