अपनी बात

बाबूलाल मरांडी का टिव्ट उगल रहा आग, इधर अजित पवार की प्रशंसा और उधर लालू यादव और शिबू सोरेन के बेटे-बेटियों पर कड़ा प्रहार

राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री व भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, लगता है इन दिनों अपने आप में नहीं हैं। उनकी टिव्ट अपने विरोधियों के खिलाफ आग उगल रही हैं। कई राजनीतिक पंडितों का कहना है पूर्व में बाबूलाल मरांडी की भाषा इस प्रकार की नहीं थी, पता नहीं क्या वजह हैं कि बाबूलाल मरांडी कुछ ज्यादा ही अपने विरोधियों पर भड़क गये हैं और इसके कारण उनका टिव्ट व अन्य सोशल साइट अपने विरोधियों के खिलाफ आग उगल रहा है।

बाबूलाल मरांडी की आज तीन ट्विटों को देखिये, तो उसमें साफ दिख रहा है कि बाबूलाल मरांडी, लालू यादव और शिबू सोरेन व उनके परिवारों को माफ करने के मूड में नहीं हैं, पर आज अजित पवार ने जैसे ही अपना पैतरा बदला, बाबूलाल मरांडी अजित पवार पर प्यार लूटाने लगे। अजित के आज के पैतरे बदलने की घटना को उन्होंने लोकतंत्र जिंदाबाद कह कर अपनी खुशियां को जाहिर किया।

जबकि ये अजित पवार भी कोई दुध के धूले नहीं हैं। ये शरद पवार के भतीजे हैं। होना तो यह चाहिए कि शरद पवार भी जो शुद्ध रुप से परिवारवाद के पोषक हैं, उनका भी स्वागत बाबूलाल मरांडी को उसी प्रकार से करना चाहिए था, जैसा कि उन्होंने अपने विरोधी लालू प्रसाद और शिबू सोरेन के लिए किया है, पर लगता है कि शायद राजनीति इसी को कहते हैं। जरा देखिये बाबू लाल मरांडी ने सोशल साइट पर लिखा क्या है, आप स्वयं पढ़े, मेंने इसे नीचे दे रखा है…

वंशवादी – परिवारवादी राजनीति देश के लिए बहुत घातक है। प्राइवेट कंपनी की तरह चल रहे परिवारवादी दल अपने प्रचंड मूर्ख, नालायक, अयोग्य और अक्षम बेटा, बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। भले ही उन्हें राजनीति का “र” भी न समझ आता हो। जब सत्ता हस्तांतरण या भागीदारी की बात आती है तो यह दल दशकों तक पार्टी की सेवा करने वाले योग्य एवं अनुभवी लोगों को हाशिए पर ठेल देते हैं। बिहार में लालू यादव और झारखण्ड में शिबू सोरेन की सल्तनत प्रत्यक्ष उदाहरण है। इन दोनों घरानों में जन्मे दो निहायत ही नालायक, अयोग्य, मुर्ख, तानाशाह राजकुमार राज्य पर थोपे गए। लेकिन, जनता इनके साम्राज्य को ध्वस्त करने के लिए तैयार बैठी है। देखते जाइये….

अजित पवार समेत मंत्री बनने वाले सभी 9 विधायकों को उनके नव दायित्व हेतु हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। मीडिया के साथी कृपा करके इसे बगावत न कहें। यह परिवारवाद- वंशवाद और भाई भतीजावाद के विरुद्ध बिगुल है। संभव है कि आने वाले समय में अन्य परिवारवादी दलों में भी इसी प्रकार की टूट हो क्योंकि “योग्य” लोगों को दरकिनार कर “अक्षम” लोगों को आगे बढ़ाने का हश्र यही होता है। लोकतंत्र ज़िंदाबाद।

लोग कहते हैं कि हेमंत सोरेन अपने ऊपर लगे आरोपों को सुनकर चुप हो जाते हैं। मुस्कुराते हैं। लेकिन, कुछ बोलते नहीं। मैं सोचता हूँ कि वो बोलेंगे भी तो क्या? उनका पारिवारिक मित्र अमित जेल में है, उनका प्रतिनिधि और संताल का सुपर सीएम पंकज जेल में है, उनका एक शागिर्द ( महादलाल ) प्रेम जेल में है, अभी कइयों राजदार ईडी के रडार पर हैं जो जेल जाने की अपनी बारी के इंतज़ार में हॉंफ रहे हैं। असल में मुख्यमंत्री जी घबराए हुए हैं। अंदर से बहुत बेचैन हैं। असली चेहरा दुनिया के सामने आ जाने एवं बेहिसाब ज़मीन-जायदाद की पोल-पट्टी खुल जाने के चलते जेल जाने के डर से होश-हवास खो बैठे हैं। बालस्वरूप राही जी ने लिखा है -मैं उसे ख़ुद भी समझ बैठा हूँ अपना चेहरा, मैंने ओढ़ा था मुखौटा जो जमाने के लिए …