बाबूलाल मरांडी का बयान – “उच्च न्यायालय द्वारा नियोजन नीति, 2021 को रद्द करने का फैसला, सरकार की गाल पर एक करारा तमाचा है”
भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी इन दिनों राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से बहुत गुस्सा है। वे अपने इस गुस्से को ट्विटर के माध्यम से जमकर प्रकट कर रहे हैं। आज जैसे ही नियोजन नीति को लेकर झारखण्ड उच्च न्यायालय का फैसला आया, उन्होंने अपने गुस्से को इस प्रकार प्रकट कर दिया। उन्होंने ट्विट कर कहा कि “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, रघुबर दास सरकार की नीति को आप रद्द कर चुके हैं और आपकी नियोजन नीति को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया।
अब बिना किसी नीति के नियोजन कैसे होगा? आपके अफ़सर पहले तो वैकल्पिक नीति बनाने को लम्बा लटकायेंगे। उसमें इतनी गलती करेंगे कि मामला फिर कोर्ट चला जाय और बेचारे युवा नौकरी न देने की आपकी योजना का शिकार बन कर लड़ते-लड़ते बूढ़े हो जायेंगे। ख़ुराफ़ात की इतनी अक़्ल आप लाते कहाँ से हैं? “खान-खदान आमदनी” की तरह ये कोर्ट-कचहरी के खर्चे से भी कुछ आ जाता है क्या? देखियेगा, इन बेरोज़गारों की बद्दुआएँ ज़रूर लगेगी आपको।”
एक अन्य टिव्टर में बाबू लाल मरांडी कह रहे हैं कि “सुन रहे हैं न मुख्यमंत्री जी ‘अब यदि सुप्रीम कोर्ट जाईयेगा तो फाँसी लगा लेंगे’ नौकरी की उम्मीद में बेरोज़गारों का ये ग़ुस्सा समझिये। नौकरी न देने, लटकाये रखने के लिये कोर्ट-कचहरी में सरकार का करोड़ों रूपये आगे मत बहाइये। वर्ना ये सोरेन परिवार के राजनीतिक ताबूत का अंतिम कील बनेगा।”
अपने एक और ट्विटर में बाबू लाल मरांडी हेमन्त सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा देते हैं, वे कहते है कि “अव्यवहारिकता और तुष्टिकरण की बुनियाद पर टिकी इस अहंकारी सरकार के लिए आज उच्च न्यायालय का नियोजन नीति, 2021 रद्द करने का फैसला सरकार की गाल पर एक करारा तमाचा है। अब इस राज्य में अधिक से अधिक युवाओं को अवसर मिल सकेगा। भाषा पेपर से हिंदी हटाकर उर्दू रखे जाने के फैसले से ही सरकार की मंशा समझी जा सकती थी।”