अपनी बात

संघीय ढांचे पर प्रहार या चोरी और सीनाजोरी दोनों साथ-साथ, भाजपा बताएं क्या केन्द्रीय मंत्री राज्य में हो रहे पंचायत चुनाव में आचार संहिता की धज्जियां नहीं उड़ा रहे?

क्या सचमुच हेमन्त सरकार केन्द्रीय मंत्रियों के झारखण्ड में शुरु हुए अचानक दौर को लेकर, अंगूलियां उठा, तथा उनके दौरे को हर प्रकार से रोकने का प्रयास कर संघीय ढांचे पर प्रहार कर रही है या केन्द्र के मंत्री राज्य में हो रहे पंचायत चुनाव का फायदा उठाने के लिए विभागीय दौरे करने का बहाना कर रहे हैं, क्योंकि केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे के कार्यक्रम को देखें तो साफ पता लगता हैं कि केन्द्रीय मंत्री “एक पंथ दो काज” के सिद्धांतों को जमीन पर उतारने के लिए झारखण्ड के दौरे का अच्छा बहाना ढूंढ लिया हैं।

जिसमें वे विभागीय मींटिंग तो कर ही रहे हैं, वे इसी दौरान अपना राजनीतिक हित भी साधने में लगे हैं, क्योंकि अगर ये विभागीय कार्य हैं तो विभागीय कार्य में कहां किसी को आपत्ति हैं, पर विभागीय कार्यों के साथ-साथ आप राजनीतिक हित साधने के लिए किसी खास इलाके के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ मीटिंग करें, अपने पार्टी कार्यालय में जाकर अपने कार्यकर्ताओं से मिलें, उनके जोश बढ़ाएं और फिर प्रेस कांफ्रेस भी करें, वो भी उस वक्त, जब राज्य में पंचायत चुनाव हो रहे हों तो ये बात कुछ हजम नहीं हुई।

कहने को तो आप ये भी कह सकते है कि आप जिन पंचायतों में चुनाव हो रहे हैं, वहां आप नहीं जा रहे हैं, पर क्या ये सच नहीं कि राज्य के कौन ऐसे जिले हैं, जहां पंचायत है और वहां पंचायत चुनाव नहीं हो रहे। आप विभागीय कार्यक्रम बनाकर, अपना राजनीतिक हित साधेंगे, विभागीय खर्चें पर राजनीतिक टूर भी जोड़ेंगे तो आपके विरोधी तो सवाल खड़े करेंगे ही, जिसका ठोस जवाब आपको देना होगा, जो फिलहाल भाजपा नेताओं के पास नहीं हैं।

सवाल तो भाजपा के बड़े नेताओं से पूछें ही जायेंगे कि जो पंचायत राज्य मंत्री, झारखण्ड में नई सरकार बनने के बाद कभी झारखण्ड में झांकने तक नहीं आये, अचानक उन्हें झारखण्ड की याद कैसे आ गई? और वे सिमडेगा में जाकर प्रतिष्ठित व्यक्तियों और एनजीओ के लोगों से मिलने का कार्यक्रम कैसे बना लिये?जरा देखिये कपिल मोरेश्वर पाटिल को, जो खुद पंचायती राज मंत्रालय संभाल रहे हैं, ये 17-18 अप्रैल को झारखण्ड के दौरे पर हैं।

ये जनाब अपने टूर कार्यक्रम में इस बात को ताल ठोककर लिख रहे है कि इस दौरान वे 18 अप्रैल को एनजीओ व सिमडेगा के प्रख्यात व्यक्तियों के साथ मीटिंग करेंगे। भाई इस पंचायत चुनाव में आपको इस प्रकार की मीटिंग की आवश्यकता क्यों पड़ गई, साफ हैं कि आप राजनीतिक हित साधने के लिए ऐसा कर रहे हैं, राज्य में हो रहे पंचायत चुनाव का दल हित (याद रखें – पंचायती चुनाव दलीय आधार पर नहीं हो रहे, फिर भी पंचायत चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के लिए केन्द्र/राज्य में सत्ता पाने की प्रथम सीढ़ी होती हैं।) में फायदा उठाना चाहते हैं, ताकि इसका लाभ आनेवाले समय में आप ले सकें, जो गलत है। 

अब दूसरे केन्द्रीय राज्य उर्जा एवं भारी उद्योग मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर के टूर प्रोग्राम पर नजर डालें… ये जनाब 18 अप्रैल की सुबह सवा छह बजे दिल्ली एयरपोर्ट से चल रहे हैं, 8.20 में कोलकाता एयरपोर्ट पहुंचने के बाद वहां से हेलीकॉप्टर द्वारा सुबह के नौ बजे मैथन पावर प्रोजेक्ट धनबाद पहुंच रहे हैं, जहां ये एक रिव्यू मीटिंग करेंगे।

यहां से 12.30 बजे फिर हेलीकॉप्टर द्वारा गोड्डा के भाजपा कार्यालय की ओर चल देंगे, फिर डेढ़ बजे ये यहां पहुंचकर जिला अधिकारियों के साथ रिव्यू मीटिंग करेंगे और केन्द्र द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से संबंधित जानकारी लेंगे, इसके बाद ये सामाजिक न्याय पखवाड़ा कार्यक्रम में भाग लेंगे, भाजपा कार्यालय में भाजपा के कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेंगे, फिर यहीं पर प्रेस कांफ्रेस भी करेंगे, और उसके बाद फिर कोलकाता होते हुए दिल्ली के लिए रवाना हो जायेंगे।

मतलब भाजपा के ये केन्द्रीय मंत्री और उसके नेता कितने भोले हैं, खुद आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं, राजनीतिक हित साधने के लिए विभागीय दौरों का बहाना बना रहे हैं, खुलकर उस वक्त सरकारी वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं, जिस वक्त आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हैं और हेमन्त सरकार पर संघीय ढांचे पर प्रहार करने का आरोप लगाते हैं, भई वाह, ये तो वहीं बात हुई – चोरी भी सीना जोरी भी।