रघुवर भक्ति में एक साल पुरानी न्यूज जनता को परोस दिया “भास्कर” और “जीटीवी”
सीएम रघुवर की भक्ति में दैनिक भास्कर व जीटीवी ने लगभग साल भर पुरानी न्यूज को मिर्च मसाला लगाकर, नये तरीके से जनता के बीच परोस दिया, और जनता को यह भरमाने की कोशिश कर दी कि पीएम के सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं रघुवर, 65 फीसदी जनता के पसंद हैं रघुवर, अभी चुनाव हो जाये तो भाजपा को 65 सीटें मिल जायेगी, जबकि ऐसा है नहीं। यहां की सरकार को, मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी अच्छी तरह पता है कि अभी चुनाव हुए तो उनका नाम लेनेवाला भी कोई नही बचेगा, क्योंकि हाल ही में हुए सिल्ली और गोमिया के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा गठबंधन को मिली करारी हार सब कुछ स्पष्ट कर दी हैं।
हम आपको बता दें कि अगर इस संबंध में आपको सच्चाई जाननी है तो आप सीधे अपने स्मार्ट फोन पर जाइये और गूगल सर्च करिये, आपको इस बारे में सब कुछ पता चल जायेगा, जैसे डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू.विद्रोही24.कॉम को पता चल गया। हमने आपको बतौर सबूत भी आपके समक्ष लाकर यहां रख दिया हैं। जरा आप ध्यान से देखिये, अगर आपको सब कुछ नहीं पता चल जाये तो कहियेगा। सबसे पहले आप दैनिक भास्कर, 30 जुलाई का अपने समक्ष रखिये, उसमें क्या लिखा है, जरा ध्यान से देखिये, दैनिक भास्कर ने लिखा है कि
- 65 फीसदी जनता के लिए रघुवर दास सीएम के लिए पसंदीदा चेहरा हैं।
- 15 सीटों के 5516 मतदाताओं के बीच सर्वे किये गये।
- 74.8 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कामकाज से खुश है।
- 46 प्रतिशत लोग केन्द्र सरकार के प्रशंसक है।
- झारखण्ड में अभी चुनाव हो तो भाजपा को 65 सीटें।
- भाजपा को मिलेंगे 45.24 प्रतिशत वोट।
- झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को मिलेंगी 12 सीटें।
जबकि ये सारी बातें (वीएमआर की सर्वे) या समाचार 21 सितम्बर 2017 को आइएनएस के माध्यम से आ चुकी है, जो उस समय रांची के करीब-करीब सभी सीएम रघुवर भक्त अखबारों/चैनलों में प्रकाशित/प्रसारित हो चुकी है, ऐसे में साल भर पुरानी न्यूज को एक बार फिर नये तरीके से जनता के समक्ष पेश करने का क्या मतलब हैं?
क्या सीएम रघुवर दास की लोकप्रियता खत्म हो चुकी है, जिसको लेकर दैनिक भास्कर और एक चैनल ने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए ऐसा कदम उठाया? सीएम रघुवर दास की लोकप्रियता बढ़े या घटे, उससे दैनिक भास्कर या एक चैनल को क्या मतलब? पत्रकारिता जनता के लिए या नेताओं के हितों के लिए? अगर नेताओं के हित के लिए हैं तो फिर कोई बात ही नहीं और अगर जनता के लिए हैं तो फिर दैनिक भास्कर और उक्त चैनल बताएं कि जनता उसे इसके लिए क्या दंड दें?
हम तो आम जनता, खासकर झारखण्ड की जनता से यहीं कहेंगे कि आप इन अखबारों व चैनलों तथा यहां कार्य कर रहे बड़े-बड़े मठाधीशों/संपादकों/मालिकों से सावधान रहें, नहीं तो ये आपके झारखण्ड को बर्बाद करके रख देंगे, ये आपकी पीढ़ी को बर्बाद करके रख देंगे, आज ही सजग हो जाइये और अपने आनेवाले पीढ़ी को इनसे सतर्क करिये कि अखबार पढ़ो पर ध्यान रखो, इसमें लिखी हुई हर बात सच्ची नहीं होती, ज्यादातर खबरें इसमें ऐसी होती हैं, जिससे सरकार के हित सधते हैं, न कि जनहित। अखबार या चैनल की किसी बातों पर अपना मन न बनाएं, स्वयं चिन्तन करें और लगे कि यह सच हैं तो मानिये और नहीं तो इनसे जितना दूर हो जाये, उतना ही अच्छा हैं।