राजनीति

बाबूलाल मरांडी ने सरकार के इरादे व सोच पर उठाए सवाल, कहा राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार की आई बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता, सरकार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर

राज्यपाल के अभिभाषण पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार की बातों पर इसलिए विश्वास नहीं होता कि इन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि वे 3200 रुपये प्रति क्विटल धान की खरीद करेंगे, लेकिन आज हो क्या रहा हैं, सरकार 2400 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने की बात कर रही हैं, वो भी खरीदारी 15 दिसम्बर से होगी, जबकि बाजारों में 1800-1900 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से राज्य के किसान अपना धान बेच रहे हैं।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि धान की खरीदारी की तरह मंईयां सम्मान योजना का हाल है। रांची के डीसी ने सभी बीडीओ को चिट्ठी जारी की है कि जिन-जिन लोगों को चिह्नित किया गया है, उनसे मंईयां राशि योजना की वसूली की जाये। सवाल उठता है कि पहले किस आधार पर मंईयां राशि योजना दी गई और जिन लोगों ने ऐसा किया, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी, अगर उनके खिलाफ आप कार्रवाई नहीं करेंगे तो फिर कुछ नहीं होगा?

उन्होंने कहा कि हम पर हार का दोष मढ़नेवाले कांग्रेस के विधायकों को यह पता ही नहीं कि हम राज्य में साढ़े 33 प्रतिशत वोट लाकर यहां सदन में बैठें हैं, जबकि कांग्रेस के लोगों को पूरे राज्य भर में मात्र 15 प्रतिशत ही वोट मिले हैं। इसलिए इस प्रकार से भाजपा और उनके नेताओं के खिलाफ बोलना साफ बताता है कि अभी भी ये लोग भाजपा के खौफ में जी रहे हैं। उनका खौफ सरकार पर साफ झलक रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान हर दल एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं। लेकिन जिस प्रकार का खौफ सत्ता पक्ष पर दिख रहा हैं, वो आश्चर्यजनक है।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मणिपुर की बात करनेवाले चाईबासा के गुदड़ी की बात क्यों नहीं करते, जहां के ग्रामीणों ने अपने हाथ में कानून लेकर कई लोगों का सेंदरा कर दिया। दरअसल झारखण्ड की पुलिस अब नाम की रह गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा डेमोग्राफी चेंज की बात उठा रही हैं तो कुछ भी गलत नहीं कर रही। 

पता लगाइये 1951 में संताल में आदिवासियों की जनसंख्या 35 प्रतिशत थी। 2011 में घटकर 26 प्रतिशत हो गई। आखिर ये आबादी कहां गई। पूरे राज्य में 45 प्रतिशत की आबादी आज 28 प्रतिशत पर अटक गई। सवाल इधर-उधर का नहीं, सवाल संथालियों और आदिवासियों के अस्तित्व का है। चिन्ता करनी चाहिए। राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती। हम जानते हैं। इसलिए अब केन्द्र को ही कुछ करना होगा। एनआरसी लाना ही होगा।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जेएसएससी-सीजीएल में धांधली को लेकर राज्य के युवा सड़कों पर हैं। वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। आप सीबीआई जांच से भाग क्यों रहे हैं। करवा दीजिये जांच। दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। बंगाल की एक कंपनी ने वहां शिक्षकों की बहाली में कौन सा गोरखधंधा किया हैं। सब को पता है। यहां भी वहीं दृश्य दिख रहा हैं। इसलिए हमें सरकार की बातों पर भरोसा न कल था और न आज ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *