घोर आश्चर्य! झारखण्ड में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ दिये गये राज्यपाल के आदेश को जमीन पर उतारने में भी लगभग डेढ़ साल लगा देते हैं
21 फरवरी 2022 को राज्यपाल सचिवालय से एक पत्र चलती है। वो पत्र उपायुक्त सह अध्यक्ष इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी को लिखी जाती है। पत्र इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी रांची जिला शाखा में व्याप्त अनियमतिताओं से संबंधित है। पत्र राज्यपाल सह अध्यक्ष इंडियन रेड क्रास सोसाइटी की राज्य शाखा द्वारा आदेशित है। लेकिन झारखण्ड की स्थिति ऐसी है कि यहां के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राज्यपाल के आदेश तक को हवा में उड़ा देते हैं। उनके आदेश का पालन करने में डेढ़ साल से भी अधिक का समय लग जाता है।
अब ये शर्म की बात है या नहीं, इसकी विवेचना यहां के बुद्धिजीवी व सभ्य लोगों की जमात ही करें तो ज्यादा श्रेयस्कर होगा। राज्यपाल के इस आदेशित पत्र को राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने उस वक्त के तत्कालीन रांची के उपायुक्त को लिखा था, जो पदेन इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी रांची के अध्यक्ष थे। पत्र में तीन बातों को इंगित किया गया था।
पहला – आईआरसीएस रांची ब्रांच के एक्सक्यूटिव कमेटी को तुरन्त भंग किया जाय। दूसरा – जांच प्रतिवेदन में पाये गये सभी दोषियों डा. सुशील कुमार, डा. उषा नरसरिया, तत्कालीन सचिव, डा. अशोक कुमार प्रसाद, सदस्य, तत्कालीन एक्सक्यूटिव कमेटी, डा. जय प्रकाश गुप्ता, सदस्य एक्सक्यूटिव कमेटी, मलकैत सिंह, कोषाध्यक्ष के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और प्राथमिकी दर्ज की जाये। तीसरा इन सबकी सदस्यता रेड क्रास सोसाइटी से हमेशा के लिए रद्द की जाये। पत्र में अग्रेतर कार्रवाई करते हुए इसकी सुचना भी राज्यपाल सचिवालय को संप्रेषित करने को सुनिश्चित करने को कहा गया था।
पर आश्चर्य है कि राज्यपाल द्वारा आदेशित इस पत्र को जमीन पर उतारने में करीब डेढ़ साल लग गये। गत एक सप्ताह पूर्व यानी 2 सितम्बर को उपायुक्त सह अध्यक्ष इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ने चेयरमैन इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी को पत्र जारी किया कि वो इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराये। बताया जा रहा है कि उपायुक्त के इस आदेश का पालन आईआरसीएस के चेयरमैन ने दो दिन पूर्व लालपुर थाने में जाकर प्राथमिकी दर्ज करा कर किया।
मतलब लगभग डेढ़ साल राज्यपाल सचिवालय से आये पत्र को जमीन पर उतारने में लग गये रांची के उपायुक्त को, तब जाकर उन्होंने चेयरमैन को पत्र लिखा और उसके बाद भी पांच दिन और लग गये चेयरमैन को प्राथमिकी दर्ज कराने में, जबकि राजभवन, उपायुक्त कार्यालय और उनका निवास स्थान तथा इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की एक दूसरे से दूरी कितनी हैं कम से कम रांची के लोग तो जानते ही हैं और अब कार्रवाई करने में स्थानीय पुलिस कितना देर लगायेगी, उसका तो भगवान ही मालिक है।