बाबू लाल मरांडी की आशंका शत प्रतिशत सही साबित हुई, साहेबगंज के पास गिट्टी से लदी 18 ट्रक स्टीमर समेत गंगा में डूबी
आखिरकार झारखण्ड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की आशंका सही साबित हो ही गई। झारखण्ड के साहेबगंज और बिहार के मनिहारी के बीच वो घटना घट ही गई, जिसके बारे में भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी ने पूर्व में आशंका व्यक्त की थी। जिस आशंका को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को उन्होंने अलग-अलग पत्र लिखा था। सबूत आपके सामने हैं…
आज जानते है कि मनिहारी और साहेबगंज के बीच में क्या घटना घटी है? वो घटना यह है कि साहेबगंज से मनिहारी को जा रही स्टीमर जो गिट्टी से भरे 18 ट्रकों से लदी थी, साहेबगंज से मनिहारी जाने के क्रम में बीच गंगा में डूब गई, जिसमें कई की जानें भी चली गई। ये घटना बीती रात की है। आज की है।
जैसे ही मनिहारी पुलिस को इस बात की जानकारी करीब ढाई बजे रात में मिली। दोनों राज्यों के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गये हैं।
अब सवाल उठता है कि इस घटना का जिम्मेवार कौन है? कौन हैं जो देर रात गिट्टी का कारोबार करता है? वो कौन है जो देर रात इस गोरखधंधे को करने की ताकत रखता है? वो कौन है जिसके आदेश से ये गोरखधंधा बिहार और झारखण्ड में आराम से चल रहा है? आज जो ये घटना घटी, उसके लिए किसे दोषी ठहराया जायेगा? जब बाबू लाल मरांडी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हेमन्त सोरेन को इस अनहोनी की जानकारी दे दी थी, तो फिर इन दोनों मुख्यमंत्रियों ने इस पर एक्शन क्यों नहीं लिया?
अगर हम सामान्य जनता से इन प्रश्नों के जवाब मांगे तो वो सीधे कह देगी, कि जिस नेता, ठेकेदार और अधिकारियों को इसमें फायदा होगा, वे ही ये सब कर रहे होंगे और जब ये कर रहे होंगे तो दोषी तो सीधा यही हैं, पर सच्चाई यह भी है कि इस मुद्दे पर बावेला होने पर सरकारें एक जांच कमेटी बनायेगी, वो जांच कमेटी इन सबसे कुछ न कुछ प्राप्त करेगी और फिर पूरी घटना की लीपा-पोती हो जायेगी।
बिहार के मनिहारी और झारखण्ड के साहेबगंज के बीचोंबीच में 18 ट्रकों से लदी स्टीमर का डूबना बताता है कि इसके लिए अगर कोई दोषी हैं तो वह हेमन्त सरकार है, क्योंकि जहां घटना घटी है, वो सारा इलाका राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का है, और ये सारी घटना किसके कहने और किसके इशारे पर होती हैं, वो भी सारी जनता जानती है, लेकिन भय से मुंह नहीं खोलती, क्योंकि जान किसे प्यारी नहीं हैं, कौन मुंह खोलेगा, जो मुंह खोलेगा, वो झूठी केस में फंसाया जायेगा, नहीं तो उसकी जीवन लीला ही समाप्त कर दी जायेगी।
लोग कहते हैं कि जहाज़ को समदा घाट साहिबगंज से चलने की अनुमति है जबकि ये गरम घाट से अवैध रुप से चलता है। जहाज को सूर्य अस्त के बाद नहीं चलना है, जबकि ये रात भर चलता है और यह जहाज़ भी रात में गरम घाट से ही खुला था। ऐसा भुक्तभोगी घायल के बयान से स्पष्ट है। जो दुर्घटना ग्रस्त जहाज़ लौट कर भाग कर आया है वह गरम घाट पर ही लाकर खड़ा किया गया है। दरअसल जहाज़ परिचालकों एवं इस सिंडिकेट के लोगों पर हत्या का मुक़दमा चलना चाहिए। जहाज़ परिचालन का उनका लाइसेंस रद्द होना चाहिए। चूंकि मामला दो राज्यों के बीच का है इसलिए सीबीआई जाँच होनी चाहिए।
साहिबगंज के दोषी डीसी-एसपी जो अवैध घाट से रात में क्षमता से कई गुणा अधिक लोड के साथ जहाज़ चलवा रहे थे उन सबों पर मुक़दमा दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए। साहिबगंज डीसी खुद गरम घाट पर यह बयान दे रहे हैं और बोल रहे हैं समदा घाट, इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है…