अपनी बात

कुढ़नी विधानसभा चुनाव के परिणाम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज जरुर कुढ़ रहे होंगे!

इसमें कोई दो मत नहीं कि कुढ़नी विधानसभा चुनाव के परिणाम से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज जरुर कुढ़ रहे होंगे। कुढ़नी की जनता ने अपने फैसले से केवल नीतीश कुमार की ही नहीं बल्कि बड़बोले ललन सिंह की भी सारी हेकड़ी निकाल दी है, साथ ही बता दिया कि ज्यादा ऊंचे सपने देखने यानी दिल्ली की कुर्सी पर ज्यादा नजर टिकाने से अच्छा है कि नीतीश पहले अपना घर संभालें, नहीं तो जो स्थितियां हैं, कही बिहार न हाथ से निकल जाये।

दरअसल कुढ़नी उपचुनाव का फैसला आ गया है। जहां भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार केदार गुप्ता ने जनता दल यूनाईटेड के प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को 3632 मतो से पराजित कर दिया। यहां यह किसी को नहीं भूलना चाहिए कि जदयू प्रत्याशी को राजद, कांग्रेस समेत कई दलों का समर्थन हासिल था, उसके बाद भी जदयू प्रत्याशी को मुंह की खानी पड़ी, जो बताता है कि बिहार में नीतीश का जादू रसातल में जा रहा है।

कुढ़नी की हार नीतीश के लिए कोई सामान्य हार नहीं हैं, बल्कि महागठबंधन बनने के बाद हुए तीन उपचुनावों में भाजपा ने अब तक दो सीटों को जीतकर महागठबंधन की औकात बता दी है, अगर मोकामा विधानसभा सीट की बात करें तो साफ है कि वहां जीत अनन्त सिंह की जीत थी, न कि महागठबंधन का, पर गोपालगंज और अब कुढ़नी की सीट पर भाजपा की जीत बता रही है कि यही हाल रहा तो नीतीश की हाल वहीं हो जायेगी, कि माया में दोनों गये माया मिली न राम।

नीतीश जो सोचकर राजद के साथ गलबहियां डालकर चल रहे हैं, उन्हें इसकी कीमत अब निश्चित रुप से चुकानी पड़ेगी। भाजपा नीतीश से अलग होकर एक बेहतर दिशा की ओर बढ़ रही है। राज्यसभा के सांसद और कभी नीतीश कुमार के कट्टर सहयोगी रहे भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी का यह बयान ठीक ही है कि लालू प्रसाद के बीमारी का इमोशनल कार्ड और जदयू का पैसा इस कुढ़नी विधानसभा में कोई काम नहीं आया।

ऐसे भी जो लोग नीतीश कुमार को जानते हैं, वे बताते है कि नीतीश कुमार ने बार-बार पाला बदलकर बिहार की जनता के सामने पलटू कुमार का जो अपना चेहरा पेश किया हैं, वो अब नीतीश के लिए भारी पड़ना शुरु हो गया हैं। आनेवाले समय में बिहार में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, नीतीश और उनकी पार्टी रसातल में ही जायेगी।