बाबू लाल मरांडी ने टूल्स बन चुके झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी के साथ-साथ हेमन्त सरकार की भी उड़ाई धज्जियां
बाबू लाल मरांडी ने टूल्स बन चुके झारखण्ड पुलिस उर्फ राजदुलारी के साथ-साथ हेमन्त सरकार की खुलकर धज्जियां उड़ाई तथा कड़ा हमला बोला। बाबू लाल मरांडी आज अपने राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी पर हेमन्त सरकार व पुलिस तंत्र द्वारा मिलकर किये गये षडयंत्र पर कड़ी टिप्पणी की, तथा भाजपा प्रदेश मुख्यालय में प्रेस को संबोधित भी किया।
उन्होंने कहा कि इस मुकदमे के पीछे एक बड़ा षड्यंत्र है। एक बड़े मामले को दबाने की कोशिश है, जिसमे राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन स्वयं आरोपी है और सुनील तिवारी उस गंभीर मामले में इंटरवेनर है। उन्होंने कहा कि यह सर्व विदित है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन और वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर एक मुम्बई की लड़की ने दुष्कर्म के आरोप लगाए।
मामले की जांच आगे बढ़ी इसी बीच उस लड़की ने एक वीडियो के माध्यम से अपने जान को ख़तरे में बताया। साथ ही जारी वीडियो में यह भी कहा कि उसके जान की क्षति होने के जिम्मेवार बाबूलाल मरांडी, सांसद निशिकांत दुबे और सुनील तिवारी होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे में उन्होंने तुरंत महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक, पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस गंभीर षड्यंत्र की जांच का अनुरोध किया।
साथ ही सुनील तिवारी का नाम वीडियो में होने के कारण उन्हें अपनी सुरक्षा में इंटरवेनर बनने की सलाह दी और सुनील तिवारी ने ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि इंटरवेनर का मामला हाइकोर्ट में लंबित है। सुनवाई में होती देर को देखते हुए सुनील तिवारी ने माननीय उच्चतम न्यायालय में अनुरोध किया, जिसकी सुनवाई सप्ताह के भीतर संभावित है।
श्री मरांडी ने कहा कि सुनील तिवारी को एक लड़की के द्वारा आरोप लगाकर फंसाने की साजिश मुख्यमंत्री के ऊपर लगे आरोप को दबाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि इंटरवेनर बनने के बाद श्री तिवारी को कई तरह डराने-धमकाने की कोशिश से होती है।
उन्होंने कहा कि इसका खुलासा भी समय पर किया जाएगा कि किसने, कब उन्हें किस प्रकार से डराने धमकाने की कोशिश की।उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रोज नए हथकंडे अपना रही। पुलिस राज्य की विधि व्यवस्था के प्रति गम्भीर नहीं हैं। केवल सरकार का टूल्स बनकर काम कर रही हैं।
श्री मरांडी ने कहा कि जिस लड़की ने सुनील तिवारी पर आरोप लगाए हैं, वो लगभग एक वर्ष पूर्व उनके यहाँ काम करती थी। आश्चर्य है कि वो इतने बड़े मामले को एक वर्ष तक दबाकर रखा। न पुलिस को बताए, न परिजनों को, न सुनील तिवारी के परिवार को। ऐसे में षड्यंत्र स्पष्ट दिखलाई पड़ता है।
दूसरी तरफ एक लड़की जो श्री तिवारी के यहाँ रहकर पढ़ती थी, उसे 15 अगस्त को जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था उसे घर से उठाकर अनगड़ा पुलिस ले जाती है। साथ में छह और चार वर्ष के बच्चों को भी ले जाती है। रात के एक बजे तक थाना में प्रताड़ित करती है। रात तीन बजे कही गुप्त स्थान पर ले जाती है। 16 अगस्त को उस बच्ची को बाल सुधार गृह लाया जाता है।
उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही उन्होंने डीजी से लेकर एसपी,थाना प्रभारी सभी से बात की, पर कोई संतोषजनक उत्तर नही मिला। उन्होंने कहा कि यह सब किस कानून के तहत की गई कार्रवाई है। क्या बच्ची अनाथ थी, कही लावारिस मिली थी, कोई रेस्क्यू में छुड़ाया गया था। यदि नही तो फिर कईं ऐसी असंवैधानिक कार्रवाई पुलिस कर रही। उन्होंने कहा कि इन सारी बातों से स्पष्ट है कि सरकार एक षड्यंत्र के तहत, विद्वेषपूर्ण, गैर जिम्मेदाराना, कार्रवाई कर रही हैं। उन्होंने पूरे घटनाक्रम की सीबीआई अथवा सिटींग जज की अध्यक्षता में गठित जांच समिति से कराने की मांग की।