भारतीय सैनिकों को मिली खूली छूट से गुंडागर्दी कर रहे चीन के छूटे पसीने, दी गीदड़भभकी, ग्लोबल टाइम्स ने दिखाये पैतरे
चीन के सरकारी अखबार “ग्लोबल टाइम्स” की आज की संपादकीय पढ़े तो साफ है कि उसका मानना है कि चीन के सैनिक कुछ भी गुंडागर्दी करें, चीन कितनी भी भारत के खिलाफ कुदृष्टि रखें, चीन भारत की संप्रभुता को कितना भी चुनौती क्यों न दें, भारत को ठीक उसी तरह से ये सब मान लेना चाहिए, जैसा कि आज के डेट में उसके पड़ोसी देश पाकिस्तान और नेपाल करते हैं।
दरअसल ग्लोबल टाइम्स और चीन को इस बात को लेकर फट गई हैं कि भारत सरकार ने रविवार को भारतीय सैनिकों को कोई भी कार्रवाई करने की पूर्ण स्वतंत्रता दे दी है। इस पूर्ण स्वतंत्रता के बारे में चीन को अंदेशा नहीं था, उसे तो लगता था कि उसकी गुंडागर्दी के आगे जब सारे विश्व के देश नतमस्तक है तो भारत की क्या मजाल, वह भी उस भारत की, जिस देश के लोग चीन के सामानों से अपना दिन गुजारा करते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि अगर ऐसा होता है और भविष्य में भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को गोली मारते हैं, तो यह भारत-चीन सीमा विवाद सैन्य संघर्ष में बदल जायेगा, जो न तो भारतीय और न ही चीनी चाहते हैं, यानी कोरोना विषाणु का जन्मदाता, मानवता का दुश्मन, आज भारत और भारतीयों की बात कर रहा है।
ग्लोबल टाइम्स ने इस बात का भी जिक्र किया है कि भारत और चीन ने 1996 और 2005 में दो द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें दोनों ने कहा था कि दोनों पक्ष अपनी सैन्य क्षमता का दूसरे पक्ष के खिलाफ उपयोग नहीं करेंगे। इसने मूल रूप से सीमा क्षेत्र में संघर्षों के पैमाने को सीमित कर दिया था, और इस प्रावधान को 15 जून के टकराव के दौरान भी बरकरार रखा गया था, पर ग्लोबल टाइम्स ने यह नहीं लिखा कि इसी आड़ में चीन ने अपनी गुंडागर्दी और बढ़ा दी तथा भारत को आंखे दिखाना शुरु कर दिया, साथ ही भारत की सरहदों को छोटा करने का अपना छुपा हुआ प्लान भी शुरु कर दिया।
ग्लोबल टाइम्स ने उन भारतीयों को भी धमकी दी है कि वे पहले वाली गलती नहीं दुहराये, उसने भारत और चीन का तुलनात्मक विश्लेषण कर खुद को यानी चीन को सर्वश्रेष्ठ बताने की कोशिश की हैं, ग्लोबल टाइम्स का मानना है कि भारत युद्ध में कही नहीं ठहरेगा, जबकि 15 जून को हुई घटना ने बता दिया कि अगर सीधी युद्ध हुई तो चीन के सैनिक सबसे पहले अपनी जान बचाने की योजना पर काम करेंगे।
जरा देखिये ग्लोबल टाइम्स की गुंडागर्दी कैसे भारत और भारतीयों को धमकी दे रहा है और क्या लिख रहा हैं। “हम भारतीयों को चेतावनी देना चाहेंगे कि वे नई दिल्ली को गलत रास्ते पर न डालें और भारत को पिछली गलतियों को न दोहराने दें। उन्हें पता होना चाहिए कि 1962 में, दोनों देश लगभग बराबर ताकत के थे, लेकिन आज, चीन की जीडीपी भारत की तुलना में पांच गुना है, और चीन का रक्षा खर्च पश्चिम के अनुमानों के अनुसार भारत के ट्रिपल से अधिक है। चीन एक अत्यधिक औद्योगिक देश है, जबकि भारत अभी भी औद्योगिकीकरण के प्राथमिक चरण में है। चीन के अधिकांश उन्नत हथियारों को घरेलू स्तर पर निर्मित किया जाता है, लेकिन भारत के सभी उन्नत हथियार आयात किए जाते हैं।”
ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में पीएम मोदी के उस बयान को कोट करते हुए भारत सरकार की प्रशंसा भी की है, जिसमें पीएम मोदी ने यह कहा था कि किसी ने भी हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं की हैं, और न ही अब वहां कोई है, और न ही हमारे पदों पर कब्जा किया गया हैं। ग्लोबल टाइम्स सब कुछ लिखता हैं, लेकिन चीन व अपनी गुंडागर्दी के बारे में नहीं लिखता, बल्कि इसके उलट अपने चीनी सैनिकों का उत्साहवर्द्धन करते हुए भारतीय सैनिकों को सबक सिखाने की बात करता है, जबकि चीनी सैनिक जिन्होंने 15 जून को गुंडागर्दी की शुरुआत की थी, उन्हें जरुर पता चल गया होगा कि भारत की बिहार रेजिमेंट और पंजाब रेजिमेंट किस मिट्टी के बने हैं, अभी तो दो रेजिमेंट के शेरों ने लातों-घूसों का स्वाद चखाया है, बाकी रेजिमेंट को जब अपना जौहर दिखाने को मौका मिलेगा तो क्या करेंगे, शायद पता नहीं।