परमहंस योगानन्द की नीतियों को जमीन पर उतारने को लेकर सजग योगदा संन्यासियों ने जरुरतमंदों को दिये खाद्यान्न और कोविड 19 को लेकर लोगों को किया जागरुक
श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित राजयोग के तहत क्रिया योग से विश्व को परिचित कराने वाले श्री श्री परमहंस योगानन्द के वचनों पर अमल करते हुए योगदा सत्संग आश्रम कोरोना वाइरस के दुष्प्रभावों से त्रस्त मानवता की सेवा में लॉकडाउन के आरंभिक दिनों से लगा हुआ है। ज्ञातव्य है कि परमहंस योगानन्द ने कहा था कि आप यदि दूसरों की सेवा में अपना अहम् भूल जाते हैं तो सच मानिए आपके अंदर अपने आप खुशियों का भंडार समा जाएगा।
इसी नीति वचन के तहत आश्रम जरूरतमंदों के बीच आवश्यक सहायता सामग्री का वितरण कर रहा है। लॉकडाउन –2 के दौरान, सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्र जोन्हा में योगदा मठ मोबाइल वैन भेजकर लोगों को इस बात से आगाह और जागरूक कर रहा है कि कोविड-19 नामक अत्यंत घातक और संक्रामक महामारी से कैसे बचा जा सकता है?
आश्रम सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को राजधानी क्षेत्र के वार्ड संख्या 52 के तहत हटिया इलाके में 300 किलो चावल, 150 किलो दाल, 200 किलो आलू, 200 किलो प्याज, 50 लीटर सरसों तेल, 200 साबुन और 200 मास्क का वितरण किया गया। इस आयोजन का नेतृत्व ब्रह्मचारी निरंजनानन्द ने किया।
इस दौरान लोगों को एक-दूसरे से कम से कम एक मीटर शारीरिक दूरी बनाए रखने, हर घंटे साबुन से समुचित तरीके से हाथ धोने, मास्क का प्रयोग करने और अत्यंत आवश्यक होने पर ही घर से बाहर पांव रखने की नसीहत दी गई। बताया गया कि अत्यंत संक्रामक कोविड-19 से बचाव का यही उपाय है, अन्यथा इसकी चपेट में आने पर बेहद घातक परिणाम होंगे।
इसी प्रकार लॉकडाउन –2 के प्रथम दिन 15 अप्रैल को नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत हटिया इलाके में चंदरघासी, कुट्ट टोला और अन्य आदिवासी रिहायसी टोलों में 450 किलो चावल, 225 किलो दाल सहित अन्य खाद्य सामग्री तथा स्वच्छता साधनों का वितरण किया गया। उसके एक दिन पूर्व खूंटी रोड के निकट हरदाग और लोअर हटिया की आदिवासी बस्ती में खाद्यान्न, केले और मास्क का वितरण किया गया।
लॉकडाउन के कारण जिन-जिन क्षेत्रों में खाद्य और स्वच्छता समस्या उत्पन्न हो रही है अथवा भविष्य में भी ऐसा होगा, उधर के जरूरतमंदों की सेवा के लिए योगदा मठ ने अपनी वचनबद्धता दोहराई है। आश्रम सूत्रों के द्वारा यह भी बताया है कि मानवता की इस सेवा में जोमेटो फिडिंग इंडिया का सहयोग मिल रहा है। आश्रम की ओर से निवेदन किया गया है कि यदि कोई नागरिक इस सहायता अभियान में भागीदार बनना चाहता है तो वे आश्रम के वेबसाइट पर दान कर सकते हैं।