नाम के हैं सिर्फ बाबूलाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष, अभी भी पूराने ढर्रे पर चल रहा भाजपा में काम, इधर हेमन्त का झारखण्ड में राजनीतिक दबदबा कायम
वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भाजपा प्रदेश कार्यालय में हवन यज्ञ समाप्त करने के बाद बाबूलाल मरांडी ने प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभाला। उनकी ताजपोशी की गई, पर सच्चाई यह है कि अभी भी भाजपा पुराने ढर्रे पर चल रही है। कोई नयापन नहीं दिख रहा। भाजपा प्रदेश कार्यालय से आज भी पुराने ढर्रे पर प्रेस विज्ञप्तियां निकल रही है। जो बता रही है कि काम मत करिये, बस अखबारों में बने रहिये ताकि प्रदेश से लेकर दिल्ली तक नेता समझ जाये कि फलां नेता तो बहुत काम का है।
आज ही देखिये। भाजपा प्रदेश कार्यालय से दो विज्ञप्तियां निकली हैं। एक में बाबूलाल मरांडी का बयान है, तो दूसरा भाजपा के महान विभूति व महामंत्री प्रदीप वर्मा का बयान है, दोनों बयान प्रधानमंत्री से संबंधित है। जिसका आम जनता से कोई लेना-देना नहीं और न ही इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोई फायदा होनेवाला है। संगठन का काम तो ऐसे भी झारखण्ड भाजपा में राम-भरोसे चल रहा है। सभी अपने दिल्ली स्थित भाजपा के केन्द्रस्थ नेताओं को आंखों में धूल झोंक रहे हैं। भाजपा का कार्यकर्ता पूर्णतः निष्क्रिय हैं, उसकी सक्रियता कही नहीं दिख रही।
कल का नेता जयराम महतो झारखण्ड के किसी भी शहर में हजारों युवाओं की भीड़ जुटा ले रहा है, पर भाजपा नेताओं के कार्यक्रम में वैसी जोश वाली भीड़ नहीं दिख रही, पहली बात भीड़ ही नहीं दिखती तो जोश का सवाल ही नहीं उठता। जबकि भाजपा नेताओं को मालूम ही होगा कि किसी भी देश व राज्य में तख्ता पलटने या पलटवाने में मुख्य भूमिका युवाओं की ही होती है, पर भाजपा से युवा गायब है।
अगर युवा गायब है तो भाजपा में कौन-कौन लोग हैं। तो वैसे लोग हैं, जो राजनीति की आड़ में अपनी दुकान चलाते हैं, ताकि उनकी दुकान राजनीति की आड़ में आराम से चलती रहे। यही नहीं, इसके साथ ही बिल्डरों और ऐश करनेवालों ने भाजपा को अपने कब्जे में कर लिया है, जिसके कारण किसी विशेष कार्यक्रम में जो भाजपा आयोजित करती हैं, पैसे के बल पर वहां कुछ भीड़ तो दिखाई पड़ जाती हैं, पर सही मायनों में वे भाजपा के समर्थक नहीं होते, जो भाजपा को वोट दिला सकें या खुद ही भाजपा को वोट दें, जबकि इसके विपरीत आज भी भाजपा द्वारा इतने राजनीतिक पापड़ बेलने के बावजूद झामुमो की स्थिति मजबूत हैं।
आज भी हेमन्त सोरेन की राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत हैं कि उन पर चुनाव आयोग का बहाना बनाकर धमकी दे दी जाये, चाहे पूर्व राज्यपाल द्वारा एटम बम के धमाके की आवाज की धमकी दे दी जाये, चाहे ईडी के द्वारा उन्हें समन जारी कर दी जाये, चाहे उन पर खनन और भ्रष्टाचार का आरोप ही क्यों न लगा दी जाये, हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता में कही से कोई कमी नहीं आई है।
आज भी अगर हेमन्त सोरेन एक बार आवाज लगा दें, तो उनके एक आवाज पर कही भी भीड़ इकट्ठी हो सकती हैं, जबकि भाजपा में ऐसे नेताओं का अभाव है, और जिनमें ये ताकत हैं, जिसे लेकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया हैं, उन्हें अभी से सबक सिखाने के लिए पूर्व के भाजपा नेताओं ने सारे पूर्व के विकारों को दूर कर गलबहियां करने की तैयारी शुरु हो गई है, ताकि बाबूलाल मरांडी को सबक सिखाया जाये।
ऐसे तो अब लोकसभा चुनाव होने में मात्र आठ-नौ महीने शेष हैं और विधानसभा चुनाव होने में करीब डेढ़ साल से भी कम, लेकिन भाजपा का यही हाल रहा, तो निःसंदेह झामुमो महागठबंधन फिर से झारखण्ड में अपना झंडा बुलंद करेगा, क्योंकि भाजपा और भाजपा से संबंधित जितने भी नेताओं के बयान या राज्यपाल द्वारा हेमन्त सरकार के खिलाफ जो भी बयान जारी किये जाते हैं, उसकी फिर जो प्रतिक्रिया झामुमो द्वारा दी जाती है, उसके बाद भाजपा कही दिख नहीं पाती।
राजनीतिक पंडितों की मानें, अगर भाजपा स्वयं में सुधार नहीं लाई। अपना अहं को स्वर्णरेखा नदी में नहीं बहाई। अहं कहने का मतलब है कि भाजपा के प्रदेश नेताओं में जो कुछ है नहीं, पर अपने को बहुत कुछ बनने की कोशिश करते हैं, इस मिथ्या अहं को नहीं त्यागा तो फिर अभी तो भाजपा विरोधी दल के नेता के लिए लड़ रही हैं, जनता ऐसा धूल चटा देगी कि भाजपा, विरोधी दल के नेता बननेलायक सीट भी नहीं ला पायेगी।
इसलिए भाजपा को सलाह है कि वे अपना अहं छोड़कर जो पूर्व में जो भयानक गलतियां की हैं, उन गलतियों को प्राथमिकता के आधार पर सुधारें, हो सकें तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से जाकर ट्यूशन लें और वो जो बताएं, उसको अमल में लाएं, क्योंकि कुछ बातें ऐसी है – हेमन्त सोरेन में जो उन्हें जनता के निकट ले आती हैं और कुछ बातें ऐसी है भाजपा नेताओं में जो जनता को भाजपा से फिलहाल बहुत दूर कर दे रही हैं। समझना तो हैं तो समझिये, नहीं तो जाइये, हमें क्या हैं? मैं तो भविष्य देख रहा हूं, कि आप झारखण्ड में कही दिखाई नहीं दे रहे।